लखनऊ : देश के प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थानों जैसे आईआईटी व आईआईएम के पोस्ट ग्रेजुएट विषयों में प्रवेश के लिए काउंसलिंग की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन लखनऊ विश्वविद्यालय व प्रदेश के कई दूसरे विश्वविद्यालयों में अंडर ग्रेजुएट कोर्स के अंतिम विषय में पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है. लखनऊ सहित प्रदेश के विभिन्न शहरों में हजारों विद्यार्थियों ने इन दोनों बड़ी परीक्षाओं में प्रतिभाग किया था, ताकि वह अपने आगे की पढ़ाई देश के प्रतिष्ठित संस्थानों से कर सकें, लेकिन लखनऊ विश्वविद्यालय सहित प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में अंतिम वर्ष की परीक्षा समय पर हो पाने की उम्मीद न के बराबर है. आईआईटी व आईआईएम के पीजी विषयों के प्रवेश के बीते दिसंबर में हुए कॉमन एडमिशन टेस्ट (कैट) व आईआईटी जेम परीक्षा पास कर चुके विद्यार्थियों को 30 जून तक प्रवेश प्रक्रिया को पूरा करना है, वहीं दूसरी तरफ आईआईटी व आईआईएम की ओर से जारी किए गए नोटिफिकेशन में कहा गया है कि 30 जून तक बच्चों के फाइनल परीक्षा हर हाल में पूरी होनी चाहिए तभी उनके आगे के प्रवेश पूर्ण किए जाएंगे. विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक सत्र के लेट होने के कारण विद्यार्थियों के सामने समस्या खड़ी हो गई है, वह अपनी परीक्षाएं समय पर कराने के लिए अपने-अपने विश्वविद्यालयों के चक्कर काटने को मजबूर हैं, लेकिन वहां से भी उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं मिल रहा है.
ज्ञात हो कि अभी हाल ही में आईआईटी जेम्स व कैट का रिजल्ट फरवरी महीने में जारी हुआ है. इन दोनों ही प्रतियोगी परीक्षाओं की काउंसलिंग की प्रक्रिया चल रही है. जैसे-जैसे चरण पूरे होते जा रहे हैं, वेटिंग में शामिल विद्यार्थियों की धड़कन तेज होती जा रही है. विद्यार्थियों का कहना है कि अगर काउंसलिंग के समय उनके फाइनल सेमेस्टर के परिणाम नहीं जारी होते हैं तो उनके प्रवेश निरस्त हो जाएंगे, ऐसे में उनका एक साल बेकार चला जाएगा. विद्यार्थियों का कहना है कि वह इस संबंध में अपने संबंधित विश्वविद्यालयों से संपर्क कर रहे हैं कि उनकी परीक्षाएं जल्द से जल्द करा दी जाएं, वहीं दूसरी ओर विश्वविद्यालयों का कहना है कि कोविड-19 के कारण एकेडमिक सेशन अभी पूरी तरह से पटरी पर नहीं आ पाया है. जिस कारण से ग्रेजुएशन के फाइनल ईयर की सेमेस्टर परीक्षाएं जून से पहले आयोजित करा पाना विश्वविद्यालयों के लिए संभव नहीं है.
आईआईटी व आईआईएम में काफी संख्या में स्नातक विषयों के विद्यार्थियों जिनकी फाइनल सेमेस्टर की परीक्षा अभी होनी हैं. दोनों ही संस्थाओं ने विद्यार्थियों से कहा है कि 'वह अपने विश्वविद्यालयों से एक लेटर लिखवाकर काउंसलिंग के समय जमा करें. जिसमें यह लिखा हो कि जून के अंतिम सप्ताह तक उनकी परीक्षाएं समाप्त हो जाएंगी. जबकि प्रदेश के विश्वविद्यालयों में परीक्षाएं काफी लेट चल रही हैं. ऐसे में विद्यार्थियों के प्रवेश होने की उम्मीद काफी कम है. बीते दिनों लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति से इस समस्या से जूझ रहे करीब एक दर्जन से अधिक विद्यार्थी मिले और उन्होंने अंडर ग्रेजुएट विषयों की परीक्षाएं जून से पहले आयोजित कराकर रिजल्ट जारी करने की मांग की है.'
इस पूरे मामले पर विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक विद्यानंद त्रिपाठी का कहना है कि 'यूजी फिफ्थ सेमेस्टर की परीक्षाएं अभी 5 अप्रैल को समाप्त हुई हैं. 4 अप्रैल से छठे सेमेस्टर की क्लासेस शुरू की गई हैं. नियमानुसार 90 दिन की क्लासेस होने के बाद ही सेमेस्टर परीक्षा आयोजित कराई जा सकती हैं. अंडर ग्रेजुएट के फाइनल सेमेस्टर की परीक्षाएं जून के बाद ही शुरू हो सकती हैं और इन परीक्षाओं को भी पूरा कराने के लिए कम से कम 35 दिन का समय चाहिए.' परीक्षा नियंत्रक ने बताया कि 'कुलपति ने इस मामले को लेकर विद्यार्थियों को परीक्षा विभाग में भेजा था, लेकिन हम विद्यार्थियों को इस तरह कुछ भी लिखकर आश्वासन नहीं दे सकते हैं कि परीक्षा 30 जून से पहले आयोजित हो सकती हैं.'
कैट के विशेषज्ञ डॉ. विशाल सक्सेना का कहना है कि 'यह समस्या केवल लखनऊ विश्वविद्यालय में नहीं बल्कि प्रदेश सहित देश के ज्यादातर विश्वविद्यालयों में सामने आ रही है. कैट व आईआईटी जेम आयोजित कराने वाली अथॉरिटी को विश्वविद्यालयों में पीछे चल रहे शैक्षणिक सत्र को ध्यान में रखते इन प्रवेश परीक्षा की काउंसलिंग आयोजित करानी चाहिए थी, जिससे स्नातक के अंतिम वर्ष में शामिल विद्यार्थियों को इस तरह की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता.'
विशेषज्ञ डॉ. विशाल सक्सेना ने कहा कि 'देश के प्रतिष्ठित आईआईएम से मास्टर्स इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए) विषय में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को काउंसलिंग से पहले फीस के तौर पर करीब ₹10 लाख जमा करने होते हैं. ऐसे में अगर काउंसलिंग के समय विद्यार्थी किसी कारणवश काउंसलिंग से बाहर हो जाता है तो उसके बीच में से ₹1 लाख की कटौती कर बाकी पैसा वापस किया जाता है. ऐसे में विद्यार्थी का साल तो बर्बाद होता ही है उसको आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ता है. उन्होंने बताया कि ऐसा ही कुछ हाल आईआईटी जेम की काउंसलिंग में शामिल हो रहे विद्यार्थियों को भी उठाना पड़ रहा है. विद्यार्थियों को डर है कि अगर उन्होंने पैसा जमा कर दिया और काउंसलिंग के समय उनकी परीक्षा परिणाम नहीं जारी हुए तो उन्हें आर्थिक हर्जाना भरना पड़ सकता है, जो गरीब विद्यार्थियों के लिए काफी बड़ी रकम होती है.'