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कोरोना काल में थम गया बुटीक कारोबार, व्यापारी अपना रहे ये खास तरीके

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का कहर अभी भी जारी है. सभी उद्योग-धंधे अनलॉक प्रक्रिया के तहत अब खुलने लगे हैं, लेकिन अभी भी बहुत से कारोबार कोरोना की वजह से प्रभावित हैं. इसी में से एक बुटीक का व्यापार है, जो अभी भी वापस पटरी पर नहीं लौट पाया है. देखिए लखनऊ से यह स्पेशल रिपोर्ट...

special report on boutique business of lucknow
लखनऊ के बुटीक कारोबार पर स्पेशल रिपोर्ट.
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Published : Sep 2, 2020, 3:15 PM IST

लखनऊ: कोरोना काल में लॉकडाउन के बाद देश अनलॉक प्रक्रिया के तहत वापस पटरी पर लौटने लगा है. कोविड-19 के चलते लोगों के जीने के साथ-साथ व्यापार के तरीकों में भी बड़े बदलाव देखे जा रहे हैं. समाज का एक तबका रेडीमेड कपड़ों से इतर बुटीक से अलग अंदाज में अपने खास महंगे कपड़े सिलवाना पसंद करता है, लेकिन कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए यह वर्ग इन दिनों बाहर निकलकर खरीदारी करने से कतरा रहा है. ऐसे में बुटीक व्यापारियों और फैशन डिजाइनर्स ने सोशल मीडिया और वीडियो कॉल के जरिए अपने ग्राहकों तक पहुंचने का जरिया बनाया है.

स्पेशल रिपोर्ट..

कोरोना का कारोबार पर पड़ा असर
अस्मा हुसैन फैशन इंस्टीट्यूट की सीएमडी और मशहूर इंडियन फैशन डिजाइनर अस्मा हुसैन ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कोरोना काल में फैशन इंडस्ट्री में हो रहे बदलाव को साझा किया. अस्मा हुसैन ने बताया कि बुटीक व्यापार पूरी तरह से रुक गए हैं और किसी तरह सर्वाइव करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने बताया कि पिछले 5 महीनों से बंद पड़े कारोबार वापस से खोले जा रहे हैं, लेकिन ग्राहक संक्रमण को देखते हुए अभी दूरी बनाए हुए हैं. ऐसे में ऑनलाइन और वीडियो कॉल के जरिए व्यापार को वापस उठाने की कोशिश हो रही है.

...तभी वापस पटरी पर लौटेगा कारोबार
फैशन डिजाइनर अस्मा हुसैन ने बताया कि सोशल मीडिया से अपने ग्राहकों तक पहुंचने में और ऑर्डर्स मिलने से कुछ आस नजर आ रही है, लेकिन बुटीक का कारोबार तब तक वापस पटरी पर नहीं लौट सकता, जब तक जिंदगी दोबारा से नॉर्मल नहीं हो जाती. इसके पीछे की वजह को बताते हुए अस्मा कहती है कि क्योंकि लोग 15- 20 लोगों के बीच ही शादी कर रहे हैं तो उसमें वह सोचते हैं कि इतना पैसा क्यों खर्च किया जाए. 50 हज़ार रुपये से 1 लाख तक जो कपड़े के जोड़ा बनवाते थे, वह 10 से 20 हजार तक का ही जोड़ा बनवा रहे हैं.

special report on boutique business of lucknow
कर्मचारियों की संख्या में आई कमी.

बुटीक के डिस्प्ले से हटाए गए कपड़े
मशहूर फैशन डिजाइनर और अस्मा हुसैन इंस्टीट्यूट की सीएमडी बताती हैं कि कोरोना को देखते हुए संक्रमण से बचाने के लिए कपड़ों को डिस्प्ले रैक से हटा लिया गया है और उन्हें पैक कर वाट्सएप के जरिए ग्राहकों को दिखाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि कम हुए कारोबार और सोशल डिस्टेंसिंग को बनाये रखने के लिए 50 लोगों की जगह 5 लोग ही प्रोडक्शन में लगे हैं.

