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एसटीएफ की जांच में खुलासा, बिना नीट परीक्षा के छात्रों का एडमिशन, सबूत मिटाने के हुए प्रयास

एसटीएफ की जांच में एक बड़ा खुलासा हुआ है. आयुष कॉलेजों में उन छात्रों को दाखिला दे दिया गया जिन्होंने नीट की परीक्षा ही नहीं दी. उजागर हुए फर्जीवाड़े से काउंसलिंग कराने वाली एजेंसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.

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आयुष कॉलेजों में फर्जी दाखिले की जांच
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Published : Nov 7, 2022, 7:26 AM IST

लखनऊ: आयुष कॉलेजों में फर्जी दाखिले की जांच एसटीएफ को सौंपी गई है. अब तक की जांच में एसटीएफ को जो सबूत मिले हैं, उसके आधार पर यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के आयुष कॉलेजों में उन छात्रों को दाखिला दे दिया गया, जिन्होंने नीट की परीक्षा ही नहीं दी. एसटीएफ से मिली जानकारी के अनुसार, फर्जी तरह से कॉलेजों में दाखिला देने के लिए छात्रों से 500000 रुपये तक की वसूली की गई. इस मामले में एडमिशन कराने वाली संस्था एसटीएफ के रडार पर है. हालांकि, मामले के उजागर होने के बाद काउंसलिंग कराने वाली संस्था के खिलाफ हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई. एफआईआर दर्ज करने के बाद स्टाफ इस मामले की गहनता से छानबीन कर रहा है. निदेशक की ओर से निजी एजेंसी v3 सॉफ्ट सॉल्यूशन के कुलदीप सिंह सहित दो अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है.

जानकारी मिली है कि वर्ष 2020-21 परीक्षा में जो छात्र शामिल नहीं हुए उन्हें भी दाखिला दे दिया गया. अब तक ऐसे 22 छात्र के बारे में जानकारी मिल रही है, जिन्होंने नीट की परीक्षा ही नहीं दी और उन्हें उत्तर प्रदेश के यूनानी, आयुर्वेदिक कॉलेजों में दाखिला दे दिया गया. बताते चलें जब नीट परीक्षा और कॉलेज के छात्रों का सत्यापन किया गया तो 1181 छात्रों के दस्तावेज नीट काउंसलिंग में नहीं मिले हैं. अब तक 891 छात्रों ने विभिन्न कॉलेजों में दाखिला भी ले लिया है.

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आयुष कॉलेजों में दाखिले के मामले में उजागर हुए फर्जीवाड़े से जहां एक ओर काउंसलिंग कराने वाली एजेंसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. तो वहीं, कॉलेजों द्वारा गठित की गई कमेटी के सदस्य भी शक के दायरे में है. जांच एजेंसी को जहां एक ओर फर्जी दाखिले के सबूत मिले हैं. तो वहीं, दूसरी ओर इस बात के भी सबूत मिले हैं कि काउंसलिंग कराने वाली निजी संस्था से आयुष कॉलेजों की वेबसाइट से छेड़छाड़ की गई. एसटीएफ ने निजी कॉलेज की संस्था से हार्डडिस्क बरामद की है. जो करेप्ट की गई है. ऐसे में यह भी कहा जा सकता है कि फर्जीवाड़े के बाद सबूत मिटाने के प्रयास किए गए हैं.

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लखनऊ: आयुष कॉलेजों में फर्जी दाखिले की जांच एसटीएफ को सौंपी गई है. अब तक की जांच में एसटीएफ को जो सबूत मिले हैं, उसके आधार पर यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश के आयुष कॉलेजों में उन छात्रों को दाखिला दे दिया गया, जिन्होंने नीट की परीक्षा ही नहीं दी. एसटीएफ से मिली जानकारी के अनुसार, फर्जी तरह से कॉलेजों में दाखिला देने के लिए छात्रों से 500000 रुपये तक की वसूली की गई. इस मामले में एडमिशन कराने वाली संस्था एसटीएफ के रडार पर है. हालांकि, मामले के उजागर होने के बाद काउंसलिंग कराने वाली संस्था के खिलाफ हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज की गई. एफआईआर दर्ज करने के बाद स्टाफ इस मामले की गहनता से छानबीन कर रहा है. निदेशक की ओर से निजी एजेंसी v3 सॉफ्ट सॉल्यूशन के कुलदीप सिंह सहित दो अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है.

जानकारी मिली है कि वर्ष 2020-21 परीक्षा में जो छात्र शामिल नहीं हुए उन्हें भी दाखिला दे दिया गया. अब तक ऐसे 22 छात्र के बारे में जानकारी मिल रही है, जिन्होंने नीट की परीक्षा ही नहीं दी और उन्हें उत्तर प्रदेश के यूनानी, आयुर्वेदिक कॉलेजों में दाखिला दे दिया गया. बताते चलें जब नीट परीक्षा और कॉलेज के छात्रों का सत्यापन किया गया तो 1181 छात्रों के दस्तावेज नीट काउंसलिंग में नहीं मिले हैं. अब तक 891 छात्रों ने विभिन्न कॉलेजों में दाखिला भी ले लिया है.

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आयुष कॉलेजों में दाखिले के मामले में उजागर हुए फर्जीवाड़े से जहां एक ओर काउंसलिंग कराने वाली एजेंसी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. तो वहीं, कॉलेजों द्वारा गठित की गई कमेटी के सदस्य भी शक के दायरे में है. जांच एजेंसी को जहां एक ओर फर्जी दाखिले के सबूत मिले हैं. तो वहीं, दूसरी ओर इस बात के भी सबूत मिले हैं कि काउंसलिंग कराने वाली निजी संस्था से आयुष कॉलेजों की वेबसाइट से छेड़छाड़ की गई. एसटीएफ ने निजी कॉलेज की संस्था से हार्डडिस्क बरामद की है. जो करेप्ट की गई है. ऐसे में यह भी कहा जा सकता है कि फर्जीवाड़े के बाद सबूत मिटाने के प्रयास किए गए हैं.

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