मेरठ: उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर जहां निर्वाचन आयोग ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं वहीं ग्राम प्रधान और जिला पंचायत के लिए राजनीतिक दल भी चुनाव की तैयारियों में जुट गए है. चुनाव की तारीख आते ही सत्तारूढ़ बीजेपी ही नही विपक्षी दलों में चुनावी सरगर्मियां बढ़ गई है. सभी पार्टियों में टिकट बंटवारे को लेकर बैठकों का दौर शुरू हो गया है. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ बीजेपी ने जिले के मुख्य पदाधिकारियों के चुनाव लड़ने के लिए न सिर्फ नया फरमान जारी किया है बल्कि चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के लिए विशेष गाइडलाइन भी जारी की है.
प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि बीजेपी के जिलाध्यक्ष और महामंत्री चुनाव लड़ना चाहते हैं, तो वे अपने पद से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ सकते हैं. हालांकि पार्टी ने पदाधिकारियों को टिकट नहीं देकर कार्यकर्ताओं को प्रत्याशी बनाने का फैसला लिया है. सूबे के 75 जिलों से आने वाली संभावित प्रत्याशियों की सूची पहले संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय पर मंगवाई जा रही है, जहां से छंटनी के बाद प्रदेश कार्यलय पर फाइनल मुहर लगाने का काम चल रहा है.
3051 वार्डो के चुनाव लड़ेगी बीजेपी
उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष पदों पर बीजेपी को नजर टिकी हुई है. प्रदेश 75 जिलों में जहां 3051 जिला पंचायत वार्डो में चुनाव के लिए प्रत्याशी घोषित किए जा रहे है. वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष पद को लेकर गंभीर है, जिसके चलते जिला पंचायत सदस्य पदों के लिए समर्थित उम्मीदवारों की सूची जारी की जा रही है. चुनावी मैदान में भाजपा ने जिताऊ उम्मीदवारों के चयन के लिए गाइडलाइन तय कर दी है. त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के प्रथम और द्वितीय चरण के उम्मीदवारों का चयन करने के लिए जिलों में बैठकों का दौर चल रहा है.
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कार्यकर्ताओं को चुनाव लड़ाना प्राथमिकता
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह सभी जिलों पर निगरानी रखे हुए हैं। प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के मुताबिक इस बार पंचायत चुनाव में अधिक से अधिक कार्यकर्ताओं को प्रत्याशी के रूप में उतारना पार्टी की प्राथमिकता है. यही वजह है कि पार्टी हाईकमान ने क्षेत्रीय एवं जिला स्तर के अध्यक्ष और महामंत्री को टिकट देने की बजाए कार्यकर्ताओं को चुनाव में उतारने का फैसला लिया है. इतना ही नहीं पंचायत चुनाव की तैयारियों के लिए नियुक्त किए संयोजक एवं सहसंयोजकों पर के लिए भी यह नियम लागू किया गया है.
अच्छी छवि के कार्यकर्ता लड़ेंगे चुनाव
प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने बताया कि "विधायकों और सांसदों को न सिर्फ अपने क्षेत्र में रहने के निर्देश दिए गए हैं बल्कि परिजनों के बजाए कार्यकर्ताओ को चुनाव लड़ने का मौका देने को कहा गया है, जिससे कार्यकर्ताओं का हौंसला तो बढ़ेंगा ही साथ ही शक्रिय कार्यकर्ताओं की सक्षम टीम तैयार हो और संगठन को भी मजबूती मिलेगी, पार्टी पर परिवारवाद के आरोप भी नही लगेंगे." उन्होंने कहा कि "प्रत्याशी चयन के लिए स्थानीय स्तर पर सामाजिक संतुलन का भी ध्यान रखा जा रहा है. सभी वर्गों के प्रत्याशी की छवि, समर्पण और क्षमता की परख के बाद ही टिकट दिया जा रहा है. अन्य पिछड़ों के साथ युवाओं और महिलाओं को भी वरीयता दी गई है."
मंत्री और सांसदों की मौजूदगी में होगा नामांकन
वहीं प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पंचायत चुनाव प्रभारी विजय बहादुर पाठक ने बताया कि प्रत्याशियों का चयन चरणवार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि चुनाव में समर्थकों की भारी भीड़ के साथ पंचायत सदस्यों का नामांकन किया जाएगा. सभी जिलों के स्थानीय नेताओं औऱ जनप्रतिनिधियों को नामांकन के समय गृह जनपदों में रहने के निर्देश दिए गए है. मंत्री और सांसदो को भी जिला पंचायत सदस्यों के नामांकन के वक्त साथ रहने को कहा गया है, जिससे पार्टी का न सिर्फ शक्ति प्रदर्शन दिखेगा बल्कि प्रत्याशियों का हौसला भी बढ़ेगा.