ETV Bharat / state

'जूलियस सीज़र’ व 'ऐसी कैसी डेमोक्रेसी' नाटक का मंचन, बच्चों ने दी शानदार प्रस्तुति - हरिशंकर परसाई

'फेवर फाउंडेशन' व 'पीएस 3' संस्था की ओर से एक महीने की ग्रीष्म कालीन बाल नाट्य कार्यशाला के तहत दो नाटकों का मंचन किया गया. शुक्रवार को नाटक ‘जूलियस सीज़र’ व 'ऐसी कैसी डेमोक्रेसी' का मंचन वाल्मीकि रंगशाला गोमती नगर में किया गया.

नाटक का मंचन
नाटक का मंचन
author img

By

Published : Jun 24, 2022, 11:44 PM IST

लखनऊ : 'फेवर फाउंडेशन' व 'पीएस 3' संस्था की ओर से एक महीने की ग्रीष्म कालीन बाल नाट्य कार्यशाला के तहत दो नाटकों का मंचन किया गया. शुक्रवार को नाटक ‘जूलियस सीज़र’ व 'ऐसी कैसी डेमोक्रेसी' का मंचन वाल्मीकि रंगशाला गोमती नगर में किया गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध नाट्य निर्देशक ललित सिंह पोखरिया रहे.

जूलियस सीज़र विलियम शेक्सपियर द्वारा लिखित एक त्रासदी नाटक है. रोम में बढ़ती जा रही जूलियस सीज़र की लोकप्रियता से घबराकर उसके ही करीबी दोस्तों द्वारा उसकी हत्या कर दी जाती है. इस काम को अंजाम देते हैं कैसियस, ब्रूटस, कास्का और डैसियस नाम के अधिकारी. सीज़र ब्रूटस के हाथ में जब अपने लिए खंजर देखता है तो कहता है कि ‘ब्रूटस तुम भी’. ब्रूटस आम जनता को बताता है कि उसने सीज़र को क्यों मारा. जिसके बाद जनता ब्रूटस के साथ हो जाती है, लेकिन तभी सीज़र का दोस्त एंटनी आकर सीज़र की अच्छाई व जनता के प्रति उसकी सोच के बारे में बताता है. अब जनता एंटनी के समर्थन में आ जाती है और ब्रूटस के प्रति विद्रोह शुरू कर देती है.

जिन लोगों ने सीज़र की हत्या की थी, वो सभी देश छोड़कर भाग जाते हैं. इधर एंटनी उनसे बदला लेने के लिए निकलता है, लेकिन कुछ दिनों बाद ही कैसियस और ब्रूटस अपनी ग़लती का एहसास करते हैं और वो आत्महत्या कर लेते हैं. एंटनी ब्रूटस की लाश पर आकर कहता है कि तुमने रोम के उज्जवल भविष्य के लिए सीज़र को मारा था और अब खुद ही रोम को अकेला छोड़ कर चल दिए. इस प्रकार नाटक का अंत होता है. आम जन जीवन में सबसे करीबी दोस्त द्वारा धोखा खाने पर बोली जाने वाली कहावत brutus you too ( ब्रूटस तुम भी) इसी नाटक से प्रचलित हुई थी.

नाटक के पात्र परिचय : जूलियस सीज़र-अनुश्री, ब्रूटस-शिवा, कैसियस-एना, कलिपुर्निया-अमायरा, पोर्शिया-विशिष्ठिका, कास्का–टीया, डैसियस-गर्विता, भविष्यवक्ता-आदित्य, संगीत-आलोक श्रीवास्तव, लाइट-मो हफ़ीज़, मेकअप-शहीर और सचिन, कॉस्ट्यूम व सेट-प्रीती चौहान, नीशू सिंह, सूर्यांश, अनुपम, सहायक निर्देशक-आदित्य, अभिनव, निर्देशन-संदीप यादव


‘ऐसी कैसी डेमोक्रेसी’ नाटक : वहीं दूसरी कहानी ‘ऐसी कैसी डेमोक्रेसी’ नाटक हरिशंकर परसाई द्वारा लिखित कहानी ‘भेंड और भेंडियें’ पर आधारित है. जिसमें जंगल में रहने वाली भेड़ों को ऐसा लगा की बस अब बहुत हो गया जंगल में जंगलराज, अब यहां भी लोकतंत्र होना चाहिए. ये खबर सुनकर भेंडिया समाज दुखी हो गया की अब क्या होगा उनका? तभी चापलूस सियारों ने भेंडियों की परेशानी समझी और तीन रंगे हुए सियारों को तैयार किया. उन रंगे हुए सियारों ने भेंड़ों को बहला फुसलाकर, बड़े बड़े वादे करके समझाया कि भेड़िये अब शाकाहारी हो गये हैं. अब उन्होंने मांस खाना छोड़ दिया है, भेड़िये ही जंगल को सुरक्षा दे सकते हैं. भेंड़े सियारों और भेड़िये की बातों में आ गईं. इस प्रकार जंगल में जब चुनाव हुए तो भेड़ियों की भारी बहुमत से जीत हुई और एक भेड़िये को मुख्यमंत्री बनाया गया. कुछ दिनों तक तो जंगल में लोकतंत्र चलता रहा.

