लखनऊ: अयोध्या के बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सीबीआई की विशेष कोर्ट में 31 अगस्त तक सुनवाई पूरी किए जाने का सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है. भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष व उप प्रधानमंत्री रहे लालकृष्ण आडवाणी सहित तमाम बड़े नेता बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आरोपी हैं. ऐसे प्रमुख लोगों की तरफ से सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में मुकदमे की पैरवी करने वाले मुख्य अधिवक्ता केके मिश्रा से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की.
जब न्यायालय में नहीं हो सकी पूरी सुनवाई
मुख्य अधिवक्ता केके मिश्रा ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि इस समय 45 दिन से लॉकडॉउन की वजह से कोर्ट बंद चल रहा था. इसके पहले 20 न्यायाधीश ने सारे एविडेंस क्लोज कर 313 के अंतर्गत प्रश्न बनाने का आदेश दिया था, जिसमें न्यायालय ने 1,044 प्रश्नों का 313 तैयार किया. इसके पूर्व ही मैंने चार अन्य गवाहों को जो पूर्व में पेश हो चुके थे, उनको फिर से परीक्षित करने के लिए दोबारा एक एप्लीकेशन दी थी, लेकिन उस दिन न्यायालय अवकाश होने के कारण उस पर सुनवाई नहीं हो पाई. उसका मूल कारण यह रहा कि इसके बाद न्यायालय अवकाश पर रहा.
अधिवक्ता केके मिश्रा ने बताया कि, 'उसके बाद परिस्थितियां विपरीत हो गईं और इस महामारी की वजह से न्यायालय बंद हो गए. वह एप्लीकेशन हमारी आज भी चार गवाहों को पुनः पेश करने के लिए पेंडिंग पड़ी हुई है, लेकिन 1,044 प्रश्नों का 313 आफ्टर एविडेंस तैयार करके न्यायालय में रख दिया गया है, जिसकी कॉपी अभियुक्त के अधिवक्ता होने के चलते कोर्ट द्वारा मुझे उपलब्ध करा दी गई है.
अभियुक्तों के विरुद्ध नहीं बनता कोई केस
मुख्य अधिवक्ता केके मिश्रा ने कहा कि साक्ष्य का जहां तक प्रश्न है, इसमें पूर्व में भी मैं कह चुका हूं. मुझे तो लगता है पेपर के एविडेंस और वीडियोग्राफी के एविडेंस पर और कुछ कल्पना के आधार पर प्रॉसीक्यूशन की तरफ से एविडेंस तैयार किए गए थे. जो अभी तक एविडेंस आए हैं, मुझे पढ़ने से लगता है कि ऐसा कोई मामला ऐसी किसी धाराओं में मेरे अभियुक्तों के विरुद्ध कोई भी केस नहीं बनता है, जहां तक मैं अभी तक अध्ययन के पश्चात कह सकता हूं.
सीबीआई कोर्ट में जो गवाह की लिस्ट दी गई थी, उनकी गवाही हुई. उसमें तमाम सारे लोगों की मृत्यु हो गई या बहुत सारे लोग मिले नहीं, इस सवाल पर मुख्य अधिवक्ता केके मिश्रा कहते हैं कि उन लोगों की गवाही तो ड्रॉप कर दी गई थी. जो लोग ट्रेस नहीं हुए, उन्हें प्रोसीडिंग से हटा दिया गया था. न्यायालय ने उन्हें पूरी तरह से डिस्चार्ज कर दिया था.
प्रॉसीक्यूशन की तरफ से भी विभिन्न कारणों को दिखाते हुए उन्हें मुक्त कर दिया गया, लेकिन जो 350 गवाह न्यायालय में परीक्षित हुए हैं, उनमें बहुत सारे बड़े-बड़े गवाह आए हैं, जिसमें कई मीडिया के लोग भी आए, लेकिन उनकी गवाही में मुझे जो लगता है, उनके जवाब पढ़ने के बाद कि वे प्रॉसीक्यूशन की मंशा के अनुरूप साक्ष्य देने में असमर्थ रहे हैं.
न्यायालय के आदेश पर टिप्पणी करना होगा अनुचित
मुख्य अधिवक्ता केके मिश्र कहते हैं कि माननीय उच्चतम न्यायालय ने किसी भी आदेश पर टिप्पणी करना अनुचित होगा, परंतु व्यावहारिक प्रश्न यह उठता है कि लॉकडाउन की वजह से न्यायालय बंद है और ऐसी स्थिति में कल्पना कर सकते हैं कि 1,044 प्रश्न 313 के होने हैं. कुल 32 अभियुक्त हैं. अगर एक अभियुक्त से न्यायालय 1 मिनट में सवाल पूछता है तो 1,044 मिनट हो जाएंगे. अब आप सोच लीजिए कि एक अभियुक्त पर कितना लंबा समय लगेगा.
बाबरी विध्वंस मामला : सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई कोर्ट को अगस्त तक फैसला सुनाने का दिया आदेश
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष इन परिस्थितियों का संज्ञान में नहीं लाया गया है. ऐसी परिस्थितियों का उच्चतम न्यायालय ने अवलोकन नहीं किया या उनके संज्ञान में नहीं आया है. अब लॉकडाउन की स्थिति के कारण न्यायालय बंद है. हम अभी यह भी नहीं कह सकते हैं कि न्यायालय कब तक बंद रहेगा, क्योंकि महामारी का समय है. कब तक खुलेगा, यह भविष्य के गर्भ में है.