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ग्रामीण बैंकों में सुविधाओं की कमी, कैश निकालने के लिए घंटों लाइन में लगते हैं ग्राहक

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Published : May 13, 2022, 9:56 PM IST

लखनऊ में ग्रामीण बैंकों में ग्राहकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. एक तरफ जहां ग्रामीण बैंक में आर्यावर्त बैंक के खुद के एटीएम नहीं हैं तो दूसरी ओर कैश निकालने में भी ग्राहकों को घंटों लाइन में लगना पड़ता है.

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आर्यावर्त बैंक

लखनऊ : राजधानी लखनऊ में ग्रामीण बैंकों में ग्राहकों को कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. एक तरफ जहां ग्रामीण बैंक में आर्यावर्त बैंक के खुद के एटीएम नहीं हैं तो दूसरी ओर ग्रामीण बैंकों की शाखाओं में ग्राहकों को कैश निकालने में भी काफी इंतजार करना पड़ता है.

ईटीवी भारत ने ग्रामीण बैंकों में ग्राहकों को होने वाली समस्याओं की पड़ताल की तो स्थिति निराशाजनक नजर आई. ग्रामीण बैंकों में डिजिटल टेक्नोलॉजी का पूरी तरह से अभाव है तो इंटरनेट बैंकिंग की सुविधा ग्राहकों को नहीं मिल पा रही है. इसके अलावा मैन पावर और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर की समस्या भी ग्रामीण बैंकों में बनी हुई है. बैंक अधिकारियों का दावा है कि इस दिशा में बेहतर प्रयास करने को लेकर बैंक के अधिकारियों की तरफ से समय-समय पर उच्च स्तर पर बात पहुंचाई जा रही है.

ग्रामीण बैंकों में सुविधाओं की कमी

दरअसल, उत्तर प्रदेश में आर्यावर्त बैंक, बड़ौदा यूपी बैंक, प्रथमा बैंक ग्रामीण बैंक के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं. अगर राजधानी लखनऊ की बात करें तो यहां आर्यावर्त बैंक की शाखाएं संचालित होती हैं जबकि अन्य जिलों में बड़ौदा यूपी बैंक और प्रथमा बैंक ग्रामीणों को वित्तीय लेनदेन की सुविधा देती हैं. आर्यावर्त ग्रामीण बैंक की उत्तर प्रदेश में 1367 शाखाएं संचालित हो रही है. बड़ौदा यूपी बैंक की करीब 1960 में संचालित हो रही है. इसके अलावा प्रथमा बैंक की करीब 1000 से अधिक शाखाएं संचालित हो रही हैं.

ग्रामीण बैंकों से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि डिजिटल तकनीक की समस्या इन बैंकों में बनी हुई है. सर्वर की समस्या भी रहती है. इसके अलावा बैंकों में मैन पावर के साथ-साथ बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर की समस्या भी है लेकिन उन्होंने दावा करते हुए कहा कि इसे दूर करने को लेकर उच्च स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं, ग्राहकों का कहना है कि यहां पर मैन पावर की समस्या रहती है. 15 मिनट के काम में घंटों लगता है. डिजिटल टेक्नोलॉजी के मामले में आर्यावर्त ग्रामीण बैंक काफी पीछे है. इंटरनेट बैंकिंग और बैंक के खुद के एटीएम नहीं हैं. इसके चलते उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

वहीं, ग्राहक राकेश कुमार ने बताया कि हमारा ग्रामीण बैंक में खाता है. कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बैंक के एटीएम भी नहीं है और कैश निकालने में बैंक में काफी देर तक लाइन में भी लगना पड़ता है. उन्होंने कहा कि डिजिटल का जमाना है लेकिन यहां इंटरनेट बैंकिंग की सुविधा ही नहीं है.

ऑल इंडिया रीजनल रूरल बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन के सेक्रेटरी भोलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, 'हम ग्रामीण बैंकों के माध्यम से ग्राहकों को बेहतर सुविधाएं दे रहे हैं. उत्तर प्रदेश में 3 ग्रामीण बैंक काम कर रही हैं. लखनऊ में आर्यावर्त ग्रामीण बैंक अपनी सेवाएं ग्राहकों तक पहुंचा रही है. डिजिटल टेक्नोलॉजी के मामले में हम जरूर कुछ पीछे हैं. यूपीआई जैसे पेमेंट हमारे यहां नहीं होते हैं. हमारे खुद के एटीएम नहीं हैं लेकिन इन सभी चीजों को बेहतर करने और इन समस्याओं को दुरुस्त करने को लेकर उचित स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं'.

