ETV Bharat / state

प्रतिबंध के बाद भी बिक रही थाई मांगुर मछलियां, जानें क्या है नुकसान

author img

By

Published : Nov 21, 2020, 3:57 PM IST

Updated : Nov 22, 2020, 11:29 AM IST

अफ्रीका में पाई जाने वाली थाई मांगुर मछलियों के पालन व बिक्री पर भले ही केंद्र सरकार ने रोक लगा रखी हो, पर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में इसका व्यापार खुलेआम हो रहा है.

थाई मांगुर मछली
थाई मांगुर मछली

लखनऊ: अफ्रीका की नदियों में पाई जाने वाली थाई मांगुर मछली को केंद्र सरकार ने भारत में प्रतिबंधित किया है लेकिन इसका पालन और व्यापार लगातार जारी है. लखनऊ के हजरतगंज स्थित नरही की मछली मंडी में खुलेआम यह मछलियां बिक रही हैं. इस बिक्री को रोकने के लिए प्रशासन कोई कदम नहीं उठा रहा है.

थाई मांगुर मछलियां

मछली खाने से होता है कैंसर
जानकार फैजी आब्दी का कहना है कि सरकार भले ही मत्स्य पालन के बड़े-बड़े दावे कर ले पर यह थाई मछली खूब बिक रही है. उन्होंने बताया कि इस मछली को खाने से कैंसर जैसी बीमारियां होती हैं. यह मछली तालाब की तलहटी में रहती है और शीशा और लेड की मात्रा अधिक होने के कारण इन्हें खाने से अल्सरेटिव फिश सिंड्रोम नामक बीमारी होती है, जिससे मस्तिष्क काम नहीं करता है.

खुलेआम बिक रही
लखनऊ में जिस तरह से यह सरकारी मछली मंडी में उतरती है और वन विभाग के दफ्तर के बाहर खुलेआम बिक रही है निश्चित रूप से शर्मनाक है. वहीं, इस बारे में मत्स्य विभाग के सहायक निदेशक अनिल कुमार गुप्ता का कहना है कि यह मछली मांसाहारी है और इसकी ग्रोथ बहुत अधिक है. मत्स्य पालक लालच के कारण इसको पालते हैं. देश में प्रतिबंधित होने के बावजूद भी पड़ोसी देशों के माध्यम से यह भारत आ रही है.

ज्यादा मुनाफे का चक्कर
अफ्रीका की नदियों में पाई जाने वाली यह मछली पूरी तरीके से मांसाहारी है. इस मछली की ग्रोथ बहुत तेज होती है. इसी कारण इस मछली को लोग ज्यादा मुनाफे के चक्कर में पालते हैं.

स्वदेशी मछलियों के अस्तित्व पर संकट
मत्स्य विभाग के सहायक निदेशक अनिल कुमार गुप्ता का कहना है कि निश्चित रूप से ही थाई मांगुर मछली के कारण स्वदेशी मछलियों के अस्तित्व पर संकट आ गया है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने थाई मांगुर मछली को नष्ट करने का भी निर्देश दिया है और जहां कहीं भी हम लोगों को इस बारे में सूचना मिलती है, हम लोग नष्ट कराते हैं.

लखनऊ: अफ्रीका की नदियों में पाई जाने वाली थाई मांगुर मछली को केंद्र सरकार ने भारत में प्रतिबंधित किया है लेकिन इसका पालन और व्यापार लगातार जारी है. लखनऊ के हजरतगंज स्थित नरही की मछली मंडी में खुलेआम यह मछलियां बिक रही हैं. इस बिक्री को रोकने के लिए प्रशासन कोई कदम नहीं उठा रहा है.

थाई मांगुर मछलियां

मछली खाने से होता है कैंसर
जानकार फैजी आब्दी का कहना है कि सरकार भले ही मत्स्य पालन के बड़े-बड़े दावे कर ले पर यह थाई मछली खूब बिक रही है. उन्होंने बताया कि इस मछली को खाने से कैंसर जैसी बीमारियां होती हैं. यह मछली तालाब की तलहटी में रहती है और शीशा और लेड की मात्रा अधिक होने के कारण इन्हें खाने से अल्सरेटिव फिश सिंड्रोम नामक बीमारी होती है, जिससे मस्तिष्क काम नहीं करता है.

खुलेआम बिक रही
लखनऊ में जिस तरह से यह सरकारी मछली मंडी में उतरती है और वन विभाग के दफ्तर के बाहर खुलेआम बिक रही है निश्चित रूप से शर्मनाक है. वहीं, इस बारे में मत्स्य विभाग के सहायक निदेशक अनिल कुमार गुप्ता का कहना है कि यह मछली मांसाहारी है और इसकी ग्रोथ बहुत अधिक है. मत्स्य पालक लालच के कारण इसको पालते हैं. देश में प्रतिबंधित होने के बावजूद भी पड़ोसी देशों के माध्यम से यह भारत आ रही है.

ज्यादा मुनाफे का चक्कर
अफ्रीका की नदियों में पाई जाने वाली यह मछली पूरी तरीके से मांसाहारी है. इस मछली की ग्रोथ बहुत तेज होती है. इसी कारण इस मछली को लोग ज्यादा मुनाफे के चक्कर में पालते हैं.

स्वदेशी मछलियों के अस्तित्व पर संकट
मत्स्य विभाग के सहायक निदेशक अनिल कुमार गुप्ता का कहना है कि निश्चित रूप से ही थाई मांगुर मछली के कारण स्वदेशी मछलियों के अस्तित्व पर संकट आ गया है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने थाई मांगुर मछली को नष्ट करने का भी निर्देश दिया है और जहां कहीं भी हम लोगों को इस बारे में सूचना मिलती है, हम लोग नष्ट कराते हैं.

Last Updated : Nov 22, 2020, 11:29 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.