लखनऊः प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. सभी वर्गों को साधने के लिए समाजवादी पार्टी ने अपने परंपरागत मुस्लिम और यादव समाज से फोकस हटाते हुए कौमी एकता की राह अपना ली है. कौमी एकता को दर्शाने वाले तोरण द्वार व होर्डिंग समाजवादी पार्टी के प्रदेश मुख्यालय पर लगाए गए हैं. साथ ही रामराज लाने की भी परिकल्पना की है.
हार के बाद बदला रुख
प्रदेश की सत्ता पर 2012 से 2017 तक काबिज रहने वाली समाजवादी पार्टी को 2017 के विधानसभा चुनाव में अपेक्षित परिणाम नहीं मिले. 2020 में प्रदेश में 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में भी समाजवादी पार्टी को अपनी परंपरागत सीटों से हाथ धोना पड़ा. 7 सीटों में से समाजवादी पार्टी को एक ही सीट मिली. ऐसे में लगातार अपेक्षित परिणाम न मिलने से समाजवादी पार्टी ने अपना रुख बदलना शुरू किया. अखिलेश यादव मंदिर, गुरुद्वारों के चक्कर भी लगाने लगे. समाजवादी पार्टी के प्रदेश मुख्यालय पर बनाए गए तोरण द्वार (होर्डिंग) में अखिलेश यादव की सभी धर्मों (हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई) के धर्मगुरुओं के साथ फोटो लगी है. इसके साथ ही रामराज लाने की परिकल्पना भी की गई है.
चित्रकूट में कामतानाथ के दर्शन
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अभी कुछ दिन पूर्व चित्रकूट पहुंचकर भगवान कामतानाथ के दर्शन किए थे और मंदिर के पुजारियों से यह भी कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार आने के बाद चित्रकूट का विकास कराया जाएगा. दो दिवसीय चित्रकूट दौरे पर चित्रकूट के प्रमुख धार्मिक स्थलों का दौरा कर वहां देवी देवताओं के साथ मंदिर के पुजारियों से भी आशीर्वाद लिया था.
2007 में बसपा ने किया था सोशल इंजीनियरिंग का प्रयोग
2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोशल इंजीनियरिंग का प्रयोग किया था. इस सोशल इंजीनियरिंग में ब्राह्मण, मुस्लिम, क्षत्रिय व वैश्यों को साधने की कोशिश की थी. सभी वर्ग के लोगों को टिकट भी दिए थे. इसका परिणाम यह हुआ कि 2007 के विधानसभा चुनाव में बीएसपी उत्तर प्रदेश की सत्ता में आई.
2 दिन पूर्व जौनपुर में दिया था जन्म से हिंदू का बयान
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव 2 दिन पूर्व जौनपुर के दौरे पर गए थे. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा था कि हम जन्म से ही हिंदू हैं. जिस तरह से अखिलेश यादव मंदिर, गुरुद्वारे के दर्शन कर रहे हैं, उससे साफ दिखता है कि वह अपनी मुस्लिम परस्त वाली छवि को बदलना चाहते हैं. 2022 विधानसभा चुनाव में सभी वर्गों व जातियों के वोट मिल सकें इसलिए समाजवादी पार्टी यह नया प्रयोग कर रही है.
क्या कहते हैं सपा के पदाधिकारी
हिंदू, मुस्लिम, सिख व ईसाई धर्म गुरुओं के साथ अखिलेश यादव की प्रदेश मुख्यालय पर लगी तस्वीरों के सवाल पर कानपुर की शीशामऊ विधानसभा से समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी का कहना है कि मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना. विधायक इरफान सोलंकी का कहना है कि समाजवादी पार्टी समाज को जोड़ने का काम करती है. हम हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी को प्यार करते हैं. हमारी राजनीति में किसी एक वर्ग की राजनीति नहीं है. हम समाज को जोड़ने का काम करते हैं. विधायक इरफान सोलंकी का कहना है कि सभी धर्म गुरुओं के साथ फोटो लगाना अखिलेश यादव के ही बस की बात है. किसी अन्य दल के नेता के बस की बात नहीं है.
नया समीकरण, भविष्य पर नजर
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जिस तरह से लगातार मंदिर व गुरुद्वारों पर मत्था टेकने के साथ धर्मगुरुओं से मिलकर आशीर्वाद ले रहे हैं, साथ ही जिस तरह से जन्मजात हिंदू होने की बात कर रहे हैं और खुद को शांति दूत के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं, निश्चित रूप से इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि समाजवादी पार्टी अपने तेवर व कलेवर बदलकर 2022 में नया प्रयोग करना चाहती है. इस नए प्रयोग के तहत समाजवादी पार्टी सभी जाति, धर्म, संप्रदाय को लेकर 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लगी हुई है.