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यूपी सरकार के इस फैसले से नाराज हैं एडेड स्कूलों के शिक्षक, काली पट्टी बांध जताई नाराजगी

प्रदेश में कक्षा 9 से 12 तक शुरु हुई ऑफलाइन क्लासेस को लेकर स्कूल शिक्षक नाराज हैं. उनका आरोप है कि सरकार के इस फैसले से वह बंधुआ मजदूर बन गए हैं. सरकार के इस फैसले के विरोध में प्रदेशभर के सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में शिक्षकों ने काली पट्टी बांधकर अपनी नाराजगी जताई है.

नाराज हैं एडेड स्कूलों के शिक्षक
नाराज हैं एडेड स्कूलों के शिक्षक
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Published : Aug 18, 2021, 5:35 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कक्षा 9 से 12 तक की ऑफलाइन क्लासेस शुरु हो गई है. दो पालियों में स्कूलों को चलाया जा रहा है. मगर प्रदेश सरकार का यह फैसला सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए मुसीबत का सबब बन गया है. दरअसल, पहले ही स्कूलों में शिक्षकों की कमी उपर से साढ़े आठ घंटे तक स्कूल में ड्यूटी करनी पड़ रही है. इसको लेकर शिक्षकों में नाराजगी है. नाराज शिक्षकों की ओर से इस मामले को विधान परिषद की बैठक में उठाया गया. आरोप है कि सरकार के इस फैसले से उनकी हालत बंधुआ मजदूरों से भी ज्यादा खराब हो गई.




माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री एवं प्रवक्ता डॉक्टर आरपी मिश्रा ने बताया कि प्रदेश सरकार ने दो पालियों में सुबह 8:00 से 12:00 तथा दोपहर 12:30 से 4:30 तक स्कूल संचालित करने के निर्देश जारी किए हैं. इसमें कक्षा 9 से 12 तक के 50% छात्र एक पाली में और बाकी 50% छात्र दूसरी पाली में आएंगे. डॉक्टर आरपी मिश्रा ने बताया कि सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की संख्या सीमित है. ऐसे में सुबह 8:00 बजे स्कूल पहुंचने वाले शिक्षक को शाम 4:30 बजे तक क्लासेस का संचालन करना पड़ रहा है. इसे प्रभावी रूप से लागू कर पाना भी संभव नहीं है.

नाराज हैं एडेड स्कूलों के शिक्षक
डीएवी कॉलेज के शिक्षक सुनील श्रीवास्तव कहते हैं कि पढ़ाना उनकी जिम्मेदारी है, इसीलिए वह नियमित कक्षाओं का संचालन कर रहे हैं लेकिन सरकार का यह फैसला भी शिक्षकों के हित में नहीं है. इसलिए अपना विरोध दर्ज कराने के लिए हाथ पर काली पट्टी बांधकर स्कूल का संचालन किया जा रहा है. डीएवी कॉलेज के शिक्षक अशोक कुमार ने बताया कि दूसरी पाली में छात्रों की ओर से भी रुचि नहीं दिखाई जा रही है. उन्होंने बताया कि सरकारी सहायता प्राप्त और राजकीय स्कूलों में पढ़ने वाले ज्यादातर छात्र-छात्राएं गरीब परिवारों से हैं. सुबह कक्षाएं करने के बाद वह कहीं न कहीं नौकरी या काम करते हैं. अब दूसरी पाली में बुलाए जाने पर उनकी उपस्थिति बेहद कम रहती है.
4,500 से ज्यादा स्कूलों में 50,000 शिक्षक
उत्तर प्रदेश में सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों की संख्या करीब 4500 तक है. इनमें पढ़ाने वाले के शिक्षकों की संख्या 50 हजार के आसपास है. ऐसे में प्रदेश सरकार की तरफ से की गई इस व्यवस्था से एक बड़ा तबका नाराज है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कक्षा 9 से 12 तक की ऑफलाइन क्लासेस शुरु हो गई है. दो पालियों में स्कूलों को चलाया जा रहा है. मगर प्रदेश सरकार का यह फैसला सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए मुसीबत का सबब बन गया है. दरअसल, पहले ही स्कूलों में शिक्षकों की कमी उपर से साढ़े आठ घंटे तक स्कूल में ड्यूटी करनी पड़ रही है. इसको लेकर शिक्षकों में नाराजगी है. नाराज शिक्षकों की ओर से इस मामले को विधान परिषद की बैठक में उठाया गया. आरोप है कि सरकार के इस फैसले से उनकी हालत बंधुआ मजदूरों से भी ज्यादा खराब हो गई.




माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री एवं प्रवक्ता डॉक्टर आरपी मिश्रा ने बताया कि प्रदेश सरकार ने दो पालियों में सुबह 8:00 से 12:00 तथा दोपहर 12:30 से 4:30 तक स्कूल संचालित करने के निर्देश जारी किए हैं. इसमें कक्षा 9 से 12 तक के 50% छात्र एक पाली में और बाकी 50% छात्र दूसरी पाली में आएंगे. डॉक्टर आरपी मिश्रा ने बताया कि सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की संख्या सीमित है. ऐसे में सुबह 8:00 बजे स्कूल पहुंचने वाले शिक्षक को शाम 4:30 बजे तक क्लासेस का संचालन करना पड़ रहा है. इसे प्रभावी रूप से लागू कर पाना भी संभव नहीं है.

नाराज हैं एडेड स्कूलों के शिक्षक
डीएवी कॉलेज के शिक्षक सुनील श्रीवास्तव कहते हैं कि पढ़ाना उनकी जिम्मेदारी है, इसीलिए वह नियमित कक्षाओं का संचालन कर रहे हैं लेकिन सरकार का यह फैसला भी शिक्षकों के हित में नहीं है. इसलिए अपना विरोध दर्ज कराने के लिए हाथ पर काली पट्टी बांधकर स्कूल का संचालन किया जा रहा है. डीएवी कॉलेज के शिक्षक अशोक कुमार ने बताया कि दूसरी पाली में छात्रों की ओर से भी रुचि नहीं दिखाई जा रही है. उन्होंने बताया कि सरकारी सहायता प्राप्त और राजकीय स्कूलों में पढ़ने वाले ज्यादातर छात्र-छात्राएं गरीब परिवारों से हैं. सुबह कक्षाएं करने के बाद वह कहीं न कहीं नौकरी या काम करते हैं. अब दूसरी पाली में बुलाए जाने पर उनकी उपस्थिति बेहद कम रहती है.
4,500 से ज्यादा स्कूलों में 50,000 शिक्षक
उत्तर प्रदेश में सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों की संख्या करीब 4500 तक है. इनमें पढ़ाने वाले के शिक्षकों की संख्या 50 हजार के आसपास है. ऐसे में प्रदेश सरकार की तरफ से की गई इस व्यवस्था से एक बड़ा तबका नाराज है.
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