लखनऊ: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पंजाब की रोपड़ जेल में बंद बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को 2 हफ्ते में उत्तर प्रदेश की जेल में शिफ्ट किया जाएगा. पंजाब सरकार को झटका देते हुए कोर्ट ने मुख्तार को शिफ्ट करने का आदेश दिया. अंसारी जनवरी 2019 से पंजाब में रूपनगर जिला जेल में बंद है. मुख्तार ने कोर्ट को बताया था की वो उत्तर प्रदेश के जेल में नहीं जाना चाहते क्योंकि वहां उन्हें जान का खतरा है. सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने बताया कि 15 दिन के भीतर अंसारी को यूपी पुलिस को सौंपा जाएगा.
मुख्तार के प्रतिनिधि ने दी प्रतिक्रिया
मुख्तार अंसारी के UP आने पर इनके प्रतिनिधि आनन्द यादव ने भी कहा कि हम माननीय कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा कि "माननीय कोर्ट के फैसले का हम सम्मान करते हैं. हमें कोर्ट पर भरोसा है. मुख्तार अंसारी पिछले 16 वर्षों से जेल में हैं. उन्होंने कई वर्ष यूपी के जेल में गुजारे हैं. जो डर है वह तो ऊपर वाले के हाथ में हैं. ऐसे में उन्हें यूपी के जेल में कोई खतरा नहीं है. हमें ईश्वर पर भरोसा है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का बीजेपी ने किया स्वागत
भाजपा के प्रवक्ता हरीश चंद श्रीवास्तव ने कहा कि मुख्तार अंसारी के ऊपर 38 से अधिक मुकदमें यूपी में दर्ज है. न्याय का तकाजा था कि उत्तर प्रदेश में उनका ट्रायल हो. राज्य की योगी सरकार लगातार न्यायालय में अप्रोच कर रही थी, लेकिन पंजाब की कांग्रेसी सरकार पूरी तरह से अपराधियों के संरक्षण के लिए बेनकाब हुई है. भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में मुख्तार मुख्य आरोपी हैं. उनकी पत्नी अलका राय जो मौजूदा समय में विधायक हैं उन्होंने भी कांग्रेस नेतृत्व को कई बार पत्र लिखा है. उनसे अनुरोध किया कि उन्हें न्याय मिले. इसके बावजूद कांग्रेस की आंख नहीं खुली. वह अपराधियों को संरक्षण देती रही. सुप्रीम कोर्ट ने आज जो फैसला दिया है, वह पूरी तरह से स्वागत योग्य है.
यूपी में दर्ज हैं कई मामले
मुख्तार अंसारी पर उत्तर प्रदेश में कई आपराधिक मामले दर्ज हैं और वहां की पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में उसे रोपड़ जेल से यूपी की गाजीपुर जेल में स्थानांतरित करने की मांग की थी. यूपी पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में दी गई याचिका में कहा था कि पंजाब सरकार एक गैंगस्टर को बचाने का प्रयास कर रही है, जबकि पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि स्वास्थ्य कारणों के चलते अंसारी को फिलहाल रोपड़ जेल से स्थानांतरित नहीं किया जा सकता.
1991 में पुलिस की गिरफ्त में आया मुख्तार
साल 1991 में मुख्तार अंसारी चंदौली पुलिस की गिरफ्त में आया, जहां से दो पुलिस वालों को गोली मारकर फरार होने का आरोप लगा. मुख्तार अंसारी ने साल 1995 में राजनीति में एंट्री ली 1996 में पहला चुनाव बसपा की टिकट से लड़ा और मऊ से विधायक बन गया. मुख्तार पर 1996 में तत्कालीन एएसपी उदय शंकर पर जानलेवा हमला करने का भी आरोप लगा. पूर्वांचल के कोयला व्यापारी रूंगटा का अपहरण करने पर साल 1997 में मुख्तार अंसारी का नाम देश भर की सुर्खियों में रहा.
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बृजेश सिंह के गुर्गों के साथ खूनी संघर्ष
साल 2002 में मुख्तार की गैंग और बृजेश सिंह के गुर्गों के साथ खूनी संघर्ष हो गया, जिसमें मुख्तार के 3 गुर्गे मारे गए. वहीं बृजेश सिंह के घायल होने की खबर फैल गई. कई महीनों तक बृजेश सिंह अंडर ग्राउंड रहा, जिससे मुख्तार अंसारी का पूर्वांचल में दबदबा कायम हो गया. एक बार फिर पूर्वांचल में बृजेश सिंह की एंट्री होती है, उधर मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को भाजपा के प्रत्याशी कृष्णानंद राय ने चुनावी मैदान में चित कर दिया. साल 2005 में मुख्तार अंसारी को जेल हो गई.
बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या करवाने का आरोप
गाजीपुर में 29 नवंबर 2005 की शाम को भांवरकोल क्षेत्र के बसनिया पुलिया की करीब अपराधियों ने AK-47 से बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय और उनके छह साथियों को गोली से भून दिया था. इसमें उनके साथ मुहम्मदाबाद से पूर्व ब्लॉक प्रमुख श्यामशंकर राय, अखिलेश राय, भांवरकोल ब्लॉक के मंडल अध्यक्ष रमेश राय, शेषनाथ पटेल, मुन्ना यादव और उनके बॉडीगार्ड निर्भय नारायण की हत्या कर दी गई थी.मुख्तार पर बीजेपी एमएलए कृष्णानंद राय की हत्या करवाने का आरोप लगा.
वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ा था मुख्तार
2008 में ही मुख्तार अंसारी ने जेल में रहते हुए ही बसपा का दामन थाम लिया. मायावती ने मुख्तार को निरापराध मानते हुए पार्टी में शामिल कर लिया. लोकसभा चुनाव 2009 में मुख्तार अंसारी ने वाराणसी से मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ नामांकन दाखिल किया. चुनाव में मुख्तार अंसारी को हार का मुंह देखना पड़ा. चुनावी अखाड़े में करारी शिकस्त मिली तो समय रहते मायावती ने मुख्तार अंसारी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया.