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कांग्रेस कार्यालय में जमींदोज हुआ इंदिरा गांधी का मंच

लखनऊ स्थित कांग्रेस कार्यालय में इंदिरा गांधी का इतिहास और भूगोल बदल दिया गया है. यूपी कांग्रेस कार्यालय के जिस मंच का उद्घाटन इंदिरा गांधी ने किया था अब उस मंच का नामोनिशां ही मिटा दिया गया है. यह मंच सिर्फ कांग्रेस के इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर रह गया है.

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Published : Dec 17, 2020, 9:25 PM IST

कांग्रेस कार्यालय में जमींदोज हुआ इंदिरा गांधी का मंच
कांग्रेस कार्यालय में जमींदोज हुआ इंदिरा गांधी का मंच

लखनऊः देश जहां 16 दिसंबर 1971 में भारत के वीर सैनिकों के अदम्य साहस के बलबूते मिली जीत को विजय दिवस के रूप में मनाता है. वहीं उत्तर प्रदेश कांग्रेस पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के साहसिक निर्णयों के कारण विजय दिवस के रूप में मनाती है. कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश का भूगोल बदल दिया था. अब इस साल कांग्रेस के नेताओं ने भी कांग्रेस कार्यालय में इंदिरा गांधी का इतिहास और भूगोल बदल दिया है. यूपी कांग्रेस कार्यालय के जिस मंच का उद्घाटन इंदिरा गांधी ने किया था अब उस मंच का नामोनिशां ही मिटा दिया गया है. यह मंच सिर्फ कांग्रेस के इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर रह गया है.

मंच के साथ ही नहीं बचा शिलापट्ट
विजय दिवस के उपलक्ष्य में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर इस साल पूर्व सैनिकों को सम्मानित करने के लिए जो कार्यक्रम आयोजित किया गया, वह हर साल से अलहदा था. हर साल पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने जिस मंच का उद्घाटन किया था उस मंच पर पूर्व सैनिकों का सम्मान होता था, लेकिन इस साल वह मंच ही जमींदोज हो चुका है. अब यहां पर सिर्फ मंच के नीचे के मिट्टी ही बची रह गई है. इस साल यह कार्यक्रम उस स्थान पर न आयोजित होकर सभागार में आयोजित किया गया. दरअसल, कांग्रेस कार्यालय में इन दिनों नए सिरे से परिसर के अंदर ही बड़ा सा ऑडिटोरियम और नया मंच तैयार किया जा रहा है. इसलिए इंदिरा गांधी के द्वारा उद्घाटित इस मंच को तोड़ दिया गया. मंच पर जो शिलापट्ट लगाया गया था उसमें इंदिरा गांधी का नाम दर्ज था. अब कांग्रेस कार्यालय के नेहरू भवन के उद्घाटन वाला ही इंदिरा गांधी का शिलापट्ट लगा रह गया है.

तमाम बड़े नेताओं ने बढ़ाई इस मंच की शोभा
कांग्रेस कार्यालय के जिस मंच का इंदिरा गांधी ने उद्घाटन किया था उस मंच की कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने शोभा बढ़ाई है. कार्यालय में होने वाले तमाम बड़े आयोजन इसी मंच से संपन्न हुए. सैनिकों के सम्मान में आखिरी बार इस मंच का इस्तेमाल प्रदेश अध्यक्ष के रूप में राजबब्बर ने किया. राज बब्बर के बाद जब कांग्रेस ने अजय कुमार लल्लू को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी. पिछले साल अक्टूबर माह में अजय कुमार लल्लू भी इस मंच के गवाह बने, लेकिन इस बार सैनिकों के सम्मान में आयोजित इस कार्यक्रम में मंच का अस्तित्व पूरी तरह से समाप्त हो गया है.

भारतीय रणबांकुरों ने किया था कमाल
साल 1971 में आज के ही दिन भारत के रणबांकुरों ने पाकिस्तान की सेना को धूल चटाई थी. यह जीत भारत के वीर सैनिकों के अदम्य साहस की परिचायक है. उस समय देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं. देश जहां सैनिकों के इस अदम्य साहस के बलबूते मिली जीत को विजय दिवस के रूप में मनाता है, वहीं कांग्रेस का मानना है कि जिस तरह से इंदिरा गांधी ने 14 दिन में भारत-पाकिस्तान के युद्ध में पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया यह अपने आप में इतिहास है. 1971 की लड़ाई जीतकर इंदिरा गांधी ने देश का भूगोल बदल दिया था.

