लखनऊ: उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के रहने वाले आनंदेश्वर पांडे 1500 मीटर की दौड़ के धावक रहे हैं. पहली बार 1985 में उत्तर प्रदेश ओलंपिक संघ (यूपीओए) की कार्यकारी समिति में जगह बनाई. इसके बाद 1995 में यूपी स्पोर्ट्स काउंसिल के एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी एनके पांडे को एक वोट से हराकर पहली बार यूपी के महासचिव बने. इसके बाद से लगातार महासचिव के रूप में काम करते चले आ रहे हैं.
बाहरी देश जिस टेक्निक को छोड़ देते हैं हम वहां से करते हैं शुरुआत
आनंदेश्वर पांडे ने बताया कि यूपी से 25 से 30 खिलाड़ी ओलंपिक में भाग ले चुके हैं, जिनमें हैंडबॉल के खिलाड़ी अधिक शामिल रहे हैं. कई खिलाड़ी एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स भी खेले हैं. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमारी तैयारी ओलंपिक स्तर की नहीं है. बाहरी देश जिस टेक्निक को छोड़ देते हैं, हम वहां से शुरुआत करते हैं. किसी बच्चे को तब सुविधा देते हैं, जब वह नेशनल में मेडल प्राप्त करता है. उसके बाद ओलंपिक में मेडल की उम्मीद करते हैं, जबकि विदेशों में पहले से ही तैयारी शुरू कर दी जाती है. उन्होंने बताया कि पहले इतनी जागरूकता नहीं थी. पहले सिर्फ क्रिकेट पर ध्यान दिया जाता था, लेकिन वर्ष 2000 से जब ओलंपिक में मेडल आने लगे तो क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों के प्रति भी लोगों का रुझान बढ़ रहा है. पीएम नरेंद्र मोदी ने साल 2024 ओलंपिक के लिए प्लान तैयार करना शुरू कर दिया है.
खिलाड़ियों के लिए किया संघर्ष
यूपीओए के संयुक्त सचिव के रूप में साल 1994 में वह खिलाड़ियों की किट के लिए धन और पुणे राष्ट्रीय खेल उत्तर प्रदेश दस्ते के लिए ट्रेन का किराया चाहते थे, लेकिन तत्कालीन यूपीओए के सचिव मोहम्मद रजाउद्दीन एसोसिएशन के खाते में सरकार के 50 प्रतिशत धन को जमा करना चाहते थे. इसका अनंदेश्वर पांडे ने विरोध किया. यूपीएओ के महासचिव अनंदेश्वर पांडे ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि खिलाड़ियों के हक में आवाज उठाने के लिए मुझे निलंबित कर दिया गया था. इसके बाद मैंने ऐसे सिस्टम के खिलाफ आवाज उठाने का प्रण किया और 1995 में महासचिव के पद पर विजेता बना. उन्होंने कहा कि पिछले 25 वर्षों से खेल और खिलाड़ियों के भविष्य के लिए उन्होंने अपनी लड़ाई जारी रखी है.
देवरिया से नई दिल्ली तक निकाली थी खेल यात्रा
उन्होंने बताया कि खिलाड़ियों के लिए किट और ट्रेन का किराया शुरू करने, आहार के पैसे में बढ़ोतरी, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेताओं के लिए पुरस्कार राशि में वृद्धि, अनिवार्य विषय के रूप में खेल की शुरुआत करने की मांग उठाई, जिन्हें पूरा करने के लिए सरकार को मजबूर कर दिया. उन्होंने कहा कि एक एथलीट होने के नाते खिलाड़ियों के सामने आने वाली समस्याओं के बारे में जानता था. इसलिए इसने यूपीओए में आने के बाद से ही खिलाड़ियों की आवाज बनकर उनके लिए काम करने की पहल की. बता दें कि वर्ष 1992 में अनंदेश्वर पांडे ने खिलाड़ियों के समर्थन में देवरिया से नई दिल्ली तक की खेल यात्रा निकाली थी.