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जानिए, किन उपायों को करने से हो सकती है पर्यावरण की रक्षा

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Published : Jun 5, 2019, 10:41 AM IST

हर साल 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. अक्सर यह कहा जाता है कि शहरीकरण बढ़ने से जंगल कम होते जा रहे हैं. इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के मुख्य वन संरक्षक परियोजना विभास रंजन ने ईटीवी भारत से बातचीत में जंगलों की सच्चाई के बारे में बताया और ऐसे तरीकों के बारे में भी बताया, जिससे पर्यावरण को दोबारा हरा-भरा किया जा सके.

मुख्य वन संरक्षक अधिकारी विभाष रंजन से बात करतीं ईटीवी भारत की संवाददाता.

लखनऊ: अक्सर ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने या ज्यादा गर्मी पड़ने पर लोग कहते हैं कि शहरीकरण बढ़ रहा है और जंगल कम होते जा रहे हैं. इस बारे में इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के मुख्य वन संरक्षक परियोजना विभास रंजन ने बताया कि हम अपने आसपास कौन से ऐसे काम कर सकते हैं, जिससे पर्यावरण को दोबारा हरा-भरा किया जा सके.

मुख्य वन संरक्षक अधिकारी विभाष रंजन से बात करतीं ईटीवी भारत की संवाददाता.

आखिर हम क्या करें, जिससे बच सके हमारा पर्यावरण

  • उत्तर प्रदेश वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक आईएसएस विभाष रंजन के अनुसार इस वर्ष उत्तर प्रदेश में 22 करोड़ पौधे लगाने का वन विभाग ने निर्णय लिया है.
  • विभाष रंजन ने बताया कि पिछले वर्ष भी प्रदेश में 11 करोड़ पौधे लगाए गए थे, लेकिन इस वर्ष पौधे लगाने के लिए किसानों और तमाम ऐसे वर्गों को भी शामिल किया गया है, जो खेती या अपने निजी कार्यों के साथ पौधे लगाना चाहते हैं.
  • वन विभाग की तरफ से ऐसे किसानों को न केवल पौधे दिए जाएंगे बल्कि यह भी बताया जाएगा कि कौन से पौधे लगाने चाहिए और उसको लगाने के सही तरीके क्या होते हैं.
  • रंजन एक बात यह भी कहते नजर आए कि हर कोई अपने आसपास हरियाली तो देखना चाहता है, लेकिन अपने घर के बाहर पेड़ नहीं लगाना चाहता.

भले ही हम शहरीकरण के लिए जंगल काट रहे हैं, लेकिन किसी दूसरी जगह हम जंगलों की संख्या बढ़ा भी रहे हैं. यह आंकड़ा स्टेट फॉरेस्ट रिकॉर्ड में भी है और दूसरी तरह से हम सेटेलाइट इमेज के द्वारा भी इसको देख सकते हैं. हमें यह जानना जरूरी है कि विकास जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी पर्यावरण के लिए पेड़ है. इसलिए यह कहना कि जंगल कम होते जा रहे हैं, गलत है. साल 2015 से 2017 के आंकड़ों को यदि हम देखें तो जंगलों की संख्या बढ़ी है.
-विभाष रंजन, मुख्य वन संरक्षक, इंडियन फॉरेस्ट सर्विस

लखनऊ: अक्सर ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने या ज्यादा गर्मी पड़ने पर लोग कहते हैं कि शहरीकरण बढ़ रहा है और जंगल कम होते जा रहे हैं. इस बारे में इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के मुख्य वन संरक्षक परियोजना विभास रंजन ने बताया कि हम अपने आसपास कौन से ऐसे काम कर सकते हैं, जिससे पर्यावरण को दोबारा हरा-भरा किया जा सके.

मुख्य वन संरक्षक अधिकारी विभाष रंजन से बात करतीं ईटीवी भारत की संवाददाता.

आखिर हम क्या करें, जिससे बच सके हमारा पर्यावरण

  • उत्तर प्रदेश वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक आईएसएस विभाष रंजन के अनुसार इस वर्ष उत्तर प्रदेश में 22 करोड़ पौधे लगाने का वन विभाग ने निर्णय लिया है.
  • विभाष रंजन ने बताया कि पिछले वर्ष भी प्रदेश में 11 करोड़ पौधे लगाए गए थे, लेकिन इस वर्ष पौधे लगाने के लिए किसानों और तमाम ऐसे वर्गों को भी शामिल किया गया है, जो खेती या अपने निजी कार्यों के साथ पौधे लगाना चाहते हैं.
  • वन विभाग की तरफ से ऐसे किसानों को न केवल पौधे दिए जाएंगे बल्कि यह भी बताया जाएगा कि कौन से पौधे लगाने चाहिए और उसको लगाने के सही तरीके क्या होते हैं.
  • रंजन एक बात यह भी कहते नजर आए कि हर कोई अपने आसपास हरियाली तो देखना चाहता है, लेकिन अपने घर के बाहर पेड़ नहीं लगाना चाहता.

