लखनऊः आईआरसीटीसी देश की पहली कॉरपोरेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस की रफ्तार पर एक फिर ब्रेक लगाने जा रहा है. 23 नवंबर 2020 से अगले आदेश तक के लिए तेजस एक्सप्रेस के पहिए एक बार फिर थम जाएंगे. पिछले साल चार अक्टूबर से लखनऊ से दिल्ली के बीच तेजस एक्सप्रेस का संचालन शुरू हुआ था. ट्रेन को अच्छा रिस्पॉन्स भी मिल रहा था. लेकिन, कोरोना संकट के कारण हुए लॉक डाउन में ट्रेन का संचालन रोक दिया गया. इसके बाद जब ट्रेन दोबारा शुरू तो कोरोना के ग्रहण ने इसका पीछा नहीं छोड़ा. कोरोना के चलते 7 माह तक यार्ड में खड़ी रही तेजस एक्सप्रेस का 17 अक्टूबर 2020 से दोबारा संचालन शुरू हुआ, लेकिन इसे सवारियां ही नहीं मिलीं. जिसकी वजह से अब इसे बंद करने का फैसला लिया गया है.
घाटे में चल रही थी तेजस
मार्च में जब कोरोना के चलते लॉकडाउन हुआ तो तेजस का संचालन थम गया था. 211 दिन बाद एक बार फिर से तेजस ऑपरेशन के लिए तैयार हुई लेकिन पहले की तुलना में महज 20 से 25 फ़ीसदी यात्री तेजस को मिले. 23 नवंबर के बाद 20 से 30 यात्री ही रोजाना सीटों की बुकिंग करा रहे थे. ऐसे में यात्रियों की कमी और फ्लेक्सी किराए से महंगा सफर यात्रियों को राहत नहीं दे सका, जबकि ट्रेन में यात्री के लिए ढेरों सुविधाएं थीं. घाटे के चलते आईआरसीटीसी की तरफ से रेलवे बोर्ड को तेजस को निरस्त करने संबंधी पत्र भेजा गया था, जिसे रेलवे बोर्ड ने मंजूर कर लिया. इसके बाद 23 नवंबर से तेजस को अगले आदेश तक निरस्त करने का निर्णय लिया गया.
IRCTC को करना पड़ता था 13 लाख का भुगतान
कोरोना के चलते तेजस को यात्री नहीं मिल रहे थे. ऐसे में फायदे के बजाय ट्रेन का संचालन घाटे का सौदा साबित हो रहा था. आईआरसीटीसी प्रबंधन की तरफ से रेलवे अधिकारियों को पत्र लिखकर छूट देने की मांग भी की गई थी, लेकिन रेलवे बोर्ड ने इस मांग को खारिज कर दिया. आईआरसीटीसी के अधिकारियों का कहना है कि तेजस के संचालन होने पर रेलवे को हर माह 13 लाख का भुगतान करना होता है, लेकिन यात्री नहीं मिल रहे थे. इसलिए इतना भुगतान कर पाना संभव नहीं था.