लखनऊ : सैन फ्रांसिस्कों के विश्वविद्यालय ऑस्टिन के उत्तर प्रदेश में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (Global Investors Summit) के दौरान 35 हजार करोड़ के निवेश को लेकर सरकार पर हर ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं. सोशल मीडिया से लेकर समाजवादी पार्टी तक विभिन्न तथ्यों के माध्यम से सरकार पर सवाल उठा रही है कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के माध्यम से सरकार आम लोगों को छलावे में रख रही है. ऐसे ऐसे निवेश हो रहे हैं जो मजाक का विषय बनते जा रहे हैं. आपकी सरकार ने अब तक अपनी ओर से इस विश्वविद्यालय के निवेश को लेकर कोई जवाब नहीं दिया. ऐसे में शंका का दायरा बढ़ता जा रहा है कि आखिर क्यों सरकार तथ्य छुपा रही है. इसके बाद इस बात पर लंबी बहस छिड़ी हुई है. सोशल मीडिया पर कई टि्वटर अकाउंट (twitter account) सरकार के इस निवेश पर सवाल उठा रहे हैं. जिसे ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट से पहले सरकार घिरती हुई नजर आ रही है.
अखिलेश यादव ने ट्विटर (akhilesh yadav on twitter) के जरिए आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश में निवेश (Invest in Uttar Pradesh) लाने के नाम पर मंत्रियों को जनता के पैसों पर विदेश घुमाया जा रहा है और छद्म करार करके झूठा प्रचार किया जा रहा है. भाजपा सरकार ये बताए कि पिछली बार निवेश के जो करार हुए थे उनका लेखाजोखा कब देगी या वो भी ‘पंद्रह लाखी जुमला’ के समान खोखले थे. अखिलेश यादव ने कहा (Akhilesh Yadav said) है कि लगातार इस तरह से सरकार के घोटाले सामने आ रहे हैं. मंत्री और अफसर विदेशों में मौज ले रहे हैं. जनता के करोड़ों रुपये का खर्च इस तरह से बेकार किया जा रहा है, मगर सरकार के कानों पर जूं नहीं रेंग रही.
दूसरी ओर सोशल मीडिया पर उठाए जा रहे सवालों में कहा जा रहा है कि यूपी के अफसर अपने नए-नए कारनामों के लिए दुनिया भर में चर्चित रहते हैं. इस बार इन अफसरों ने ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट (Global Investors Summit) के नाम पर जो गुल खिलाए हैं उसने दुनिया भर में न सिर्फ यूपी बल्कि भारत की भी मजाक उड़ा दी है. यूपी के मंत्री और इंडस्ट्री विभाग (UP minister and industry department) के सबसे बड़े अफसर अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में एक ऐसे विश्वविद्यालय से 35 हजार करोड़ का करार कर आए हैं, जो एक ही छत के नीचे चलता है. देश की जानी-मानी पत्रकार रोहिणी सिंह (Journalist Rohini Singh) के इस खुलासे के बाद हड़कंप मच गया है और लोग कहने लगे कि पिछली इन्वेस्टर्स समिट की तरह इस बार भी समिट के नाम पर धोखाधड़ी की जा रही है. अफसरों और मंत्रियों के विदेश दौरे पर करोड़ों रुपया खर्च हो गया और जो कागजों में करार करके प्रदर्शित किया गया उतना तो यूपी का बजट भी नहीं है.
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