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ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा के साथ विफल हुई संघर्ष समिति की वार्ता, अब 3 दिन की हड़ताल तय

लखनऊ में ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे के बीच वार्ता फेल हाे गई है. ऐसे में बिजली कर्मियाें ने हड़ताल पर जाने का फैसला कर लिया है.

तीन दिनों की इस हड़ताल से बिजली आपूर्ति व्यवस्था प्रभावित हो सकती है. Etv Bharat
तीन दिनों की इस हड़ताल से बिजली आपूर्ति व्यवस्था प्रभावित हो सकती है. Etv Bharat
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Published : Mar 16, 2023, 2:57 PM IST

तीन दिनों की इस हड़ताल से बिजली आपूर्ति व्यवस्था प्रभावित हो सकती है.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे के बीच समझौता वार्ता विफल हो गई है. अब तय हो गया है कि रात 10 बजे के बाद हजारों की संख्या में बिजली कर्मचारी हड़ताल करेंगे. तीन दिनों की इस हड़ताल से बिजली आपूर्ति व्यवस्था प्रभावित हो सकती है. समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे का साफ कहना है कि हम हड़ताल पर जाएंगे. अगर बिजली बाधित होती है तो हम बिल्कुल भी सहयोग नहीं करेंगे. हड़ताल हम कर नहीं रहे हैं बल्कि हड़ताल हम पर थोपी जा रही है.

ऊर्जा मंत्री से वार्ता विफल होने के बाद संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि ऊर्जा प्रबंधन का रवैया बिजली कर्मियों के प्रति बिल्कुल भी सही नहीं है. बिजली कर्मचारियों की समस्याएं सुनने पर भी प्रबंधन ध्यान नहीं दे रहा है. जो समझौता तीन दिसंबर 2022 प्रबंधन और समिति के बीच वार्ता के दौरान हुआ उसे भी लागू करने से अब ऊर्जा मंत्री के साथ ही प्रबंधन पीछे हट रहा है. 1956 कंपनी अधिनियम में जब यह व्यवस्था है कि कंपनी का चेयरमैन और प्रबंध निदेशक का चयन समिति चयन करेगी तो फिर इन पदों पर आईएस क्यों रखे जा रहे हैं. इसके अलावा संविदा कर्मियों के वेतन में भी एकरूपता नहीं है. किसी को ₹8000 मिल रहे हैं तो किसी को ₹22000. ऐसे में उन्हें भी समान वेतन मिलना चाहिए. कैशलेस इलाज की सुविधा अब तक नहीं दी गई है जबकि ऊर्जा मंत्री ने कहा था कि बहुत जल्द व्यवस्था लागू हो जाएगी. अब अपनी ही बातों से ऊर्जा मंत्री और प्रबंधन पीछे हट रहे हैं.

संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे का कहना है कि बिजली कर्मी हड़ताल पर जाते हैं तो अगर बिजली आपूर्ति बाधित होती है तो बिल्कुल भी सहयोग नहीं करेंगे. हां, यह जरूर है कि हम अपनी तरफ से बिजली आपूर्ति में कोई व्यवधान भी नहीं डालेंगे, क्योंकि इसी विभाग से हमें और हमारे कर्मचारियों को रोजी-रोटी मिलती है. हम बिल्कुल भी नहीं चाहते कि हड़ताल करनी पड़े लेकिन प्रबंधन का हठधर्मिता का रवैया हड़ताल करने पर मजबूर कर रहा है.

यह भी पढ़ें : लखनऊ समेत प्रदेश भर में बिजलीकर्मियों का कार्य बहिष्कार शुरू, ऊर्जा मंत्री से वार्ता जारी

तीन दिनों की इस हड़ताल से बिजली आपूर्ति व्यवस्था प्रभावित हो सकती है.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे के बीच समझौता वार्ता विफल हो गई है. अब तय हो गया है कि रात 10 बजे के बाद हजारों की संख्या में बिजली कर्मचारी हड़ताल करेंगे. तीन दिनों की इस हड़ताल से बिजली आपूर्ति व्यवस्था प्रभावित हो सकती है. समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे का साफ कहना है कि हम हड़ताल पर जाएंगे. अगर बिजली बाधित होती है तो हम बिल्कुल भी सहयोग नहीं करेंगे. हड़ताल हम कर नहीं रहे हैं बल्कि हड़ताल हम पर थोपी जा रही है.

ऊर्जा मंत्री से वार्ता विफल होने के बाद संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि ऊर्जा प्रबंधन का रवैया बिजली कर्मियों के प्रति बिल्कुल भी सही नहीं है. बिजली कर्मचारियों की समस्याएं सुनने पर भी प्रबंधन ध्यान नहीं दे रहा है. जो समझौता तीन दिसंबर 2022 प्रबंधन और समिति के बीच वार्ता के दौरान हुआ उसे भी लागू करने से अब ऊर्जा मंत्री के साथ ही प्रबंधन पीछे हट रहा है. 1956 कंपनी अधिनियम में जब यह व्यवस्था है कि कंपनी का चेयरमैन और प्रबंध निदेशक का चयन समिति चयन करेगी तो फिर इन पदों पर आईएस क्यों रखे जा रहे हैं. इसके अलावा संविदा कर्मियों के वेतन में भी एकरूपता नहीं है. किसी को ₹8000 मिल रहे हैं तो किसी को ₹22000. ऐसे में उन्हें भी समान वेतन मिलना चाहिए. कैशलेस इलाज की सुविधा अब तक नहीं दी गई है जबकि ऊर्जा मंत्री ने कहा था कि बहुत जल्द व्यवस्था लागू हो जाएगी. अब अपनी ही बातों से ऊर्जा मंत्री और प्रबंधन पीछे हट रहे हैं.

संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे का कहना है कि बिजली कर्मी हड़ताल पर जाते हैं तो अगर बिजली आपूर्ति बाधित होती है तो बिल्कुल भी सहयोग नहीं करेंगे. हां, यह जरूर है कि हम अपनी तरफ से बिजली आपूर्ति में कोई व्यवधान भी नहीं डालेंगे, क्योंकि इसी विभाग से हमें और हमारे कर्मचारियों को रोजी-रोटी मिलती है. हम बिल्कुल भी नहीं चाहते कि हड़ताल करनी पड़े लेकिन प्रबंधन का हठधर्मिता का रवैया हड़ताल करने पर मजबूर कर रहा है.

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