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400 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से देश में बढ़ रहा साइबर क्राइम

यूपी में बढ़ते साइबर क्राइम ने लिए आईजी साइबर क्राइम के नए पद का सृजन किया गया है. इस पद पर आईएएस अधिकारी अशोक कुमार की नियुक्ति की गई है. वहीं पद के सृजन के बाद भी कम संसाधनों के कारण साइबर क्राइम पर लगाम लगाना चुनौती बना हुआ है.

साइबर क्राइम पर लगाम लगाने के लिए आईजी की नियुक्ति
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Published : Jul 11, 2019, 1:42 PM IST

लखनऊ: साइबर क्राइम की घटनाएं यूपी पुलिस के लिए सरदर्द बनी हुई हैं. आंकड़ों की बात करें तो साइबर क्राइम यूपी ही नहीं पूरे देश में 400 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रहा है. वहीं इंटरनेट की मदद से बड़े पैमाने पर ठगी, धोखाधड़ी की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. ऐसे में अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए मजबूत व्यवस्था होनी अनिवार्य है.

इसी क्रम में यूपी में आईजी साइबर क्राइम के नए पद का सृजन किया गया है और इस पर आईएएस अधिकारी अशोक कुमार की नियुक्ति की गई, लेकिन मात्र नियुक्ति कर देने भर से यूपी के साइबर क्राइम पर लगाम नहीं लग सकेगी. साइबर क्राइम पर लगाम लगाने के लिए बड़े पैमाने पर काम करने की आवश्यकता है.

साइबर क्राइम पर लगाम लगाने के लिए आईजी की नियुक्ति

  • साइबर क्राइम पर लगाम लगाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है.
  • यूपी में साइबर क्राइम की घटनाओं को रोकने के लिए जो तंत्र बनाया गया है वह काफी कमजोर है.
  • एक्सपर्ट कर्मचारियों की कमी और संसाधनों के अभाव के चलते कई बार अपराधियों की पड़ताल तो हो जाती है, लेकिन उन पर कार्रवाई नहीं हो पाती है.
  • साइबर थानों की बात करें तो राजधानी लखनऊ, नोएडा सहित पूरे प्रदेश में दो ही साइबर थाने मौजूद हैं.
  • यह साइबर थाने सिर्फ 25,00,000 से अधिक की ठगी पर कार्रवाई करते हैं.
  • साइबर क्राइम की घटनाओं पर अभी तक एसटीएफ कार्रवाई करता था.
  • यूपी में अब आईजी साइबर क्राइम की नियुक्ति की गई है.
    सेंटर ऑफ रिसर्च एंड साइबर के चेयरमैन ने ईटीवी भारत से की बातचीत.

इस वजह से नहीं हो पाती है कार्रवाई, देना होगा ध्यान

सामान्यता साइबर क्राइम की घटनाओं को अंजाम देने वाले लोग अपने क्षेत्र से 500 किलोमीटर दूर के क्षेत्र में तैनात किसी व्यक्ति को अपना शिकार बनाते हैं. ऐसे में भले ही जिलों में स्थित साइबर क्राइम के लिए काम करने वाले सेंटर इस बात का पता लगा लेते हैं कि घटना को अंजाम देने वाले शख्स कहां के हैं लेकिन जब पता चलता है कि वह 500 किलोमीटर दूर बैठे हुए हैं तो फिर चुनौती आती है उनके खिलाफ कार्रवाई करने की. जिसके लिए 500 किलोमीटर दूर जाने सहित परमिशन, खर्च की चुनौती आती है. इसके लिए अभी तक कोई स्पष्ट प्रबंध नहीं किए गए हैं.

पूरे देश में साइबर क्राइम की घटनाओं को अंजाम देते हुए मोटी कमाई करने के लिए राजस्थान, झारखंड, बिहार से तमाम गुट सक्रिय हैं जो अपने क्षेत्र को छोड़कर पूरे देश के दूरदराज इलाकों में सामान बेचने, नौकरी दिलाने और लालच देकर लोगों के साथ ठगी करते हैं. इसमें सबसे ज्यादा चुनौती उन लोगों पर कार्रवाई करने में आती है. जो झारखंड बिहार के नक्सली क्षेत्र में बैठे कर अपराधी साइबर अपराध की घटना को अंजाम देते हैं. ऐसे में पुलिस अपराधियों को डिटेक्ट करने के बाद भी उन पर कार्यवाही नहीं कर पाती क्योंकि नक्सली क्षेत्र में पुलिस के रीच नहीं होती है.