लखनऊः देश जहां 16 दिसंबर 1971 में भारत के वीर सैनिकों के अदम्य साहस के बलबूते मिली जीत को विजय दिवस के रूप में मनाता है. वहीं उत्तर प्रदेश कांग्रेस पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी के साहसिक निर्णयों के कारण विजय दिवस के रूप में मनाती है. कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश का भूगोल बदल दिया था. अब इस साल कांग्रेस के नेताओं ने भी कांग्रेस कार्यालय में इंदिरा गांधी का इतिहास और भूगोल बदल दिया है. यूपी कांग्रेस कार्यालय के जिस मंच का उद्घाटन इंदिरा गांधी ने किया था अब उस मंच का नामोनिशां ही मिटा दिया गया है. यह मंच सिर्फ कांग्रेस के इतिहास के पन्नों में दर्ज होकर रह गया है.

मंच के साथ ही नहीं बचा शिलापट्ट
विजय दिवस के उपलक्ष्य में उत्तर प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर इस साल पूर्व सैनिकों को सम्मानित करने के लिए जो कार्यक्रम आयोजित किया गया, वह हर साल से अलहदा था. हर साल पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी ने जिस मंच का उद्घाटन किया था उस मंच पर पूर्व सैनिकों का सम्मान होता था, लेकिन इस साल वह मंच ही जमींदोज हो चुका है. अब यहां पर सिर्फ मंच के नीचे के मिट्टी ही बची रह गई है. इस साल यह कार्यक्रम उस स्थान पर न आयोजित होकर सभागार में आयोजित किया गया. दरअसल, कांग्रेस कार्यालय में इन दिनों नए सिरे से परिसर के अंदर ही बड़ा सा ऑडिटोरियम और नया मंच तैयार किया जा रहा है. इसलिए इंदिरा गांधी के द्वारा उद्घाटित इस मंच को तोड़ दिया गया. मंच पर जो शिलापट्ट लगाया गया था उसमें इंदिरा गांधी का नाम दर्ज था. अब कांग्रेस कार्यालय के नेहरू भवन के उद्घाटन वाला ही इंदिरा गांधी का शिलापट्ट लगा रह गया है.

तमाम बड़े नेताओं ने बढ़ाई इस मंच की शोभा
कांग्रेस कार्यालय के जिस मंच का इंदिरा गांधी ने उद्घाटन किया था उस मंच की कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने शोभा बढ़ाई है. कार्यालय में होने वाले तमाम बड़े आयोजन इसी मंच से संपन्न हुए. सैनिकों के सम्मान में आखिरी बार इस मंच का इस्तेमाल प्रदेश अध्यक्ष के रूप में राजबब्बर ने किया. राज बब्बर के बाद जब कांग्रेस ने अजय कुमार लल्लू को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी. पिछले साल अक्टूबर माह में अजय कुमार लल्लू भी इस मंच के गवाह बने, लेकिन इस बार सैनिकों के सम्मान में आयोजित इस कार्यक्रम में मंच का अस्तित्व पूरी तरह से समाप्त हो गया है.

भारतीय रणबांकुरों ने किया था कमाल
साल 1971 में आज के ही दिन भारत के रणबांकुरों ने पाकिस्तान की सेना को धूल चटाई थी. यह जीत भारत के वीर सैनिकों के अदम्य साहस की परिचायक है. उस समय देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं. देश जहां सैनिकों के इस अदम्य साहस के बलबूते मिली जीत को विजय दिवस के रूप में मनाता है, वहीं कांग्रेस का मानना है कि जिस तरह से इंदिरा गांधी ने 14 दिन में भारत-पाकिस्तान के युद्ध में पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया यह अपने आप में इतिहास है. 1971 की लड़ाई जीतकर इंदिरा गांधी ने देश का भूगोल बदल दिया था.

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