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हाईकोर्ट की सख्ती के बाद स्मारक घोटाले की जांच की रफ्तार तेज

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने 1400 करोड़ रुपये के चर्चित स्मारक घोटाले में बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा के मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इंकार करते हुए मामले की विवेचना चार सप्ताह में पूरा करने के आदेश दिए हैं. बाबू सिंह कुशवाहा की ओर से दायर याचिका में स्मारक घोटाले में वर्ष 2014 में दर्ज एफआईआर को चुनौती दी गई थी.

स्मारक घोटाले की जांच की रफ्तार तेज
स्मारक घोटाले की जांच की रफ्तार तेज
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Published : Sep 2, 2021, 8:33 AM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की सख्ती के बाद बसपा के शासनकाल में लखनऊ व नोएडा में स्मारकों के निर्माण में हुए 1400 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच की रफ्तार तेज कर दी है. उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) ने बुधवार को राजकीय निर्माण निगम (UPRNN) के एक रिटायर्ड अफसर समेत चार लोगों से पूछताछ की. विजिलेंस सिलसिलेवार 16 और अधिकरियों से पूछताछ करेगी. चार सप्ताह में विजिलेंस अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप पत्र भी दाखिल करेगी.

हाल ही में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने 1400 करोड़ रुपये के चर्चित स्मारक घोटाले में बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा के मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इंकार करते हुए मामले की विवेचना चार सप्ताह में पूरा करने के आदेश दिए हैं. बाबू सिंह कुशवाहा की ओर से दायर याचिका में स्मारक घोटाले में वर्ष 2014 में दर्ज एफआईआर को चुनौती दी गई थी. याची के अधिवक्ता की दलील थी कि विवेचना पिछले लगभग सात सालों से चल रही है, लेकिन अब तक याची के खिलाफ कोई भी महत्वपूर्ण साक्ष्य नहीं मिला है. इस आधार पर एफआईआर रद्द की जानी चाहिए. कोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए चार सप्ताह में विवेचना पूरा करने का आदेश दिया.

बता दें कि, घोटाले की जांच कर रहे विजिलेंस ने दो कैबिनेट मंत्री समेत 40 अफसरों को नोटिस दिया था. इनमें से हाल ही में तत्कालीन बसपा सरकार के दो कैबिनेट मंत्रियों नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा समेत 20 अन्य अफसरों से पूछताछ कर चुकी है. उन्हीं के जवाबों के आधार पर जन्माष्टमी के बाद 20 अफसरों को पूछताछ के लिए बुलाया गया था. हाईकोर्ट की सख्ती के बाद विजिलेंस ने बुधवार को राजकीय निर्माण निगम (UPRNN) के एक रिटायर्ड अफसर समेत चार लोगों को दफ्तर बुलाकर 4 घंटे पूछताछ की. सूत्रों की मानें तो 16 और अफसरों से विजिलेंस पूछताछ करेगी.

विजिलेंस ने मांगे इन सवालों के जवाब

विजिलेंस ने UPRNN के रिटायर्ड अफसर से पूछ कि, मिर्जापुर से लाए गए पत्थरों को राजस्थान से लाए जाने का दावा करते हुए पत्थरों को दोगुने रेट में खरीदने की क्या मजबूरी थी? अफसरों ने पत्थर को लाने में प्रयुक्त परिवहन के फर्जी बिलों का भुगतान के बारे में पूछा. पत्थरों की कीमतों से लेकर उसके परिवहन तक में भारी अनियमितता देखने में आई थी. बीते 2007 को तत्कालीन खनन मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा ने अफसरों को मीरजापुर सैंड स्टोन के गुलाबी पत्थरों को स्मारकों में लगाने के लिए निर्देश दिए थे. इनके रेट तय करने के लिए गठित क्रय समिति की बैठक हुई थी, जिसमें कई बड़े अफसर शामिल हुए थे.

ये है पूरा मामला

बीते 20 मई 2013 को शासन को सौंपी गई अपनी जांच रिपोर्ट में लोकायुक्त ने कुल 199 लोगों को आरोपी बताया था. अब तक 23 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. वर्ष 2014 में इसी रिपोर्ट के आधार पर जांच की जिम्मेदारी विजिलेंस को सौंपी गई थी. विजिलेंस ने जनवरी 2014 में लखनऊ के गोमतीनगर थाने में पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा समेत 19 नामजद व अन्य अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. अब इसी एफआईआर पर उसकी जांच चल रही है. वहीं, छह अफसरों के खिलाफ अक्तूबर, 2020 में चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है. विजिलेंस के साथ प्रवर्तन निदेशालय भी मामले में जांच कर रहा है. प्रवर्तन निदेशालय ने स्मारक घोटाले में प्रीवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट का मामला भी दर्ज किया था और लखनऊ में इंजीनियरों और ठेकेदारों की संपत्तियों को कुर्क किया था.