साइबर क्राइम की घटनाएं प्रतिवर्ष 400 प्रतिशत की दर से बढ़ रही हैं. ऐसे में साइबर क्राइम की घटनाओं पर रोक लगाना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है, लेकिन साइबर अपराधों पर लगाम लगाना असंभव नहीं है. इसके लिए जरूरी है कि आधुनिक और पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए जाएं. पुलिसकर्मियों को ट्रेंड किया जाए कि वह अपराधियों को आसानी से डिटेक्ट कर उन पर कार्रवाई कर सकें. थाने स्तर पर कर्मचारियों को ट्रेनिंग के साथ-साथ एक नोडल एजेंसी गठित की जाए, जिससे दूरदराज अन्य प्रदेशों से साइबर क्राइम की घटनाएं करने वाले अपराधियों पर लगाम लगाई जा सके. साइबर क्राइम के साथ-साथ आने वाले दिनों में सामान्य अपराधों में भी डिजिटल और साइबर सबूतों के माध्यम से ही आरोपी तक पहुंचना आसान होगा. इसलिए पुलिस प्रशासन को साइबर संसाधनों को मजबूत करने के लिए अधिक बल देना चाहिए.
-अनुज अग्रवाल, चेयरमैन सेंटर ऑफ रिसर्च एंड साइबर

लखनऊ: साइबर क्राइम की घटनाएं यूपी पुलिस के लिए सरदर्द बनी हुई हैं. आंकड़ों की बात करें तो साइबर क्राइम यूपी ही नहीं पूरे देश में 400 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रहा है. वहीं इंटरनेट की मदद से बड़े पैमाने पर ठगी, धोखाधड़ी की घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है. ऐसे में अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए मजबूत व्यवस्था होनी अनिवार्य है.

इसी क्रम में यूपी में आईजी साइबर क्राइम के नए पद का सृजन किया गया है और इस पर आईएएस अधिकारी अशोक कुमार की नियुक्ति की गई, लेकिन मात्र नियुक्ति कर देने भर से यूपी के साइबर क्राइम पर लगाम नहीं लग सकेगी. साइबर क्राइम पर लगाम लगाने के लिए बड़े पैमाने पर काम करने की आवश्यकता है.

साइबर क्राइम पर लगाम लगाने के लिए आईजी की नियुक्ति

  • साइबर क्राइम पर लगाम लगाना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है.
  • यूपी में साइबर क्राइम की घटनाओं को रोकने के लिए जो तंत्र बनाया गया है वह काफी कमजोर है.
  • एक्सपर्ट कर्मचारियों की कमी और संसाधनों के अभाव के चलते कई बार अपराधियों की पड़ताल तो हो जाती है, लेकिन उन पर कार्रवाई नहीं हो पाती है.
  • साइबर थानों की बात करें तो राजधानी लखनऊ, नोएडा सहित पूरे प्रदेश में दो ही साइबर थाने मौजूद हैं.
  • यह साइबर थाने सिर्फ 25,00,000 से अधिक की ठगी पर कार्रवाई करते हैं.
  • साइबर क्राइम की घटनाओं पर अभी तक एसटीएफ कार्रवाई करता था.
  • यूपी में अब आईजी साइबर क्राइम की नियुक्ति की गई है.
    सेंटर ऑफ रिसर्च एंड साइबर के चेयरमैन ने ईटीवी भारत से की बातचीत.

इस वजह से नहीं हो पाती है कार्रवाई, देना होगा ध्यान

सामान्यता साइबर क्राइम की घटनाओं को अंजाम देने वाले लोग अपने क्षेत्र से 500 किलोमीटर दूर के क्षेत्र में तैनात किसी व्यक्ति को अपना शिकार बनाते हैं. ऐसे में भले ही जिलों में स्थित साइबर क्राइम के लिए काम करने वाले सेंटर इस बात का पता लगा लेते हैं कि घटना को अंजाम देने वाले शख्स कहां के हैं लेकिन जब पता चलता है कि वह 500 किलोमीटर दूर बैठे हुए हैं तो फिर चुनौती आती है उनके खिलाफ कार्रवाई करने की. जिसके लिए 500 किलोमीटर दूर जाने सहित परमिशन, खर्च की चुनौती आती है. इसके लिए अभी तक कोई स्पष्ट प्रबंध नहीं किए गए हैं.