भेड़ों की बातें मानी गईं, लेकिन सत्ता के लालची सियारों ने ये आदेश पारित किया कि मुख्यमंत्री द्वारा लगातार घास खाने की वजह से वो बीमार हो गए हैं और डॉक्टर का कहना है कि अगर इन्हें मांस नहीं दिया गया तो वो मर जायेंगे. इसलिए लोकतंत्र की रक्षा के लिए मुख्यमंत्री का जिंदा रहना ज़रूरी है. लिहाज़ा अब से उनके लिए सुबह के नाश्ते में ताज़ी मुलायम छोटी भेंड़, दिन में पूरी भेंड़ व रात को आधी भेंड़ दी जाएगी. लोकतंत्र की रक्षा के लिए भेंड़ समाज को ये क़ुर्बानी देनी ही होगी. भेंडे़ क्या करतीं अपनी मासूमियत में सब बातें मानती चली गयीं और इस प्रकार जंगल में लोकतंत्र के नाम पर जंगल राज स्थापित हो गया. लोकतंत्र व शासन व्यवस्था पर परसाई के लिखे इस व्यंग्य को आधार बनाकर संदीप यादव ने नाटक 'ऐसी कैसी डेमोक्रेसी’ लिखा है.

ये भी पढ़ें : चीफ सेक्रेटरी ने की महाकुम्भ 2025 की तैयारियों की समीक्षा, दिये निर्देश
नाटक का पात्र परिचय : भेडे़ं-हंसुजा, परी, आनव, तन्वी, यश्विका, सैय्यदा, सूत्रधार- राजमणि, चहक, वर्णया अयान, भेंड़िये-समर, आर्नव, अनाहिता, मुख्यमंत्री भेड़िया-अप्रतिम, सियार-सान्वी, ओजस्वी, रंगे हुए सियार-फातिमा, अमरिषा, अहान, डॉक्टर-आर्ना, संगीत-आलोक श्रीवास्तव, निर्देशन- प्रीती चौहान

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

लखनऊ : 'फेवर फाउंडेशन' व 'पीएस 3' संस्था की ओर से एक महीने की ग्रीष्म कालीन बाल नाट्य कार्यशाला के तहत दो नाटकों का मंचन किया गया. शुक्रवार को नाटक ‘जूलियस सीज़र’ व 'ऐसी कैसी डेमोक्रेसी' का मंचन वाल्मीकि रंगशाला गोमती नगर में किया गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध नाट्य निर्देशक ललित सिंह पोखरिया रहे.

जूलियस सीज़र विलियम शेक्सपियर द्वारा लिखित एक त्रासदी नाटक है. रोम में बढ़ती जा रही जूलियस सीज़र की लोकप्रियता से घबराकर उसके ही करीबी दोस्तों द्वारा उसकी हत्या कर दी जाती है. इस काम को अंजाम देते हैं कैसियस, ब्रूटस, कास्का और डैसियस नाम के अधिकारी. सीज़र ब्रूटस के हाथ में जब अपने लिए खंजर देखता है तो कहता है कि ‘ब्रूटस तुम भी’. ब्रूटस आम जनता को बताता है कि उसने सीज़र को क्यों मारा. जिसके बाद जनता ब्रूटस के साथ हो जाती है, लेकिन तभी सीज़र का दोस्त एंटनी आकर सीज़र की अच्छाई व जनता के प्रति उसकी सोच के बारे में बताता है. अब जनता एंटनी के समर्थन में आ जाती है और ब्रूटस के प्रति विद्रोह शुरू कर देती है.