ये भी पढ़ें: जानिए आखिर कैसे हो रहा है बायो मेडिकल वेस्ट का निपटारा

कारोबार के वापस पटरी पर लौटने की उम्मीद
अस्मा हुसैन का कहना है कि कारीगरों को ग्लव्स और मास्क के साथ कपड़ों को वायरस से बचाने के लिए तैयार हो चुके मैटेरियल को डिसइन्फेक्ट किया जाता है. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि कोरोना के खत्म होने के साथ फैशन इंडस्ट्री और बुटीक व्यापार वापस पटरी पर लौटेगा.

लखनऊ: कोरोना काल में लॉकडाउन के बाद देश अनलॉक प्रक्रिया के तहत वापस पटरी पर लौटने लगा है. कोविड-19 के चलते लोगों के जीने के साथ-साथ व्यापार के तरीकों में भी बड़े बदलाव देखे जा रहे हैं. समाज का एक तबका रेडीमेड कपड़ों से इतर बुटीक से अलग अंदाज में अपने खास महंगे कपड़े सिलवाना पसंद करता है, लेकिन कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए यह वर्ग इन दिनों बाहर निकलकर खरीदारी करने से कतरा रहा है. ऐसे में बुटीक व्यापारियों और फैशन डिजाइनर्स ने सोशल मीडिया और वीडियो कॉल के जरिए अपने ग्राहकों तक पहुंचने का जरिया बनाया है.

स्पेशल रिपोर्ट..

कोरोना का कारोबार पर पड़ा असर
अस्मा हुसैन फैशन इंस्टीट्यूट की सीएमडी और मशहूर इंडियन फैशन डिजाइनर अस्मा हुसैन ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कोरोना काल में फैशन इंडस्ट्री में हो रहे बदलाव को साझा किया. अस्मा हुसैन ने बताया कि बुटीक व्यापार पूरी तरह से रुक गए हैं और किसी तरह सर्वाइव करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने बताया कि पिछले 5 महीनों से बंद पड़े कारोबार वापस से खोले जा रहे हैं, लेकिन ग्राहक संक्रमण को देखते हुए अभी दूरी बनाए हुए हैं. ऐसे में ऑनलाइन और वीडियो कॉल के जरिए व्यापार को वापस उठाने की कोशिश हो रही है.

...तभी वापस पटरी पर लौटेगा कारोबार
फैशन डिजाइनर अस्मा हुसैन ने बताया कि सोशल मीडिया से अपने ग्राहकों तक पहुंचने में और ऑर्डर्स मिलने से कुछ आस नजर आ रही है, लेकिन बुटीक का कारोबार तब तक वापस पटरी पर नहीं लौट सकता, जब तक जिंदगी दोबारा से नॉर्मल नहीं हो जाती. इसके पीछे की वजह को बताते हुए अस्मा कहती है कि क्योंकि लोग 15- 20 लोगों के बीच ही शादी कर रहे हैं तो उसमें वह सोचते हैं कि इतना पैसा क्यों खर्च किया जाए. 50 हज़ार रुपये से 1 लाख तक जो कपड़े के जोड़ा बनवाते थे, वह 10 से 20 हजार तक का ही जोड़ा बनवा रहे हैं.

special report on boutique business of lucknow
कर्मचारियों की संख्या में आई कमी.

बुटीक के डिस्प्ले से हटाए गए कपड़े
मशहूर फैशन डिजाइनर और अस्मा हुसैन इंस्टीट्यूट की सीएमडी बताती हैं कि कोरोना को देखते हुए संक्रमण से बचाने के लिए कपड़ों को डिस्प्ले रैक से हटा लिया गया है और उन्हें पैक कर वाट्सएप के जरिए ग्राहकों को दिखाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि कम हुए कारोबार और सोशल डिस्टेंसिंग को बनाये रखने के लिए 50 लोगों की जगह 5 लोग ही प्रोडक्शन में लगे हैं.

ये भी पढ़ें: जानिए आखिर कैसे हो रहा है बायो मेडिकल वेस्ट का निपटारा

कारोबार के वापस पटरी पर लौटने की उम्मीद
अस्मा हुसैन का कहना है कि कारीगरों को ग्लव्स और मास्क के साथ कपड़ों को वायरस से बचाने के लिए तैयार हो चुके मैटेरियल को डिसइन्फेक्ट किया जाता है. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि कोरोना के खत्म होने के साथ फैशन इंडस्ट्री और बुटीक व्यापार वापस पटरी पर लौटेगा.

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