लखनऊ: लखनऊ में हुए पूर्व ब्लॉक प्रमुख अजीत सिंह हत्याकांड में जिस माफिया व पूर्व सांसद धनंजय सिंह को लखनऊ पुलिस ने आपराधिक साजिश का आरोपी बनाकर भगोड़ा घोषित किया था. उसे अब मामले की जांच कर रही एसटीएफ ने गैर जमानती धाराओं से जमानती धाराओं का आरोपी बनाते हुए कोर्ट में एक रिपोर्ट पेश की है. इस रिपोर्ट के आधार पर धनंजय को अब हत्या के मामले में जमानत लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी और अब वो सातवें चरण के नामांकन की अंतिम तारीख तक पर्चा दाखिल करने के साथ ही खुलकर चुनाव प्रचार कर सकेगा. करीब एक साल पहले 6 जनवरी, 2021 की शाम राजधानी लखनऊ के विभूति खंड में कठौता चौराहे पर आजमगढ़ के पूर्व ब्लॉक प्रमुख अजीत सिंह की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी. लखनऊ पुलिस ने धनंजय सिंह को इस हत्याकांड का मुख्य साजिशकर्ता माना था. पुलिस ने उसे फरार बताकर उसके खिलाफ 25 हजार का इनाम घोषित किया था. उसके बाद से ही धनंजय सिंह व उसकी राजनीतिक धमक की कहानी बच्चे-बच्चे तक चर्चा में आई. पुलिस के रिकॉर्ड में फरारी काट रहा धनंजय का खुले आम शादी समारोह में शामिल होने और क्रिकेट के ग्राउंड में बल्ला घुमाते का वीडियो वायरल होता रहा, लेकिन उसे पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी थी. जिसके बाद 8 जनवरी, 2022 को डीजीपी ने एसटीएफ को जांच सौंप दी थी.
STF की रिपोर्ट ने रास्ता किया साफ
जौनपुर की मल्हनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए वांछित धनंजय ने लखनऊ सेशन कोर्ट में आत्म समर्पण के लिए अर्जी डाली तो एसटीएफ ने कोर्ट में रिपोर्ट पेश कर दी. रिपोर्ट में 120B की जगह धनंजय सिंह के विरुद्ध अपराधियों को आश्रय देना एवं न्यायिक आदेश का पालन न करने (धारा- 212 एवं 174 भारतीय दंड संहिता) का आरोप बताया गया है. ये दोनों ही धाराएं जमानती धाराएं हैं. इस याचिका पर 19 फरवरी को सुनवाई होनी है. माना जा रहा है कि धनंजय नामांकन करने के बाद 19 को कोर्ट में आत्मसमर्पण कर देगा व जमानत लेकर खुलेआम प्रचार करेगा.
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ईटीवी भारत ने पहले ही जताया था अंदेशा
इस पूरी कहानी का क्या अंजाम होना है, ये ईटीवी भारत ने पहले ही बता दिया था कि किस तरह लखनऊ पुलिस का भगोड़ा अपराधी पुलिस को चुनौती देने वाला है. पिछले एक साल से पहले पुलिस की दरियादिली से धनंजय बेखौफ अपने क्षेत्र में घूम रहा था फिर एसटीएफ को जांच ट्रांसफर होने पर लखनऊ पुलिस की ही रिपोर्ट को धता बताकर उसे 120B से मुक्त कर सिर्फ अपराधियों को आश्रय देने का मुलजिम बना मामूली धाराओं में रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी.
आश्चर्य में पड़े पूर्व पुलिस अधिकारी
पूर्व डीजीपी ऐके जैन ने भी इस मामले में यह कहा था कि जब पुलिस कमिश्नरेट ने एफआईआर में नाम न होने के बाद भी अपनी जांच में धनंजय को हत्याकांड का साजिशकर्ता बताकर 25 हजार का इनाम घोषित किया तो इसके पीछे सुबूत व गवाहों के बयान आधार होंगे. ऐसे में एसटीएफ उस रिपोर्ट को अनदेखा नहीं कर सकती है.
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