लखनऊ: राजधानी में शनिवार को अन्तर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर एक वृहद वर्चुअल/ ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में प्रदेश के समस्त जिलों से प्रतिभागियों को जोड़ा गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रम एवं सेवायोजन मंत्री, स्वामी प्रसाद मौर्य ने प्रदेश भर के बाल श्रम से सम्बन्धित परिवारों व बाल श्रम पर कार्य कर रहे सरकारी व गैर सरकारी संगठनों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि बाल श्रम प्रदेश सरकार के लिए एक चुनौती है और सभ्य समाज के लिए अभिशाप है.
जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कराने के निर्देश
इस दौरान उन्होंने कहा कि उप्र सरकार बाल श्रम उन्मूलन के लिए संकल्पित है और विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से जोड़कर उनके परिवारों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाती है तथा बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़कर उन्हें शिक्षित कराती है. श्री मौर्य ने तत्काल सभी नियोक्ता संगठनों व श्रमिक संगठनों की बाल श्रम विषय पर क्षमतावृद्धि व जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कराये जाने के भी निर्देश दिये. इस अवसर पर श्री मौर्य ने विभिन्न जिलो से बाल श्रम से अवमुक्त कराये बच्चों व उनके अभिभावकों से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि बाल श्रमिक परिवार के ऐसे सदस्य जो निर्माण श्रमिक की पात्रता रखते हैं, को उप्र भवन व अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की योजनाओं से जोड़ा जायेगा. साथ ही शेष श्रमिकों को उप्र सामाजिक सुरक्षा बोर्ड की योजनाओं से जोड़ा जायेगा. जिसका शुभारम्भ 07 जून को मुख्यमंत्री द्वारा किया गया था. कार्यक्रम का संचालन सैय्यद रिज़वान अली, राज्य समन्वयक ने किया. कार्यक्रम में उपस्थित अपर मुख्य सचिव, श्रम, सुरेश चन्द्रा ने कहा कि श्रम विभाग प्रदेश में बाल श्रम उन्मूलन के लिए विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों के माध्यम से लगातार प्रयास कर रहा है.
बच्चों को बाल श्रम में धकेले जाने का खतरा
उप्र शासन के निर्देशों के अनुसार सभी जिलाधिकारी प्रत्येक तिमाही में बाल श्रमिकों के चिन्हांकन व उनके पुनर्वासन के लिए विशेष अभियान का संचालन करते हैं. कार्यक्रम में यूनीसेफ चीफ लखनऊ रूथ लियानो ने कहा कि बाल श्रम पर हाल के ही विश्व रिपोर्ट यह चेतावनी देती है कि वैश्विक स्तर पर माहमारी के परिणामस्वरूप 2022 के अन्त तक 9 मिलियन अतिरिक्त बच्चों को बाल श्रम में धकेले जाने का खतरा है. यदि महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा उन तक नही पुहंचती है तो यह संख्या और भी बढ़ सकती है. उन्होने आईएलओ और यूनीसेफ के ओर से बाल श्रम में वृद्धि की वर्तमान प्रवृत्ति को रोकने का आग्रह किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्वामी प्रसाद मौर्या, मंत्री, श्रम एवं सेवायोजन, उप्र सरकार ने कहा कि हमारी सरकार प्रदेश में बाल श्रम उन्मूलन के लिए संकल्पित है तथा हमारा प्रयास है कि हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराएं.
विद्यालयों में कराया जाए एडमिशन
उन्होंने कहा कि इसके लिए आवश्यक है कि ऐसे बच्चे जो विभिन्न आर्थिक/परिवारिक कारणों से बाल श्रम में संलिप्त हैं उन्हें बाल श्रम से अवमुक्त कराकर विद्यालयों में एडमिशन कराएं. साथ ही उनके परिवार के वयस्क सदस्यों को सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित कराएं ताकि वह आर्थिक कारणों से अपने बच्चों को कार्य पर न भेजे और उन्हें अच्छी शिक्षा दिलाएं. इस अवसर पर अपर श्रमाुयक्त उप्र फैसल आफताब, गौरव कुमार, अभियन्ता विधुत एवं यान्त्रिंक, सैय्यद रिज़वान अली, राज्य समन्वयक द्वारा प्रतिभाग किया गया.
बाल श्रम प्रदेश सरकार के लिए एक चुनौती, सभ्य समाज के लिए अभिशाप: स्वामी प्रसाद मौर्या
राजधानी में शनिवार को अन्तर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर एक वृहद वर्चुअल/ ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रम एवं सेवायोजन मंत्री, स्वामी प्रसाद मौर्य थे.
