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दामाद ने सास के अकाउंट से उड़ाये लाखों रुपये, साथी के साथ हुआ गिरफ्तार

वाराणसी में साइबर क्राइम के थाने ने एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया, जो पेटीएम से अपने ही सास के अकाउंट से लाखों रुपये निकाल लिये थे. इसके साथ ही पुलिस ने उसके एक साथी को भी दबोचा है.

दामाद ने सास के अकाउंट से उड़ाये लाखों रुपये, साथी के साथ हुआ गिरफ्तार
दामाद ने सास के अकाउंट से उड़ाये लाखों रुपये, साथी के साथ हुआ गिरफ्तार
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Published : Feb 12, 2021, 5:39 AM IST

वाराणसीः जिले की पुलिस ने साइबर क्राइम के मामले में एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया, जो अपनी ही सास को चूना लगा रहा था. उसने सास के अकाउंट से लाखों रुपये निकाल लिये थे. इस मामले में पुलिस ने उसके एक साथी को भी दबोचा है. दरअसल सास सुनीता देवी ने साइबर थाने में मामला दर्ज कराया था कि उनके बैंक खाते से उनकी जानकारी के बिना 16 सितंबर 2020 से 29 जनवरी 2021 तक में कई बार में कुल 5 लाख 90 हजार 3 सौ नवासी रुपये अवैध रूप से साइबर अपराधियों ने गायब कर दिया है. उन्होंने इस मामले में अपने रिश्तेदार पर ही शक जाहिर किया था.

दामाद ने उड़ाये सास के अकाउंट से लाखों रुपये

इस मामले में पुलिस ने सबूतों के आधार पर आरोपी अमित कुमार और उसके साथी सुरज विश्वकर्मा को गुरुवार को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पास से गिरफ्तार कर लिया है. वहीं पुलिस के सामने आरोपियों ने अपना जुर्म कबूल लिया है. आरोपी दामाद ने बताया कि मेरी शादी अर्दली बाजार महाबीर मंदिर के पास अजय कुमार की बेटी नेहा के साथ हुई है. मेरे ससुर को बेटा नहीं है. इसलिए शादी के बाद से ही ससुराल में रहता था. ससुर बीएसएनएल में काम करते थे. वे रिटायर्ड होने के बाद अपने सारे पैसे सास के इलाहाबाद बैंक के खातों में रखे थे. ये बात उसे पता थी. बैंक से पैसा निकालने के लिए सास को बाइक पर बिठाकर ले जाया करता था. कभी-कभी वो उसे अकेले एटीएम देकर भेज दिया करती थीं. इस तरह से पिन की उसे जानकारी थी. इस बीच मौका पाकर वो पैसे निकालकर उड़ाता रहा.

पेटीएम के माध्यम से करते थे साइबर क्राइम

वहीं अभियुक्त ने बताया कि मेरे साथ पकड़ा गया सूरज विश्वकर्मा मेरा मित्र है. जिसका खाता यूनियन बैंक आफ इण्डिया, डीएवी कालेज की शाखा में है. मित्र सूरज विश्वकर्मा के मोबाइल नंबर से पेटीएम एकाउंट बनाया था. जिसपर अपने सास के खातें से पैसा एटीएम कार्ड के माध्यम से उसके खाते में ट्रासफर किया करता था. हर बार सास के मोबाइल किसी बहाने लेकर ओटीपी देख लेता था और उसे डिलीट कर देता था. जिससे किसी को पता नही चलता था. बाद में सूरज विश्वकर्मा के खाते से पैसा निकाल कर हम दोनों मिलकर खर्च करते थे और घुमते फिरते थे.

वाराणसीः जिले की पुलिस ने साइबर क्राइम के मामले में एक ऐसे शख्स को गिरफ्तार किया, जो अपनी ही सास को चूना लगा रहा था. उसने सास के अकाउंट से लाखों रुपये निकाल लिये थे. इस मामले में पुलिस ने उसके एक साथी को भी दबोचा है. दरअसल सास सुनीता देवी ने साइबर थाने में मामला दर्ज कराया था कि उनके बैंक खाते से उनकी जानकारी के बिना 16 सितंबर 2020 से 29 जनवरी 2021 तक में कई बार में कुल 5 लाख 90 हजार 3 सौ नवासी रुपये अवैध रूप से साइबर अपराधियों ने गायब कर दिया है. उन्होंने इस मामले में अपने रिश्तेदार पर ही शक जाहिर किया था.

दामाद ने उड़ाये सास के अकाउंट से लाखों रुपये

इस मामले में पुलिस ने सबूतों के आधार पर आरोपी अमित कुमार और उसके साथी सुरज विश्वकर्मा को गुरुवार को संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पास से गिरफ्तार कर लिया है. वहीं पुलिस के सामने आरोपियों ने अपना जुर्म कबूल लिया है. आरोपी दामाद ने बताया कि मेरी शादी अर्दली बाजार महाबीर मंदिर के पास अजय कुमार की बेटी नेहा के साथ हुई है. मेरे ससुर को बेटा नहीं है. इसलिए शादी के बाद से ही ससुराल में रहता था. ससुर बीएसएनएल में काम करते थे. वे रिटायर्ड होने के बाद अपने सारे पैसे सास के इलाहाबाद बैंक के खातों में रखे थे. ये बात उसे पता थी. बैंक से पैसा निकालने के लिए सास को बाइक पर बिठाकर ले जाया करता था. कभी-कभी वो उसे अकेले एटीएम देकर भेज दिया करती थीं. इस तरह से पिन की उसे जानकारी थी. इस बीच मौका पाकर वो पैसे निकालकर उड़ाता रहा.

पेटीएम के माध्यम से करते थे साइबर क्राइम

वहीं अभियुक्त ने बताया कि मेरे साथ पकड़ा गया सूरज विश्वकर्मा मेरा मित्र है. जिसका खाता यूनियन बैंक आफ इण्डिया, डीएवी कालेज की शाखा में है. मित्र सूरज विश्वकर्मा के मोबाइल नंबर से पेटीएम एकाउंट बनाया था. जिसपर अपने सास के खातें से पैसा एटीएम कार्ड के माध्यम से उसके खाते में ट्रासफर किया करता था. हर बार सास के मोबाइल किसी बहाने लेकर ओटीपी देख लेता था और उसे डिलीट कर देता था. जिससे किसी को पता नही चलता था. बाद में सूरज विश्वकर्मा के खाते से पैसा निकाल कर हम दोनों मिलकर खर्च करते थे और घुमते फिरते थे.

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