लखनऊ: भारत टीबी रोगियों का कैपिटल बन गया है. दुनियाभर के एक चौथाई क्षय रोगी भारत में हैं. एक आंकड़े के मुताबिक देश के 40 फीसद लोगों के शरीर में बैक्टीरिया मौजूद हैं. ऐसे में रोगियों की समय पर खोज न करना भारी पड़ सकता है, लेकिन सही वक्त पर जांच और इलाज से बीमारी को हराया जा सकता है.
एक टीबी मरीज, 15 लोगों को करता है संक्रमित
डॉ. वेद प्रकाश के मुताबिक टीबी का एक मरीज 10-15 लोगों को संक्रमित कर सकता है. ऐसे में लोगों को रेस्परेटरी हाइजीन को मेंटेन रखना होगा. साथ ही मास्क के इस्तेमाल से कोरोना वायरस के साथ टीबी के संक्रमण से भी बचा जा सकता है.
टीबी के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
- टीबी बैक्टीरिया की खोज वैज्ञानिक रॉबर्ट कोच ने 24 मार्च 1882 में की
- टीबी विश्व भर में लोगों के मृत्यु के लिए जिम्मेदार 10 प्रमुख बीमारियों में से एक है
- 2019 में एक करोड़ से ज्यादा लोग टीबी की चपेट में आए, इनमें से 14 लाख लोगों को अपनी जान गवांई
- वर्ष 2019 में ड्रग रेजिस्टेंस टीबी के डेढ़ लाख मरीज रिपोर्ट किए गए
- वर्ष 2015 में देश में प्रति लाख 217 टीबी मरीज पाए गए थे, एक लाख मरीज में 44 की मौत
- वर्ष 2019 में प्रति लाख 193 टीबी मरीज पाए गए, वहीं एक लाख मरीज में 22 की मौत हुई
- विश्व का हर चौथा क्षय रोगी भारतीय है, और भारत का हर पांचवा क्षय रोगी उत्तर प्रदेश का है
- क्षयरोग को वर्ष 2025 तक भारत से समाप्त करने का लक्ष्य है
फेफड़े में टीबी के लक्षण
- दो हफ्ते से ज्यादा तक खांसी का आना
- बलगम का आना
- बलगम के साथ रक्त आना
- सीने में दर्द
- बुखार का आना
- भूख कम होना
- वजन कम होना
यूपी में टीबी इलाज की व्यवस्था
- प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में निःशुल्क उपचार
- सरकारी और निजी क्षेत्र में इलाज करा रहे सभी रोगी निक्षय पोर्टल पर पंजीकृत
- वर्ष 2020 में टीबी नोटीफिकेशन सरकारी क्षेत्र में 242258 पंजीकृत
- निजी क्षेत्र में 124256 पंजीकृत, राज्य में कुल क्षय रोगी 366514 क्षय रोग
- वर्ष 2021 में अब तक 90,000 से अधिक क्षय रोगी निक्षय पोर्टल पर पंजीकृत कर नि:शुल्क उपचार
- प्रदेश के सभी जनपदों में एक मई 2020 से क्षय रोगियों के नमूनों को प्रयोगशाला तक डाक विभाग द्वारा पहुंचाने की व्यवस्था की गई
- मेरठ व गोरखपुर में नई कल्चर एवं ड्रग सेंसिटिविटी प्रयोगशाला शुरू की
- राज्य में145 सीबी नॉट प्रयोगशाला, 451 ट्रूनाॅट प्रयोगशाला हैं
- 25 डिजिटल एक्स-रे मशीन की स्थापना, चार कल्चर एंड डीएसटी लैब कानपुर, इटावा, झांसी व प्रयागराज जल्द शुरू होंगी
- निक्षय पोषण योजना से रुपये 500 प्रति माह की दर से भुगतान किया जा रहा है
- योजना के तहत प्रदेश में अब तक 196 करोड़ रुपए टीबी मरीजों के खाते में गए
- वर्ष 2018 मे 69 करोड़, वर्ष 2019 में 80 करोड़, वर्ष 2020 मे 45 करोड़ से अधिक रुपये का भुगतान किया गया
- प्रदेश के 22 नोडल डीआरटी सेन्टर पर बीडाक्यूलीन व डेलामिनिड आधारित रेजीमेन उपलब्ध