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प्रो विनय पाठक के करीबी अजय मिश्रा की प्रिंटिंग प्रेस पर STF ने की छापेमारी, मिले अहम दस्तावेज

कानपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो विनय पाठक (Vice Chancellor of Kanpur University Prof Vinay Pathak) एसटीएफ की नोटिस का जवाब नहीं दे रहे हैं. उन्होंने अपने सभी फोन बंदकर रखे हैं, ताकि उनकी लोकेशन एजेंसी पता ना लगा सके. इधर एसटीएफ विनय पाठक व उनके कमीशनखोर साथियों के खिलाफ मजबूत साक्ष्यों को इकट्ठा कर रही है.

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Published : Nov 23, 2022, 10:44 AM IST

लखनऊ : कानपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो विनय पाठक (Vice Chancellor of Kanpur University Prof Vinay Pathak) एसटीएफ की नोटिस का जवाब नहीं दे रहे हैं. उन्होंने अपने सभी फोन बंदकर रखे हैं, ताकि उनकी लोकेशन एजेंसी पता ना लगा सके. इधर एसटीएफ विनय पाठक व उनके कमीशनखोर साथियों के खिलाफ मजबूत साक्ष्यों को इकट्ठा कर रही है. मंगलवार रात एसटीएफ ने जेल में बंद अजय मिश्रा के कई ठिकानों पर छापेमारी की है. जहां कई अहम दस्तावेज बरामद हुए हैं.


जानकारी के मुताबिक, अजय मिश्रा की प्रिंटिंग प्रेस कंपनी एक्सलिक्ट प्राइवेट लिमिटेड (XL-ICT) का दफ्तर व कारखाना इंदिरा नगर के रसूलपुर में स्थित है, जहां कई यूनिवर्सिटी का छपाई से संबंधित काम भी होता है. एसटीएफ के सूत्रों के मुताबिक, कमीशनखोरी मामले को लेकर डेविड एम. डेनिस द्वारा विनय पाठक के खिलाफ दर्ज कराई गई एफआईआर में लगाए गए आरोपों से संबंधित कई दस्तावेज एसटीएफ को मिले हैं. एसटीएफ अजय मिश्रा की प्रिंटिंग प्रेस में लगे कंप्यूटर को भी अपने साथ ले गई है. अब इसकी फॉरेंसिक जांच कराई जाएगी. एजेंसी दस्तावेजों का परीक्षण करने के बाद मामले से जुड़े तथ्य व सबूत कोर्ट में पेश कर सकती है.


वहीं विनय पाठक एसटीएफ के सामने पूछताछ के लिए नहीं पेश हो रहे हैं और न किसी नोटिस का जवाब ही दे रहे हैं. ऐसे में अब एसटीएफ ने विनय पाठक की गिरफ्तारी के लिए दबिश डालनी शुरू कर दी है. यही नहीं एजेंसी को शक है कि पाठक देश के बाहर भी जा सकते हैं, ऐसे में उनके पासपोर्ट की भी जानकारी एसटीएफ जुटा रही है, ताकि उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी की जा सके.


बता दें, लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाने वाले डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एमडी डेविड एम. डेनिस ने आरोप लगाया था कि उनकी कंपनी साल 2014 से एग्रीमेंट के तहत आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम का काम करती रही है. विश्वविद्यालय के एग्जाम पेपर छापना, कॉपी को एग्जाम सेंटर से यूनिवर्सिटी तक पहुंचाने का पूरा काम इसी कंपनी के द्वारा किया जाता रहा है. साल 2019 में एग्रीमेंट खत्म हुआ तो डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज ने यूपीएलसी के जरिए आगरा विश्वविद्यालय का काम किया. इस बीच साल 2020 से 2022 तक कंपनी के द्वारा किए गए काम का करोड़ों रुपया बिल बकाया हो गया था. इसी दौरान जनवरी 2022 में आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का चार्ज प्रो. विनय पाठक को मिला तो उन्होंने बिल पास करने के एवज में कमीशन की मांग की थी, इस मामले में एसटीएफ ने अभी तक दो आरोपियों अजय मिश्रा, अजय जैन को गिरफ्तार किया है.

लखनऊ : कानपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो विनय पाठक (Vice Chancellor of Kanpur University Prof Vinay Pathak) एसटीएफ की नोटिस का जवाब नहीं दे रहे हैं. उन्होंने अपने सभी फोन बंदकर रखे हैं, ताकि उनकी लोकेशन एजेंसी पता ना लगा सके. इधर एसटीएफ विनय पाठक व उनके कमीशनखोर साथियों के खिलाफ मजबूत साक्ष्यों को इकट्ठा कर रही है. मंगलवार रात एसटीएफ ने जेल में बंद अजय मिश्रा के कई ठिकानों पर छापेमारी की है. जहां कई अहम दस्तावेज बरामद हुए हैं.


जानकारी के मुताबिक, अजय मिश्रा की प्रिंटिंग प्रेस कंपनी एक्सलिक्ट प्राइवेट लिमिटेड (XL-ICT) का दफ्तर व कारखाना इंदिरा नगर के रसूलपुर में स्थित है, जहां कई यूनिवर्सिटी का छपाई से संबंधित काम भी होता है. एसटीएफ के सूत्रों के मुताबिक, कमीशनखोरी मामले को लेकर डेविड एम. डेनिस द्वारा विनय पाठक के खिलाफ दर्ज कराई गई एफआईआर में लगाए गए आरोपों से संबंधित कई दस्तावेज एसटीएफ को मिले हैं. एसटीएफ अजय मिश्रा की प्रिंटिंग प्रेस में लगे कंप्यूटर को भी अपने साथ ले गई है. अब इसकी फॉरेंसिक जांच कराई जाएगी. एजेंसी दस्तावेजों का परीक्षण करने के बाद मामले से जुड़े तथ्य व सबूत कोर्ट में पेश कर सकती है.


वहीं विनय पाठक एसटीएफ के सामने पूछताछ के लिए नहीं पेश हो रहे हैं और न किसी नोटिस का जवाब ही दे रहे हैं. ऐसे में अब एसटीएफ ने विनय पाठक की गिरफ्तारी के लिए दबिश डालनी शुरू कर दी है. यही नहीं एजेंसी को शक है कि पाठक देश के बाहर भी जा सकते हैं, ऐसे में उनके पासपोर्ट की भी जानकारी एसटीएफ जुटा रही है, ताकि उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी की जा सके.


बता दें, लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाने वाले डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एमडी डेविड एम. डेनिस ने आरोप लगाया था कि उनकी कंपनी साल 2014 से एग्रीमेंट के तहत आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम का काम करती रही है. विश्वविद्यालय के एग्जाम पेपर छापना, कॉपी को एग्जाम सेंटर से यूनिवर्सिटी तक पहुंचाने का पूरा काम इसी कंपनी के द्वारा किया जाता रहा है. साल 2019 में एग्रीमेंट खत्म हुआ तो डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज ने यूपीएलसी के जरिए आगरा विश्वविद्यालय का काम किया. इस बीच साल 2020 से 2022 तक कंपनी के द्वारा किए गए काम का करोड़ों रुपया बिल बकाया हो गया था. इसी दौरान जनवरी 2022 में आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का चार्ज प्रो. विनय पाठक को मिला तो उन्होंने बिल पास करने के एवज में कमीशन की मांग की थी, इस मामले में एसटीएफ ने अभी तक दो आरोपियों अजय मिश्रा, अजय जैन को गिरफ्तार किया है.

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