पूरे देश में साइबर क्राइम की घटनाओं को अंजाम देते हुए मोटी कमाई करने के लिए राजस्थान, झारखंड, बिहार से तमाम गुट सक्रिय हैं जो अपने क्षेत्र को छोड़कर पूरे देश के दूरदराज इलाकों में सामान बेचने, नौकरी दिलाने और लालच देकर लोगों के साथ ठगी करते हैं. इसमें सबसे ज्यादा चुनौती उन लोगों पर कार्रवाई करने में आती है. जो झारखंड बिहार के नक्सली क्षेत्र में बैठे कर अपराधी साइबर अपराध की घटना को अंजाम देते हैं. ऐसे में पुलिस अपराधियों को डिटेक्ट करने के बाद भी उन पर कार्यवाही नहीं कर पाती क्योंकि नक्सली क्षेत्र में पुलिस के रीच नहीं होती है.

साइबर क्राइम की घटनाएं प्रतिवर्ष 400 प्रतिशत की दर से बढ़ रही हैं. ऐसे में साइबर क्राइम की घटनाओं पर रोक लगाना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है, लेकिन साइबर अपराधों पर लगाम लगाना असंभव नहीं है. इसके लिए जरूरी है कि आधुनिक और पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए जाएं. पुलिसकर्मियों को ट्रेंड किया जाए कि वह अपराधियों को आसानी से डिटेक्ट कर उन पर कार्रवाई कर सकें. थाने स्तर पर कर्मचारियों को ट्रेनिंग के साथ-साथ एक नोडल एजेंसी गठित की जाए, जिससे दूरदराज अन्य प्रदेशों से साइबर क्राइम की घटनाएं करने वाले अपराधियों पर लगाम लगाई जा सके. साइबर क्राइम के साथ-साथ आने वाले दिनों में सामान्य अपराधों में भी डिजिटल और साइबर सबूतों के माध्यम से ही आरोपी तक पहुंचना आसान होगा. इसलिए पुलिस प्रशासन को साइबर संसाधनों को मजबूत करने के लिए अधिक बल देना चाहिए.
-अनुज अग्रवाल, चेयरमैन सेंटर ऑफ रिसर्च एंड साइबर

Intro:नोट- साइबर एक्सपर्ट अनुज अग्रवाल की बाइट ऐप से भेजी जा रही है बाइट का प्रयोग p2c के साथ अवश्य कर लें।

एंकर

लखनऊ। साइबर क्राइम की घटनाएं यूपी पुलिस के लिए सरदर्द बनी हुई हैं। आंकड़ों की बात करें तो साइबर क्राइम उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश में 400% प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रहा है जहां एक और इंटरनेट की मदद से बड़े पैमाने पर ठगी व धोखाधड़ी की घटनाओं को अंजाम दिया जाता है तो वहीं दूसरी ओर सामान्य अपराध, डकैती, लूट, हत्या जैसी घटनाओं में भी सबूतों को छुपाने के लिए इंटरनेट का प्रयोग अपराधी करते हैं। ऐसे में अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए मजबूत व्यवस्था होनी अनिवार्य है। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश में आईजी साइबर क्राइम के नए पद का सृजन किया गया है और इस पर आईएएस अधिकारी अशोक कुमार की नियुक्ति की गई। लेकिन मात्र नियुक्ति कर देने भर से उत्तर प्रदेश के साइबर क्राइम पर लगाम नहीं लग सकेगी साइबर क्राइम पर लगाम लगाने के लिए बड़े पैमाने पर कार्य करने की आवश्यकता है।




