लखनऊ : राजधानी समेत प्रदेश के सरकारी और सहायता प्राप्त विद्यालयों में पढ़ाने वाले हजारों शिक्षक कोरोना संक्रमण के बीच आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं. बेसिक शिक्षा परिषद और माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से वेतन न दिए जाने के चलते यह स्थितियां सामने आई हैं. आलम यह है कि किसी की बैंक की किस्तें बाउंस हो रही है तो कईयों के पास घर चलाने के लिए पैसा नहीं है.
इन वजहों से नहीं मिल रहा वेतन
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला मीडिया प्रभारी हरि शंकर राठौर ने बताया कि सिर्फ राजधानी में अलग-अलग कारणों से सैकड़ों की संख्या में शिक्षकों को वेतन नहीं मिल पाया है. कई ऐसे शिक्षक है, जिन्हें हाल में ही नियुक्तियां मिली हैं. वे करीब 6 महीने से नौकरी भी कर रहे हैं. लेकिन, विभाग की ओर से विभिन्न औपचारिकताओं के चलते इनका वेतन फंसाया हुआ है. यही स्थिति दूसरे जिलों से स्थानांतरण के माध्यम से आने वाले शिक्षकों की है. विभागीय सामंजस्य न हो पाने के कारण अभी तक इनके वेतन वितरण की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है. इन दोनों के अलावा एक वर्ग ऐसे शिक्षकों का भी है जिनका विवरण और उपस्थिति मानव संपदा पोर्टल पर पूरी तरह से अपडेट न होने के चलते वेतन रोक दिया गया.
'सभी के लिए यह आपदा का समय है'
उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव का कहना है कि विभागीय उदासीनता के कारण प्रदेश के हजारों नव नियुक्त शिक्षकों को इस कोरोना महामारी में वेतन मिलना शुरू नहीं हो सका है, जिसके कारण उनके सामने आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हो चुकी हैं. उनका कहना है कि आपदा के इस दौर में सभी इस महामारी से परेशान है. बावजूद इसके अधिकारी अपने शिक्षकों की समस्याओं की अनदेखी कर रहे हैं.
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राजधानी के माध्यमिक स्कूलों में भी संकट
माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश मंत्री डॉक्टर आरपी मिश्रा ने बताया कि राजधानी के कई सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन अभी तक फंसा है. इस संबंध में लगातार माध्यमिक शिक्षा विभाग और उसके जिम्मेदारों से संपर्क किया जा रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि अगले एक हफ्ते में सभी का वेतन जारी हो जाएगा.