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'त्रिनेत्र' की मदद से मोस्टवांटेड अपराधियों को गिरफ्तार करने के लिए हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल कर रही एसटीएफ

यूपी में 'ऑपरेशन त्रिनेत्र' के चलते अपराधियों पर शिकंजा कसता जा रहा है. यूपी एसटीएफ ने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर बीते एक माह में अब तक 295 अपराधिक घटनाओं का खुलासा किया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 24, 2023, 8:33 PM IST

यूपी के डीजीपी विजय कुमार

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद से ही अपराधियों पर पुलिस कहर बन कर टूट रही है. यूपी एसटीएफ तो माफिया और अपराधियों के लिए काल बन कर उभरी है. अब यूपी पुलिस की अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी अपराधियों की मुश्किलें और बढ़ाने वाली है. यूपी एसटीएफ 'त्रिनेत्र' एप के जरिए अपराधियों की पहचान कर रही है और उनकी लोकेशन ट्रेस कर एक एक को चुनकर पकड़ा जा रहा है. यूपी डीजीपी के मुताबिक, टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर बीते एक माह में अब तक 295 अपराधिक घटनाओं का खुलासा कर अपराधियों की पहचान कर पकड़ा जा चुका है.

हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल कर रही एसटीएफ
हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल कर रही एसटीएफ

एप्लीकेशन बताएगा कुंडली : यूपी के 15 जिलों में 10 जुलाई से अब तक डकैती में शामिल 15, हत्या के 17, अपहरण के 12 और चोरी में शामिल 117 अपराधियों को पुलिस और एसटीएफ ने आसानी से गिरफ्तार कर लिया. ये संभव हुआ है यूपी पुलिस की हाईटेक टेक्नोलॉजी की बदौलत जो त्रिनेत्र ऑपरेशन के तहत इस्तेमाल की जा रही है. यूपी एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश कहते हैं कि 'त्रिनेत्र में सभी अधिकारियों की कुंडली मौजूद रहती है. उन अपराधियों की प्रोफाइल उनके द्वारा किए गए अपराधों का तरीका, ठिकानों की जगह और उनकी अलग-अलग तस्वीरें. जिससे आमतौर पर हम लोग कभी भी अपराध होने पर त्रिनेत्र एप्लीकेशन से संबंधित अपराध के तरीकों से जुड़े अपराधियों की कुंडली निकालते थे और फिर अपराधियों को ट्रेस करते थे, लेकिन अब यूपी पुलिस अत्याधुनिक उपकरण की मदद ले रही है.


अमिताभ यश ने बताया कि 'अपराधियों को अब हम लोग फेस, वाइस और थंब इंप्रेशन के जरिए ट्रेस कर पा रहे हैं. जब कोई घटना घटित होती है तो वहां पर लगे हाईटेक सीसीटीवी कैमरे, अपराधियों के फेस और वाइस को रिकॉर्ड करती है. उस फीड को हम त्रिनेत्र एप्लीकेशन के जरिए सर्च करते हैं, जिससे एप्लीकेशन में पहले से मौजूद अपराधियों की कुंडली से मैच होते ही हम अपराधी को ट्रेस करना शुरू कर देते हैं. जैसे ही वह फिर से किसी कैमरे की रडार में आता है हम उन्हें गिरफ्तार कर लेते हैं.'



राज्य भर में लगे हैं साढ़े तीन लाख हाईटेक कैमरे : सूबे के डीजीपी विजय कुमार ने बताया कि 'अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति और अपराध की रोकथाम के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऑपरेशन त्रिनेत्र के तहत राज्य में लगभग हर कोने में हाईटेक कैमरे लगाए जा रहे हैं, जिसकी लाइव फीडिंग जिला मुख्यालय स्तर पर बने कंट्रोल रूम में जाती है. अब तक प्रदेश के 1,15846 स्थानों पर 3,50000 हाईटेक सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए हैं. जिसकी मदद से 295 घटनाओं में शामिल अपराधियों के फेस और वाइस रिकोनाइस कर गिरफ्तार करने में सफलता पाई है.'




उन्होंने बताया कि 'यूपी के 15 जिलों में हाईटेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर अपराधियों की धड़पकड़ की गई है. कमिश्नरेट आगरा कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर, कमिश्नरेट गाजियाबाद, कमिश्नरेट लखनऊ, कमिश्नरेट प्रयागराज, कमिश्नरेट वाराणसी, आगरा, बरेली, गोरखपुर, कानपुर, लखनऊ, मेरठ, वाराणसी और प्रयागराज शामिल हैं. खासकर पश्चिमी यूपी जिसमें आगरा, मेरठ और बरेली जोन में टेक्नोलॉजी की मदद से सबसे अधिक अपराधी गिरफ्तार किए गए.'