लखनऊ: हाईकोर्ट की सख्ती के बाद बसपा के शासनकाल में लखनऊ व नोएडा में स्मारकों के निर्माण में हुए 1400 करोड़ रुपये के घोटाले की जांच की रफ्तार तेज कर दी है. उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) ने बुधवार को राजकीय निर्माण निगम (UPRNN) के एक रिटायर्ड अफसर समेत चार लोगों से पूछताछ की. विजिलेंस सिलसिलेवार 16 और अधिकरियों से पूछताछ करेगी. चार सप्ताह में विजिलेंस अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप पत्र भी दाखिल करेगी.

हाल ही में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा व न्यायमूर्ति सरोज यादव की खंडपीठ ने 1400 करोड़ रुपये के चर्चित स्मारक घोटाले में बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा के मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इंकार करते हुए मामले की विवेचना चार सप्ताह में पूरा करने के आदेश दिए हैं. बाबू सिंह कुशवाहा की ओर से दायर याचिका में स्मारक घोटाले में वर्ष 2014 में दर्ज एफआईआर को चुनौती दी गई थी. याची के अधिवक्ता की दलील थी कि विवेचना पिछले लगभग सात सालों से चल रही है, लेकिन अब तक याची के खिलाफ कोई भी महत्वपूर्ण साक्ष्य नहीं मिला है. इस आधार पर एफआईआर रद्द की जानी चाहिए. कोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए चार सप्ताह में विवेचना पूरा करने का आदेश दिया.

बता दें कि, घोटाले की जांच कर रहे विजिलेंस ने दो कैबिनेट मंत्री समेत 40 अफसरों को नोटिस दिया था. इनमें से हाल ही में तत्कालीन बसपा सरकार के दो कैबिनेट मंत्रियों नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा समेत 20 अन्य अफसरों से पूछताछ कर चुकी है. उन्हीं के जवाबों के आधार पर जन्माष्टमी के बाद 20 अफसरों को पूछताछ के लिए बुलाया गया था. हाईकोर्ट की सख्ती के बाद विजिलेंस ने बुधवार को राजकीय निर्माण निगम (UPRNN) के एक रिटायर्ड अफसर समेत चार लोगों को दफ्तर बुलाकर 4 घंटे पूछताछ की. सूत्रों की मानें तो 16 और अफसरों से विजिलेंस पूछताछ करेगी.

विजिलेंस ने मांगे इन सवालों के जवाब

विजिलेंस ने UPRNN के रिटायर्ड अफसर से पूछ कि, मिर्जापुर से लाए गए पत्थरों को राजस्थान से लाए जाने का दावा करते हुए पत्थरों को दोगुने रेट में खरीदने की क्या मजबूरी थी? अफसरों ने पत्थर को लाने में प्रयुक्त परिवहन के फर्जी बिलों का भुगतान के बारे में पूछा. पत्थरों की कीमतों से लेकर उसके परिवहन तक में भारी अनियमितता देखने में आई थी. बीते 2007 को तत्कालीन खनन मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा ने अफसरों को मीरजापुर सैंड स्टोन के गुलाबी पत्थरों को स्मारकों में लगाने के लिए निर्देश दिए थे. इनके रेट तय करने के लिए गठित क्रय समिति की बैठक हुई थी, जिसमें कई बड़े अफसर शामिल हुए थे.

ये है पूरा मामला

बीते 20 मई 2013 को शासन को सौंपी गई अपनी जांच रिपोर्ट में लोकायुक्त ने कुल 199 लोगों को आरोपी बताया था. अब तक 23 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. वर्ष 2014 में इसी रिपोर्ट के आधार पर जांच की जिम्मेदारी विजिलेंस को सौंपी गई थी. विजिलेंस ने जनवरी 2014 में लखनऊ के गोमतीनगर थाने में पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और बाबू सिंह कुशवाहा समेत 19 नामजद व अन्य अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी. अब इसी एफआईआर पर उसकी जांच चल रही है. वहीं, छह अफसरों के खिलाफ अक्तूबर, 2020 में चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है. विजिलेंस के साथ प्रवर्तन निदेशालय भी मामले में जांच कर रहा है. प्रवर्तन निदेशालय ने स्मारक घोटाले में प्रीवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट का मामला भी दर्ज किया था और लखनऊ में इंजीनियरों और ठेकेदारों की संपत्तियों को कुर्क किया था.

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