Body:वीवो

साइबर क्राइम पर लगाम लगाने की अगर सबसे बड़ी चुनौती की बात करें तो उत्तर प्रदेश में साइबर क्राइम की घटनाओं को रोकने के लिए जो तंत्र बनाया गया है वह काफी कमजोर है एक्सपर्ट कर्मचारियों की कमी व संसाधनों के अभाव के चलते कई बार अपराधियों की पड़ताल तो हो जाती है लेकिन उन पर कार्यवाही नहीं हो पाती है। साइबर थानों की बात करें तो राजधानी लखनऊ सहित नोएडा पूरे प्रदेश में दो ही साइबर थाने मौजूद हैं और यह सिर्फ 2500000 से अधिक की ठगी पर कार्यवाही करते हैं। अभी तक इन साइबर क्राइम की घटनाओं पर एसटीएफ कार्यवाही करता था लेकिन अब जब आईजी साइबर क्राइम की नियुक्ति की गई है तो इसमें भी फेरबदल होने की संभावनाएं हैं वही जिलों में साइबर क्राइम सेंटर तो मौजूद है लेकिन वहां पर ना उपयुक्त संसाधन है और ना ही ट्रेंड कर्मचारी ऐसे में साइबर क्राइम की घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता ट्रेंड कर्मचारियों की है।

इस वजह से नहीं हो पाती है कार्यवाही, देना होगा ध्यान

सामान्यता साइबर क्राइम की घटनाओं को अंजाम देने वाले लोग अपने क्षेत्र से 500 किलोमीटर दूर के क्षेत्र में तैनात किसी व्यक्ति को अपना शिकार बनाते हैं ऐसे में भले ही जिलों में स्थित साइबर क्राइम के लिए काम करने वाले सेंटर इस बात का पता लगा लेते हैं कि घटना को अंजाम देने वाले शख्स कहां के हैं लेकिन जब पता चलता है कि वह 500 किलोमीटर दूर बैठे हुए हैं तो फिर चुनौती आती है उनके खिलाफ कार्यवाही करने की। जिसके लिए 500 किलोमीटर दूर जाने सहित परमिशन, खर्च की चुनौती आती है जिसके लिए अभी तक कोई स्पष्ट प्रबंध नहीं किए गए हैं।

पूरे देश में साइबर क्राइम की घटनाओं को अंजाम देते हुए मोटी कमाई करने के लिए राजस्थान झारखंड बिहार से तमाम गुट सक्रिय हैं जो अपने क्षेत्र को छोड़कर पूरे देश के दूरदराज इलाकों में सामान बेचने नौकरी दिलाने व लालच देकर लोगों के साथ ठगी करते हैं। इसमें सबसे ज्यादा चुनौती उन लोगों पर कार्यवाही करने में आती है जो झारखंड बिहार के नक्सली क्षेत्र में बैठे कर अपराधी साइबर अपराध की घटना को अंजाम देते हैं। ऐसे में पुलिस अपराधियों को डिटेक्ट करने के बाद भी उन पर कार्यवाही नहीं कर पाती क्योंकि नक्सली क्षेत्र में पुलिस के रीच नहीं होती है।


Conclusion:बाइट

अनुज अग्रवाल चेयरमैन सेंटर ऑफ रिसर्च एंड साइबर क्राइम एंड साइबर लॉ ने ईटीवी से खास बातचीत में बताया की साइबर क्राइम की घटनाएं प्रतिवर्ष 400% की दर से बढ़ रही हैं ऐसे में साइबर क्राइम की घटनाओं पर रोक लगाना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है लेकिन साइबर अपराधों पर लगाम लगाना असंभव नहीं है इसके लिए जरूरी है कि आधुनिक व पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराए जाएं। पुलिसकर्मियों को ट्रेंड किया जाए कि वह अपराधियों को आसानी से डिटेक्ट कर उन पर कार्यवाही कर सकें। थाने स्तर पर कर्मचारियों को ट्रेनिंग के साथ-साथ एक नोडल एजेंसी गठित की जाए, जिससे दूरदराज अन्य प्रदेशों से साइबर क्राइम की घटनाएं करने वाले अपराधियों पर लगाम लगाई जा सके। साइबर क्राइम के साथ साथ आने वाले दिनों में सामान्य अपराधों में भी डिजिटल व साइबर सबूतों के माध्यम से ही आरोपी तक पहुंचना
आसान होगा। इसलिए पुलिस प्रशासन को साइबर संसाधनों को मजबूत करने के लिए अधिक बल देना चाहिए।

संवाददाता
प्रशांत मिश्रा
90 2639 25 26

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