यह भी पढ़ें : यूपी के 107 जिला अस्पतालों पर 24 घंटे रहेगी नजर, मरीजों को मिलेगी बेहतर सुविधा

यूपी के डीजीपी विजय कुमार

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद से ही अपराधियों पर पुलिस कहर बन कर टूट रही है. यूपी एसटीएफ तो माफिया और अपराधियों के लिए काल बन कर उभरी है. अब यूपी पुलिस की अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी अपराधियों की मुश्किलें और बढ़ाने वाली है. यूपी एसटीएफ 'त्रिनेत्र' एप के जरिए अपराधियों की पहचान कर रही है और उनकी लोकेशन ट्रेस कर एक एक को चुनकर पकड़ा जा रहा है. यूपी डीजीपी के मुताबिक, टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर बीते एक माह में अब तक 295 अपराधिक घटनाओं का खुलासा कर अपराधियों की पहचान कर पकड़ा जा चुका है.

हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल कर रही एसटीएफ
हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल कर रही एसटीएफ

एप्लीकेशन बताएगा कुंडली : यूपी के 15 जिलों में 10 जुलाई से अब तक डकैती में शामिल 15, हत्या के 17, अपहरण के 12 और चोरी में शामिल 117 अपराधियों को पुलिस और एसटीएफ ने आसानी से गिरफ्तार कर लिया. ये संभव हुआ है यूपी पुलिस की हाईटेक टेक्नोलॉजी की बदौलत जो त्रिनेत्र ऑपरेशन के तहत इस्तेमाल की जा रही है. यूपी एसटीएफ के एडीजी अमिताभ यश कहते हैं कि 'त्रिनेत्र में सभी अधिकारियों की कुंडली मौजूद रहती है. उन अपराधियों की प्रोफाइल उनके द्वारा किए गए अपराधों का तरीका, ठिकानों की जगह और उनकी अलग-अलग तस्वीरें. जिससे आमतौर पर हम लोग कभी भी अपराध होने पर त्रिनेत्र एप्लीकेशन से संबंधित अपराध के तरीकों से जुड़े अपराधियों की कुंडली निकालते थे और फिर अपराधियों को ट्रेस करते थे, लेकिन अब यूपी पुलिस अत्याधुनिक उपकरण की मदद ले रही है.


अमिताभ यश ने बताया कि 'अपराधियों को अब हम लोग फेस, वाइस और थंब इंप्रेशन के जरिए ट्रेस कर पा रहे हैं. जब कोई घटना घटित होती है तो वहां पर लगे हाईटेक सीसीटीवी कैमरे, अपराधियों के फेस और वाइस को रिकॉर्ड करती है. उस फीड को हम त्रिनेत्र एप्लीकेशन के जरिए सर्च करते हैं, जिससे एप्लीकेशन में पहले से मौजूद अपराधियों की कुंडली से मैच होते ही हम अपराधी को ट्रेस करना शुरू कर देते हैं. जैसे ही वह फिर से किसी कैमरे की रडार में आता है हम उन्हें गिरफ्तार कर लेते हैं.'



राज्य भर में लगे हैं साढ़े तीन लाख हाईटेक कैमरे : सूबे के डीजीपी विजय कुमार ने बताया कि 'अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति और अपराध की रोकथाम के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऑपरेशन त्रिनेत्र के तहत राज्य में लगभग हर कोने में हाईटेक कैमरे लगाए जा रहे हैं, जिसकी लाइव फीडिंग जिला मुख्यालय स्तर पर बने कंट्रोल रूम में जाती है. अब तक प्रदेश के 1,15846 स्थानों पर 3,50000 हाईटेक सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए हैं. जिसकी मदद से 295 घटनाओं में शामिल अपराधियों के फेस और वाइस रिकोनाइस कर गिरफ्तार करने में सफलता पाई है.'




उन्होंने बताया कि 'यूपी के 15 जिलों में हाईटेक टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर अपराधियों की धड़पकड़ की गई है. कमिश्नरेट आगरा कमिश्नरेट गौतमबुद्धनगर, कमिश्नरेट गाजियाबाद, कमिश्नरेट लखनऊ, कमिश्नरेट प्रयागराज, कमिश्नरेट वाराणसी, आगरा, बरेली, गोरखपुर, कानपुर, लखनऊ, मेरठ, वाराणसी और प्रयागराज शामिल हैं. खासकर पश्चिमी यूपी जिसमें आगरा, मेरठ और बरेली जोन में टेक्नोलॉजी की मदद से सबसे अधिक अपराधी गिरफ्तार किए गए.'

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