लखनऊ : जय प्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र (जेपीएनआईसी ) सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल हुआ करता था. लेकिन अब वही ड्रीम प्रोजेक्ट कई लोगों के गले की फांस बनता दिखाई दे रहा है. प्रदेश की योगी सरकार ने इस प्रोजेक्ट की कॉस्ट बढ़ने पर उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिया है.
कई अधिकारी जांच के घेरे में
सपा सरकार के दौरान जय प्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र ड्रीम प्रोजेक्ट हुआ करता था. इसका डिज़ाइन तय करने वाली आर.कॉम कंपनी के बनाए प्रोजेक्ट के लिए 200 करोड़ का टेंडर पास किया गया था. लेकिन उसकी निर्माण लागत में लगातार बढ़ोतरी होती गयी.
200 करोड़ का प्रोजेक्ट एक हजार करोड़ तक पहुंच गया. उसके बावजूद काम पूरा नहीं हो सका. अभी भी चालू हालात में लाने के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण ने प्रदेश सरकार से 100 करोड़ की मांग कर दी. इसके बाद योगी सरकार ने इस प्रोजेक्ट के जांच के आदेश दे दिए है.
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खुद मुख्य सचिव आर.के.तिवारी कर रहे मॉनिटरिंग
मामले की गंभीरता इससे ही समझी जा सकती है कि पूरे मामले को खुद मुख्य सचिव आर.के.तिवारी मॉनिटर कर रहे हैं और लगातार बैठकों में इसकी समीक्षा की जा रही है. 100 करोड़ रुपये के बजट के प्रस्ताव के बाद मुख्य सचिव आर.के.तिवारी खुद प्रोजेक्ट का निरीक्षण करने पहुंचे. चर्चा है कि प्रदेश सरकार के जेपीएनाईसी प्रोजेक्ट की जांच के दौरान कई अधिकारियों पर गाज गिर सकती है. साथ ही कई वरिष्ठ सपा नेता भी चपेट में आ सकते हैं.
कौन करेगा जांच
जय प्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र की जांच प्रदेश सरकार ने कमिश्नर लखनऊ रंजन कुमार को सौंपी है जो पिछले काफी दिनों से इस प्रोजेक्ट की समीक्षा भी कर रहे थे. कई बार इस प्रोजेक्ट का दौरा भी कर चुके हैं.
जांच की आंच किस पर
प्रदेश सरकार की इस जांच में माना जा रहा है कि अगर निष्पक्ष जांच हुई तो पूर्व वीसी सतेंद्र सिंह और आर्किटेक्ट कंपनी आर.कॉम जांच के घेरे में आ सकते हैं.