लखनऊ: राजधानी में शनिवार को अन्तर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर एक वृहद वर्चुअल/ ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में प्रदेश के समस्त जिलों से प्रतिभागियों को जोड़ा गया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रम एवं सेवायोजन मंत्री, स्वामी प्रसाद मौर्य ने प्रदेश भर के बाल श्रम से सम्बन्धित परिवारों व बाल श्रम पर कार्य कर रहे सरकारी व गैर सरकारी संगठनों को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि बाल श्रम प्रदेश सरकार के लिए एक चुनौती है और सभ्य समाज के लिए अभिशाप है.
जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कराने के निर्देश
इस दौरान उन्होंने कहा कि उप्र सरकार बाल श्रम उन्मूलन के लिए संकल्पित है और विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से जोड़कर उनके परिवारों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाती है तथा बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़कर उन्हें शिक्षित कराती है. श्री मौर्य ने तत्काल सभी नियोक्ता संगठनों व श्रमिक संगठनों की बाल श्रम विषय पर क्षमतावृद्धि व जागरूकता कार्यक्रम आयोजित कराये जाने के भी निर्देश दिये. इस अवसर पर श्री मौर्य ने विभिन्न जिलो से बाल श्रम से अवमुक्त कराये बच्चों व उनके अभिभावकों से बातचीत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि बाल श्रमिक परिवार के ऐसे सदस्य जो निर्माण श्रमिक की पात्रता रखते हैं, को उप्र भवन व अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की योजनाओं से जोड़ा जायेगा. साथ ही शेष श्रमिकों को उप्र सामाजिक सुरक्षा बोर्ड की योजनाओं से जोड़ा जायेगा. जिसका शुभारम्भ 07 जून को मुख्यमंत्री द्वारा किया गया था. कार्यक्रम का संचालन सैय्यद रिज़वान अली, राज्य समन्वयक ने किया. कार्यक्रम में उपस्थित अपर मुख्य सचिव, श्रम, सुरेश चन्द्रा ने कहा कि श्रम विभाग प्रदेश में बाल श्रम उन्मूलन के लिए विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों के माध्यम से लगातार प्रयास कर रहा है.
बच्चों को बाल श्रम में धकेले जाने का खतरा
उप्र शासन के निर्देशों के अनुसार सभी जिलाधिकारी प्रत्येक तिमाही में बाल श्रमिकों के चिन्हांकन व उनके पुनर्वासन के लिए विशेष अभियान का संचालन करते हैं. कार्यक्रम में यूनीसेफ चीफ लखनऊ रूथ लियानो ने कहा कि बाल श्रम पर हाल के ही विश्व रिपोर्ट यह चेतावनी देती है कि वैश्विक स्तर पर माहमारी के परिणामस्वरूप 2022 के अन्त तक 9 मिलियन अतिरिक्त बच्चों को बाल श्रम में धकेले जाने का खतरा है. यदि महत्वपूर्ण सामाजिक सुरक्षा उन तक नही पुहंचती है तो यह संख्या और भी बढ़ सकती है. उन्होने आईएलओ और यूनीसेफ के ओर से बाल श्रम में वृद्धि की वर्तमान प्रवृत्ति को रोकने का आग्रह किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि स्वामी प्रसाद मौर्या, मंत्री, श्रम एवं सेवायोजन, उप्र सरकार ने कहा कि हमारी सरकार प्रदेश में बाल श्रम उन्मूलन के लिए संकल्पित है तथा हमारा प्रयास है कि हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराएं.
विद्यालयों में कराया जाए एडमिशन
उन्होंने कहा कि इसके लिए आवश्यक है कि ऐसे बच्चे जो विभिन्न आर्थिक/परिवारिक कारणों से बाल श्रम में संलिप्त हैं उन्हें बाल श्रम से अवमुक्त कराकर विद्यालयों में एडमिशन कराएं. साथ ही उनके परिवार के वयस्क सदस्यों को सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं से लाभान्वित कराएं ताकि वह आर्थिक कारणों से अपने बच्चों को कार्य पर न भेजे और उन्हें अच्छी शिक्षा दिलाएं. इस अवसर पर अपर श्रमाुयक्त उप्र फैसल आफताब, गौरव कुमार, अभियन्ता विधुत एवं यान्त्रिंक, सैय्यद रिज़वान अली, राज्य समन्वयक द्वारा प्रतिभाग किया गया.