भले ही हम शहरीकरण के लिए जंगल काट रहे हैं, लेकिन किसी दूसरी जगह हम जंगलों की संख्या बढ़ा भी रहे हैं. यह आंकड़ा स्टेट फॉरेस्ट रिकॉर्ड में भी है और दूसरी तरह से हम सेटेलाइट इमेज के द्वारा भी इसको देख सकते हैं. हमें यह जानना जरूरी है कि विकास जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी पर्यावरण के लिए पेड़ है. इसलिए यह कहना कि जंगल कम होते जा रहे हैं, गलत है. साल 2015 से 2017 के आंकड़ों को यदि हम देखें तो जंगलों की संख्या बढ़ी है.
-विभाष रंजन, मुख्य वन संरक्षक, इंडियन फॉरेस्ट सर्विस

Intro:लखनऊ। अक्सर ग्लोबल वार्मिंग बढ़ने या ज्यादा गर्मी पड़ने पर लोग कहते हैं कि शहरीकरण बढ़ रहा है और जंगल कम होते जा रहे हैं इस वजह से ही गर्मी पड़ रही है। इसकी असल सच्चाई को जानने के लिए हम इंडियन फॉरेस्ट सर्विस के मुख्य वन संरक्षक परियोजना विभास रंजन से मिले जिन्होंने जंगलों की सच्चाई और उसके बारे में बताया। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि हम अपने आसपास कौन से ऐसे काम कर सकते हैं जिनसे पर्यावरण को दोबारा हरा भरा किया जा सके।


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उत्तर प्रदेश वन विभाग के मुख्य वन संरक्षक आईएसएस विभाष रंजन के अनुसार इस वर्ष उत्तर प्रदेश में 22 करोड़ पौधे लगाने का वन विभाग ने निर्णय लिया है। पिछले वर्ष भी प्रदेश में 11 करोड़ पौधे लगाए गए थे ल। इस वर्ष पौधे लगाने के लिए किसानों और तमाम ऐसे वर्गों को भी शामिल किया गया है जो खेती या अपने निजी कार्यों के साथ पौधे लगाना चाहते हैं। उन्हें वन विभाग की ओर से न केवल पौधे दिए जाएंगे बल्कि यह भी बताया जाएगा कि कौन से पौधे लगाने चाहिए और उसको लगाने के सही तरीके क्या होते हैं।

रंजन ने बताया कि लोग कहते हैं कि शहर के डिवेलपमेंट के चलते जंगल कम हो रहे हैं। इसकी सच्चाई है कि भले ही हम शहरीकरण के लिए जंगल काट रहे हैं लेकिन किसी दूसरी जगह हम जंगलों की संख्या बढ़ा दी रहे हैं। यह आंकड़ा स्टेट फॉरेस्ट रिकॉर्ड में भी है और दूसरी तरह से हम सेटेलाइट इमेज के द्वारा भी इसको देख सकते हैं। हमें यह जानना जरूरी है कि डेवलपमेंट जितना जरूरी है उतना ही जरूरी पर्यावरण के लिए पेड़ है। इसलिए यह कहना कि जंगल कम होते जा रहे हैं, गलत है। 2015 से 2017 के आंकड़ों को यदि हम देखें तो जंगलों की संख्या बढ़ी है।

रंजन एक बात यह भी कहते नजर आए कि हर कोई अपने आसपास हरियाली तो देखना चाहता है लेकिन अपने घर के बाहर पेड़ नहीं लगाना चाहता हमारी सबसे बड़ी परेशानी यही है हमें चाहिए कि हम अपने घर के बाहर भी पेड़ लगाएं या वन विभाग को लगाने दे यह पेड़ आगे चलकर बड़ा होगा तो हमें न केवल हरियाली देखा बल्कि छांव भी देगा। यदि इस बात को हर एक व्यक्ति समझने लगे तो न केवल हम ग्लोबल वार्मिंग और प्रदूषण जैसी तमाम समस्याओं से बच जाएंगे बल्कि साथ ही भूगर्भ जल और कुछ ऐसी परेशानियों को भी खत्म करने में सहायक होंगे जो हमारे भविष्य की पीढ़ियों के लिए जरूरी है।


Conclusion:आई एफ एस विभास रंजन से ईटीवी भारत संवाददाता की बातचीत का वन टू वन

वन टू वन- विभाष रंजन, मुख्य वन संरक्षक, इंडियन फॉरेस्ट सर्विस
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