लखनऊ: 100 साल पहले जिस चारबाग रेलवे स्टेशन का निर्माण अंग्रेजों ने कराया था, वहां यात्रियों की सुविधा के लिए सब-वे का भी निर्माण हुआ था. यह सब-वे अब जर्जर हो गया था, जिससे यात्रियों का आवागमन बंद कर दिया गया. रेलवे ने दो करोड़ की लागत से इसका जीर्णोद्धार कर इसे पुनर्जीवित कर दिया. अब यात्री इस सब-वे का विभिन्न प्लेटफार्म पर जाने के लिए खूब इस्तेमाल कर रहे हैं.
वर्ष 1916 में अंग्रेजों ने चारबाग रेलवे स्टेशन की नींव रखी थी और 7 साल तक यहां पर निर्माण कार्य होता रहा. 70 लाख रुपए की लागत से वर्ष 1923 में चारबाग रेलवे स्टेशन पूरी तरह बनकर तैयार हो गया. इस रेलवे स्टेशन पर अंग्रेजों ने यात्रियों की सुविधा का खास खयाल रखा था. मसलन, अगर यात्री एक से दूसरे प्लेटफार्म पर जाते हैं और उनके साथ भारी-भरकम सामान होता है और उन्हें सीढ़ियां चढ़ने में दिक्कत हो सकती है. लिहाजा, उसी समय अंग्रेजों ने सब-वे का भी निर्माण करा दिया था, जिससे यात्रियों की दिक्कतें खत्म हो गई थीं.
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रेलवे ने दो करोड़ की लागत से इसका रिनोवेशन कार्य शुरू किया. रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक से इस सब-वे के मेंटेनेंस में 1 साल का समय लग गया. पूरे सब-वे में एलईडी लाइट्स लगाई गई हैं. इसके अलावा ग्रेनाइट की कोटिंग की गई है, जिससे यह चमकता रहता है. खास बात यह है कि इस सब-वे को ऐसा आकार दिया गया है कि कोई दिव्यांग भी आसानी से सभी प्लेटफार्म तक पहुंच सकता है. बड़ी संख्या में यात्री इस सब-वे का इस्तेमाल कर रहे हैं.