लखनऊ: कोरोना संक्रमण में पंचायत चुनाव ड्यूटी के दौरान संक्रमित होकर जान गंवाने वाले शिक्षकों, शिक्षा मित्रों और अनुदेशकों की मदद के लिए अब साथी शिक्षकों ने हाथ बढ़ाया है. उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने इनके आश्रितों की मदद के लिए एक दिन का वेतन देने की पेशकश की है. पिछले साल कोरोना संक्रमण की पहली लहर में मदद पहुंचाने के लिए सभी शिक्षकों ने अपने एक दिन का वेतन दिया था. ये धनराशि करीब 76 करोड़ रुपये थी. जो कि सरकार को किसी भी सरकारी संस्थान से मिली धनराशि से ज्यादा थी. इस संबंध में संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर दिनेश चंद्र शर्मा की ओर से सरकार को पत्र भेजा गया है.
इसे भी पढ़ें-पंचायत चुनाव में ड्यूटी कर लौटे शिक्षक की मौत, शव लेकर डीएम आवास पर पहुंचे घरवाले
समान रूप से बांट दिया जाए धनराशि
संगठन की ओर से भेजे गए पत्र में एक अप्रैल से 31 मई के बीच दिवंगत शिक्षकों, शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के आश्रितों के खातों में इस राशि को समान रूप से जमा करने का प्रस्ताव रखा गया है. इसके अलावा संगठन की ओर से मृतक आश्रितों को जल्द से जल्द एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा, सरकारी नौकरी के साथ सहायक अध्यापक के पद पर अनुकंपा नियुक्ति में नियमों में शिथिलता दिए जाने की मांग की गई है. संगठन ने यह भी कहा है कि अगर कोई शिक्षक अपना 1 दिन का वेतन देने में असमर्थ है तो वह इस संबंध में संबंधित जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को पत्र भेज सकता है.
इसे भी पढ़ें-कोरोना कर्फ्यू में ढील देने की तैयारी में योगी सरकार, जहां मरीज कम वहां मिल सकती है राहत
मृतकों की संख्या पर है नाराजगी
पंचायत चुनाव ड्यूटी के दौरान संक्रमित होकर जान गंवाने वाले शिक्षकों, शिक्षामित्रों, अनुदेशकों और कर्मचारियों की संख्या को लेकर सरकार और संगठनों में पहले ही खींचातानी चल रही है. संगठन की ओर से यह संख्या जहां 1621 बताई गई है, वहीं सरकार की ओर से दिए गए आंकड़ों में इसे तीन ही बताया गया है. इन हालातों में शिक्षकों के एक अन्य संगठन ने एक दिन का वेतन सरकार को देने के निर्णय से हाथ खींचे हैं. उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन का कहना है कि सरकार पहले ही मृतक शिक्षकों, कर्मचारियों की संख्या स्वीकारने के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में अपना एक दिन का वेतन देना ठीक नहीं होगा.