जिन लोगों ने सीज़र की हत्या की थी, वो सभी देश छोड़कर भाग जाते हैं. इधर एंटनी उनसे बदला लेने के लिए निकलता है, लेकिन कुछ दिनों बाद ही कैसियस और ब्रूटस अपनी ग़लती का एहसास करते हैं और वो आत्महत्या कर लेते हैं. एंटनी ब्रूटस की लाश पर आकर कहता है कि तुमने रोम के उज्जवल भविष्य के लिए सीज़र को मारा था और अब खुद ही रोम को अकेला छोड़ कर चल दिए. इस प्रकार नाटक का अंत होता है. आम जन जीवन में सबसे करीबी दोस्त द्वारा धोखा खाने पर बोली जाने वाली कहावत brutus you too ( ब्रूटस तुम भी) इसी नाटक से प्रचलित हुई थी.

नाटक के पात्र परिचय : जूलियस सीज़र-अनुश्री, ब्रूटस-शिवा, कैसियस-एना, कलिपुर्निया-अमायरा, पोर्शिया-विशिष्ठिका, कास्का–टीया, डैसियस-गर्विता, भविष्यवक्ता-आदित्य, संगीत-आलोक श्रीवास्तव, लाइट-मो हफ़ीज़, मेकअप-शहीर और सचिन, कॉस्ट्यूम व सेट-प्रीती चौहान, नीशू सिंह, सूर्यांश, अनुपम, सहायक निर्देशक-आदित्य, अभिनव, निर्देशन-संदीप यादव


‘ऐसी कैसी डेमोक्रेसी’ नाटक : वहीं दूसरी कहानी ‘ऐसी कैसी डेमोक्रेसी’ नाटक हरिशंकर परसाई द्वारा लिखित कहानी ‘भेंड और भेंडियें’ पर आधारित है. जिसमें जंगल में रहने वाली भेड़ों को ऐसा लगा की बस अब बहुत हो गया जंगल में जंगलराज, अब यहां भी लोकतंत्र होना चाहिए. ये खबर सुनकर भेंडिया समाज दुखी हो गया की अब क्या होगा उनका? तभी चापलूस सियारों ने भेंडियों की परेशानी समझी और तीन रंगे हुए सियारों को तैयार किया. उन रंगे हुए सियारों ने भेंड़ों को बहला फुसलाकर, बड़े बड़े वादे करके समझाया कि भेड़िये अब शाकाहारी हो गये हैं. अब उन्होंने मांस खाना छोड़ दिया है, भेड़िये ही जंगल को सुरक्षा दे सकते हैं. भेंड़े सियारों और भेड़िये की बातों में आ गईं. इस प्रकार जंगल में जब चुनाव हुए तो भेड़ियों की भारी बहुमत से जीत हुई और एक भेड़िये को मुख्यमंत्री बनाया गया. कुछ दिनों तक तो जंगल में लोकतंत्र चलता रहा.

भेड़ों की बातें मानी गईं, लेकिन सत्ता के लालची सियारों ने ये आदेश पारित किया कि मुख्यमंत्री द्वारा लगातार घास खाने की वजह से वो बीमार हो गए हैं और डॉक्टर का कहना है कि अगर इन्हें मांस नहीं दिया गया तो वो मर जायेंगे. इसलिए लोकतंत्र की रक्षा के लिए मुख्यमंत्री का जिंदा रहना ज़रूरी है. लिहाज़ा अब से उनके लिए सुबह के नाश्ते में ताज़ी मुलायम छोटी भेंड़, दिन में पूरी भेंड़ व रात को आधी भेंड़ दी जाएगी. लोकतंत्र की रक्षा के लिए भेंड़ समाज को ये क़ुर्बानी देनी ही होगी. भेंडे़ क्या करतीं अपनी मासूमियत में सब बातें मानती चली गयीं और इस प्रकार जंगल में लोकतंत्र के नाम पर जंगल राज स्थापित हो गया. लोकतंत्र व शासन व्यवस्था पर परसाई के लिखे इस व्यंग्य को आधार बनाकर संदीप यादव ने नाटक 'ऐसी कैसी डेमोक्रेसी’ लिखा है.

ये भी पढ़ें : चीफ सेक्रेटरी ने की महाकुम्भ 2025 की तैयारियों की समीक्षा, दिये निर्देश
नाटक का पात्र परिचय : भेडे़ं-हंसुजा, परी, आनव, तन्वी, यश्विका, सैय्यदा, सूत्रधार- राजमणि, चहक, वर्णया अयान, भेंड़िये-समर, आर्नव, अनाहिता, मुख्यमंत्री भेड़िया-अप्रतिम, सियार-सान्वी, ओजस्वी, रंगे हुए सियार-फातिमा, अमरिषा, अहान, डॉक्टर-आर्ना, संगीत-आलोक श्रीवास्तव, निर्देशन- प्रीती चौहान

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.