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अंग्रेजों के जमाने में बने सब-वे का रेलवे ने बदला रूप, यात्रियों के लिए बना वरदान

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में चारबाग रेलवे स्टेशन पर सब-वे का रिनोवेशन किया गया. सब-वे के रिनोवेशन के बाद से यहां आने-जाने वाले यात्रियों को काफी सुविधा हो रही है.

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Published : Jan 2, 2020, 11:12 PM IST

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चारबाग रेलवे स्टेशन

लखनऊ: 100 साल पहले जिस चारबाग रेलवे स्टेशन का निर्माण अंग्रेजों ने कराया था, वहां यात्रियों की सुविधा के लिए सब-वे का भी निर्माण हुआ था. यह सब-वे अब जर्जर हो गया था, जिससे यात्रियों का आवागमन बंद कर दिया गया. रेलवे ने दो करोड़ की लागत से इसका जीर्णोद्धार कर इसे पुनर्जीवित कर दिया. अब यात्री इस सब-वे का विभिन्न प्लेटफार्म पर जाने के लिए खूब इस्तेमाल कर रहे हैं.

चारबाग स्टेशन पर सब-वे के रीनोवेशन से यात्रियों को मिल रहा लाभ.

वर्ष 1916 में अंग्रेजों ने चारबाग रेलवे स्टेशन की नींव रखी थी और 7 साल तक यहां पर निर्माण कार्य होता रहा. 70 लाख रुपए की लागत से वर्ष 1923 में चारबाग रेलवे स्टेशन पूरी तरह बनकर तैयार हो गया. इस रेलवे स्टेशन पर अंग्रेजों ने यात्रियों की सुविधा का खास खयाल रखा था. मसलन, अगर यात्री एक से दूसरे प्लेटफार्म पर जाते हैं और उनके साथ भारी-भरकम सामान होता है और उन्हें सीढ़ियां चढ़ने में दिक्कत हो सकती है. लिहाजा, उसी समय अंग्रेजों ने सब-वे का भी निर्माण करा दिया था, जिससे यात्रियों की दिक्कतें खत्म हो गई थीं.

इसे भी पढ़ें- मेरठ: 30 पुलिसकर्मियों को जिंदा जलाने का किया गया प्रयास, पुलिस ने जारी किया वीडियो

रेलवे ने दो करोड़ की लागत से इसका रिनोवेशन कार्य शुरू किया. रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक से इस सब-वे के मेंटेनेंस में 1 साल का समय लग गया. पूरे सब-वे में एलईडी लाइट्स लगाई गई हैं. इसके अलावा ग्रेनाइट की कोटिंग की गई है, जिससे यह चमकता रहता है. खास बात यह है कि इस सब-वे को ऐसा आकार दिया गया है कि कोई दिव्यांग भी आसानी से सभी प्लेटफार्म तक पहुंच सकता है. बड़ी संख्या में यात्री इस सब-वे का इस्तेमाल कर रहे हैं.

लखनऊ: 100 साल पहले जिस चारबाग रेलवे स्टेशन का निर्माण अंग्रेजों ने कराया था, वहां यात्रियों की सुविधा के लिए सब-वे का भी निर्माण हुआ था. यह सब-वे अब जर्जर हो गया था, जिससे यात्रियों का आवागमन बंद कर दिया गया. रेलवे ने दो करोड़ की लागत से इसका जीर्णोद्धार कर इसे पुनर्जीवित कर दिया. अब यात्री इस सब-वे का विभिन्न प्लेटफार्म पर जाने के लिए खूब इस्तेमाल कर रहे हैं.

चारबाग स्टेशन पर सब-वे के रीनोवेशन से यात्रियों को मिल रहा लाभ.

वर्ष 1916 में अंग्रेजों ने चारबाग रेलवे स्टेशन की नींव रखी थी और 7 साल तक यहां पर निर्माण कार्य होता रहा. 70 लाख रुपए की लागत से वर्ष 1923 में चारबाग रेलवे स्टेशन पूरी तरह बनकर तैयार हो गया. इस रेलवे स्टेशन पर अंग्रेजों ने यात्रियों की सुविधा का खास खयाल रखा था. मसलन, अगर यात्री एक से दूसरे प्लेटफार्म पर जाते हैं और उनके साथ भारी-भरकम सामान होता है और उन्हें सीढ़ियां चढ़ने में दिक्कत हो सकती है. लिहाजा, उसी समय अंग्रेजों ने सब-वे का भी निर्माण करा दिया था, जिससे यात्रियों की दिक्कतें खत्म हो गई थीं.

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रेलवे ने दो करोड़ की लागत से इसका रिनोवेशन कार्य शुरू किया. रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक से इस सब-वे के मेंटेनेंस में 1 साल का समय लग गया. पूरे सब-वे में एलईडी लाइट्स लगाई गई हैं. इसके अलावा ग्रेनाइट की कोटिंग की गई है, जिससे यह चमकता रहता है. खास बात यह है कि इस सब-वे को ऐसा आकार दिया गया है कि कोई दिव्यांग भी आसानी से सभी प्लेटफार्म तक पहुंच सकता है. बड़ी संख्या में यात्री इस सब-वे का इस्तेमाल कर रहे हैं.

