लखनऊ: आधी रात में घर में घुसकर नाबालिग लड़की के साथ दुराचार का प्रयास करने के आरोपी विजय शुक्ला उर्फ बबलू शुक्ला को पॉक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश अरविंद मिश्रा ने दस वर्ष के कठोर कारावास और एक लाख रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है. अदालत ने अर्थदण्ड की समस्त धनराशि पीड़िता को बतौर हर्जाना दिए जाने का आदेश दिया है.
अदालत ने इस प्रकरण में विवेचक अनुराधा सिंह द्वारा विवेचना में की गई अनियमितता और घोर लापरवाही के प्रति गम्भीर रुख अपनाते हुए न केवल उसके विरुद्ध कठोर टिप्पणी की है बल्कि आदेश की प्रति उचित कार्यवाही के लिए पुलिस कमिश्नर लखनऊ, अपर पुलिस महानिदेशक (अभियोजन), पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश शासन और प्रमुख सचिव गृह उत्तर प्रदेश शासन को अविलम्ब भेजे जाने का आदेश दिया है. अदालत ने अपने निर्णय के पृष्ठ 25 से 27 तक विवेचक अनुराधा सिंह के विरुद्ध कठोर टिप्पणी करते हुए कहा कि विवेचक ने एक महिला होते हुए भी मामले की संवेदनशीलता को गंभीरता से न लेकर लीपापोती की है. यह भी कहा गया कि पीड़िता द्वारा अपने साथ की गई समस्त घटना को विवेचक को बताया था. इसके बावजूद विवेचक द्वारा पीड़िता का कलम बंद बयान मजिस्ट्रेट के समक्ष नहीं कराया.
मामले में अभियोजन की ओर से विशेष अधिवक्ता सुखेन्द्र प्रताप सिंह का तर्क था कि इस घटना की रिपोर्ट गोमती नगर थाने में दर्ज कराई गई थी, जिसमें कहा गया कि 18 अगस्त 2014 को वादी अपनी पत्नी के साथ पपना मऊ आश्रम गया था. कहा गया कि रात करीब एक बजे नशे की हालत में ढोलक देने के बहाने आरोपी विजय शुक्ला वादी के घर में घुस आया तथा पीड़िता के साथ जोर जबरदस्ती करने लगा. यह भी कहा गया है कि पीड़िता द्वारा विरोध करने पर धमकी देता हुआ भाग गया.
यह भी पढ़ें- ट्रेनिंग पूरी कर चुके 11 IPS को यूपी में मिली तैनाती, 17 अक्टूबर को करेंगे ज्वॉइन