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लखनऊ : राजधानी लखनऊ में ग्रामीण बैंकों में ग्राहकों को कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है. एक तरफ जहां ग्रामीण बैंक में आर्यावर्त बैंक के खुद के एटीएम नहीं हैं तो दूसरी ओर ग्रामीण बैंकों की शाखाओं में ग्राहकों को कैश निकालने में भी काफी इंतजार करना पड़ता है.

ईटीवी भारत ने ग्रामीण बैंकों में ग्राहकों को होने वाली समस्याओं की पड़ताल की तो स्थिति निराशाजनक नजर आई. ग्रामीण बैंकों में डिजिटल टेक्नोलॉजी का पूरी तरह से अभाव है तो इंटरनेट बैंकिंग की सुविधा ग्राहकों को नहीं मिल पा रही है. इसके अलावा मैन पावर और बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर की समस्या भी ग्रामीण बैंकों में बनी हुई है. बैंक अधिकारियों का दावा है कि इस दिशा में बेहतर प्रयास करने को लेकर बैंक के अधिकारियों की तरफ से समय-समय पर उच्च स्तर पर बात पहुंचाई जा रही है.

ग्रामीण बैंकों में सुविधाओं की कमी

दरअसल, उत्तर प्रदेश में आर्यावर्त बैंक, बड़ौदा यूपी बैंक, प्रथमा बैंक ग्रामीण बैंक के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं. अगर राजधानी लखनऊ की बात करें तो यहां आर्यावर्त बैंक की शाखाएं संचालित होती हैं जबकि अन्य जिलों में बड़ौदा यूपी बैंक और प्रथमा बैंक ग्रामीणों को वित्तीय लेनदेन की सुविधा देती हैं. आर्यावर्त ग्रामीण बैंक की उत्तर प्रदेश में 1367 शाखाएं संचालित हो रही है. बड़ौदा यूपी बैंक की करीब 1960 में संचालित हो रही है. इसके अलावा प्रथमा बैंक की करीब 1000 से अधिक शाखाएं संचालित हो रही हैं.

ग्रामीण बैंकों से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि डिजिटल तकनीक की समस्या इन बैंकों में बनी हुई है. सर्वर की समस्या भी रहती है. इसके अलावा बैंकों में मैन पावर के साथ-साथ बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर की समस्या भी है लेकिन उन्होंने दावा करते हुए कहा कि इसे दूर करने को लेकर उच्च स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं, ग्राहकों का कहना है कि यहां पर मैन पावर की समस्या रहती है. 15 मिनट के काम में घंटों लगता है. डिजिटल टेक्नोलॉजी के मामले में आर्यावर्त ग्रामीण बैंक काफी पीछे है. इंटरनेट बैंकिंग और बैंक के खुद के एटीएम नहीं हैं. इसके चलते उन्हें खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

वहीं, ग्राहक राकेश कुमार ने बताया कि हमारा ग्रामीण बैंक में खाता है. कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बैंक के एटीएम भी नहीं है और कैश निकालने में बैंक में काफी देर तक लाइन में भी लगना पड़ता है. उन्होंने कहा कि डिजिटल का जमाना है लेकिन यहां इंटरनेट बैंकिंग की सुविधा ही नहीं है.

ऑल इंडिया रीजनल रूरल बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन के सेक्रेटरी भोलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा, 'हम ग्रामीण बैंकों के माध्यम से ग्राहकों को बेहतर सुविधाएं दे रहे हैं. उत्तर प्रदेश में 3 ग्रामीण बैंक काम कर रही हैं. लखनऊ में आर्यावर्त ग्रामीण बैंक अपनी सेवाएं ग्राहकों तक पहुंचा रही है. डिजिटल टेक्नोलॉजी के मामले में हम जरूर कुछ पीछे हैं. यूपीआई जैसे पेमेंट हमारे यहां नहीं होते हैं. हमारे खुद के एटीएम नहीं हैं लेकिन इन सभी चीजों को बेहतर करने और इन समस्याओं को दुरुस्त करने को लेकर उचित स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं'.

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