Intro:अंग्रेजो के जमाने के जर्जर हुए सबवे को रेलवे ने दिया निखार, यात्रियों के लिए साबित हो रहा वरदान

लखनऊ। 100 साल पहले जिस चारबाग रेलवे स्टेशन का निर्माण अंग्रेजों ने कराया था उस पर यात्रियों की सुविधा के लिए अंडरग्राउंड सबवे का भी निर्माण हुआ था। 100 साल होते-होते सबवे जर्जर हो गया, इससे यात्रियों का आवागमन बंद कर दिया गया। यात्रियों को सुविधा देने के लिए फिर से एक बार रेलवे ने प्लान बनाया और दो करोड़ की लागत से इसका जीर्णोद्धार कर पुनर्जीवित कर दिया। अब यह सबवे यात्रियों के लिए वरदान साबित हो रहा है। यात्री इस सबवे का विभिन्न प्लेटफार्म पर जाने के लिए खूब इस्तेमाल कर रहे हैं। बच्चे से लेकर बुजुर्ग और दिव्यांगों को भी इस सबवे से दो से पांच नंबर प्लेटफार्म तक पहुंचने में किसी तरह की समस्या का सामना अब नहीं करना पड़ता।


Body:वर्ष 1916 में अंग्रेजों ने चारबाग रेलवे स्टेशन की नींव रखी थी और 7 साल तक यहां पर निर्माण कार्य होता रहा। 70 लाख रुपए की लागत से वर्ष 1923 में चारबाग रेलवे स्टेशन पूरी तरह बनकर तैयार हो गया। इस रेलवे स्टेशन पर अंग्रेजों ने यात्रियों की सुविधा का खास खयाल रखा था। मसलन, अगर यात्री एक से दूसरे प्लेटफार्म पर जाते हैं और उनके साथ भारी- भरकम सामान होता है तो उन्हें सीढ़ियां चढ़ने में दिक्कत हो सकती है। लिहाजा, उसी समय अंग्रेजों ने अंडरग्राउंड सबवे का भी निर्माण करा दिया था जिससे यात्रियों के दिक्कत खत्म हो गई थी। करीब 100 साल तक इस सबवे से यात्री आवागमन करते रहे, लेकिन 1 साल पहले इसकी दुर्गति हो गई। आलम यह था कि रेलवे को यात्री जानमाल का कोई नुकसान न हो इसकी चिंता सताने लगी और यात्रियों का आना-जाना बंद करना पड़ गया। रेलवे ने फिर से इसके मरम्मतीकरण की योजना बनाई और दो करोड़ की लागत से रेनोवेशन कार्य शुरू हुआ। रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक से इस अंडरग्राउंड सबवे के मेंटेनेंस में 1 साल का समय लग गया। दिन हो या रात यात्रियों को अंडर ग्राउंड सबवे से गुजरने में किसी तरह की परेशानी न हो इसे ध्यान में रखकर पूरे अंडरग्राउंड सबवे में एलईडी लाइट्स लगाई गई हैं। इसके अलावा ग्रेनाइट की कोटिंग की गई है जिससे यह काफी चमकता रहता है। खास बात यह है कि दिव्यांगों को सीढ़ी चढ़ने में काफी दिक्कत होती थी लेकिन इस सबवे को ऐसा आकार दिया गया कि कोई दिव्यांग भी आसानी से सभी प्लेटफार्म पर इसके जरिए पहुंच सके। बड़ी संख्या में यात्री इस सबवे का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसी सबवे के रास्ते एक से पांच नंबर प्लेटफार्म तक यात्रियों के पहुंचाने का काम बैटरी कार भी कर रही हैं। कुलियों को भी किसी भी प्लेटफार्म तक ट्रेन में यात्रियों का भारी भरकम सामान पहुंचाने में भी यह सबवे सहायक साबित हो रहा है।


Conclusion:बाइट: संजय त्रिपाठी:  मंडल रेल प्रबंधक, उत्तर रेलवे 


चारबाग स्टेशन पर सबवे स्टेशन पर ग्रेनाइट की कोटिंग की गई है। मॉडर्न बनाया गया है।  बिजली की व्यवस्था की गई है। एलईडी लाइट लगाकर काफी अच्छा सब वे बनाया गया है। यात्रियों की यात्रा इससे सुखद हो रही है। वर्ष 1916 में चारबाग रेलवे स्टेशन का निर्माण कार्य शुरू हुआ था । 1923 में रेलवे स्टेशन बनकर तैयार हुआ। इसको बनाने में उस समय ₹7000000 का खर्च आया था। उसी समय ये सबवे भी बनाया गया था। तकरीबन 100 साल पुराना होने के कारण सबवे पूरी तरह से जर्जर हो चुका था जिसके बाद रेलवे ने प्लान बनाया कि मरम्मत कराकर दुरुस्त कराया जाए। 2 करोड रुपए इस सबवे की मरम्मत में लगे हैं। अब यात्रियों को इसका काफी लाभ मिल रहा है।


अखिल पाण्डेय, संवाददाता, ई टीवी भारत
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