लखनऊ: बीते शनिवार को लखनऊ विश्वविद्यालय कर्मचारी परिषद के चुनाव को लेकर अध्यक्ष पद के प्रत्याशी ने सवाल उठाए हैं. कर्मचारी परिषद के नवीन कार्यकारिणी के चुनाव (Lucknow University Staff Council Election) को लेकर अध्यक्ष पद प्रत्याशी रिंकू राय ने सवाल खड़े किये और विश्वविद्यालय प्रशासन के सामने आपत्ति जतायी है. इसकी लिखित और ईमेल के माध्यम से शिकायत कुलपति, कुलसचिव और चुनाव अधिकारी को भेजा है, साथ ही उन्होंने मतों को लेकर संशय जताया है.
बता दें कि लखनऊ विश्वविद्यालय कर्मचारी परिषद के नवीन कार्यकारिणी का चुनाव 29 अप्रैल को मतदान के माध्यम से किया गया था. इस चुनाव में 1295 कर्मियों ने मतदान किया था. 1295 कर्मियों ने अध्यक्ष, महामंत्री, उपाध्यक्ष, संगठन मंत्री, कोषाध्यक्ष, मंत्री, प्रचार मंत्री एवं सदस्य पद के प्रत्याशियों को अपना वोट दिया था लेकिन अध्यक्ष पद पर सभी वैध और अवैध मतों की गणना केवल 1292 की गयी. लविवि कर्मचारी परिषद के हुए चुनाव मेबअध्यक्ष पद के प्रत्याशी रिंकू राय का कहना है कि चुनाव में कुल 1295 मत पड़े थे. लेकिन अध्यक्ष पद पर केवल 1292 मतों की ही गणना की गयी.
अध्यक्ष पद पर हार और जीत में केवल एक वोट का ही अंतर है, जबकि तीन मतपत्रों की गणना न होने से चुनाव की वैधानिकता पर भी प्रश्न उठ रहा है. तीन मत पत्रों की वर्तमान स्थिति की जानकारी चुनाव अधिकारी द्वारा नहीं दी गयी कि इन तीन मत पत्रों में मतदान किस प्रत्याशी के पक्ष में किया गया. चुनाव अधिकारी इसकी जानकारी देने बच रहे है. रिंकू ने बताया कि परिषद के संविधान में उल्लिखित है कि केवल कर्मचारी ही चुनाव में भाग ले सकता है. इसका अनुपालन नहीं किया गया. सेवानिर्वित्त कर्मियों को चुनाव में मतदान करने के लिए मान्यता दी गयी. उन्होंने कहा कि मेरी ओर से लिखित रूप से दिए गए प्रत्यावेदन पर चुनाव अधिकारी और विश्वविद्यालय अधिकारियों ने गंभीरता नहीं दिखायी.
रिंकू राय ने बताया कि शेष तीन मत पत्र किस प्रत्याशी के पक्ष में पड़े, इसकी जानकारी चुनाव अधिकारी द्वारा अभी तक नहीं दी गयी. मतगणना के बाद औपचारिक घोषणा से पूर्व बार-बार मेरे द्वारा चुनाव अधिकारी से मौखिक रूप से यह अनुरोध किया गया. इन तीन पत्रों की वर्तमान स्थिति से अवगत करायें कि तीन पत्रों में मतदान किस प्रत्याशी के पक्ष में किया गया है. 24 घंटा व्यतीत हो जाने के बाद भी चुनाव अधिकारी द्वारा अभी तक मुझे लिखित रूप से यह जानकारी नहीं उपलब्ध करायी गयी है कि जब कुल 1295 मत पड़े, तो अध्यक्ष पद पर केवल 1292 ही क्यों गणना की गयी. चूंकि अध्यक्ष पद पर हार जीत का अंतर एक ही वोट है.
ऐसी स्थिति में चुनाव अधिकारी को स्पष्ट करना चाहिए कि तीन मत पत्रों में मतदान किसके पक्ष में कर्मचारियों ने किया और वह मतपत्र कहां और किस स्थिति में हैं. वहीं नियमानुसार सेवा निर्वित्त कर्मचारी मतदान नहीं कर सकता है. फिर भी सेवा निर्वित्त कर्मियों को मतदान के लिए अनुमति दी गयी. मेरे द्वारा इसकी लिखित रूप से जानकारी भी चुनाव अधिकारी को दी गयी, जिसे उनके द्वारा गंभीरता नहीं लिया गया. चुनाव अधिकारी से अपील है कि अधिकारिक रूप से चुनाव में अध्यक्ष पद पर निर्वाचन की घोषणा तब तक न की जाए जब तक तीन मतों की गणना न हो जाए.
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