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Solar Power Generation Station : सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्र अपनी जमीन पर बना सकेंगे यूपी के किसान

यूपी पाॅवर काॅरपोरेशन की कुसुम योजना के जरिए किसानों को सौर ऊर्जा से जोड़ने के लिए निजी विकासकर्ताओं (किसानों) के साथ सात मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन की परियोजनाओं पर पाॅवर परचेज एग्रीमेंट किया है. प्रथम चरण में छह जिलों में योजना लागू की जाएगी. इसके तहत किसान अपनी बंजर जमीन पर सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्र (Solar Power Generation Station) लगा सकेंगे.

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Published : Jan 14, 2023, 3:11 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के किसानों को सौर ऊर्जा से जोड़ने के लिए उत्तर प्रदेश पाॅवर कॉरपोरेशन (यूपीपीसीएल) ने कुसुम योजना के माध्यम से छह जिलों में निजी विकासकर्ताओं (किसानों) के साथ सात मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन की परियोजनाओं पर पाॅवर परचेज एग्रीमेंट किया है. इसके तहत किसान अपनी बंजर जमीन पर सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्र की स्थापना करेंगे. जिसमें विभिन्न बैंक उनकी मदद करेंगे. सरकार भी इसमें सब्सिडी प्रदान करेगी. इस सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्र के माध्यम से पैदा होने वाली बिजली को किसान सरकार या निजी बिजली कंपनियों को बेचकर अपनी आमदनी बढ़ा सकेंगे. योजना के तहत बिजनौर, हाथरस, महोबा, जालौन, देवरिया व लखनऊ में सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्र की स्थापना की जाएगी.

उपभोक्ताओं को वाट्सएप से सुविधाएं
उपभोक्ताओं को वाट्सएप से सुविधाएं

0.5 से दो मेगावाट तक के होंगे केंद्र : उत्तर प्रदेश पाॅवर काॅरपोरेशन के अध्यक्ष एम. देवराज ने बताया कि बिजनौर के विलासपुर में 1.5 मेगावाट, हाथरस के मौहारी में आधा मेगावाट, महोबा के देवगांव में एक मेगावाट, जालौन के खुक्सिस में एक मेगावाट, देवरिया के बरियारपुर में एक मेगावाट और लखनऊ के परसेनी में दो मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्र स्थापित किए जाएंगे. उल्लेखनीय है कि इस योजना से किसानों को दो तरह के लाभ मिलेंगे. पहले पुराने डीजल सिंचाई पंप की जगह वो सोलर पैनल से चलने वाले सिंचाई पंपों का प्रयोग कर पाएंगे. दूसरा उन्हें खेत में लगे सोलर प्लांट से उत्पन्न बिजली को बिजली कंपनियों को बेच कर एक्स्ट्रा आय के तौर पर सालाना 80 हजार रुपए तक कमा सकते हैं. सरकार इस योजना के तहत किसानों को सब्सिडी के तौर पर सोलर पंप की कुल लागत का 90 प्रतिशत रकम देती है.

किसानों को होगी प्रतिमाह कमाई : इस योजना के अंतर्गत किसान अपनी बंजर जमीनों पर सोलर पैनल लगाकर सौर ऊर्जा से बिजली बना सकते हैं और इसे विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी बिजली कंपनियों को बेचकर प्रतिमाह पैसा कमा सकते हैं. कुसुम योजना के अंतर्गत एक मेगावाट का सोलर प्लांट लगाने के लिए पांच एकड़ जमीन की आवश्यकता होती है. यानी एक एकड़ जमीन 0.2 मेगा वाट बिजली उत्पन्न करती है. इस योजना के माध्यम से किसान अपने क्षेत्र की बिजली से जुड़ी समस्याओं को भी खत्म कर सकते हैं. इस योजना के अंतर्गत दिए जाने वाले पंप बिजली और डीजल से चलने वाले कृषि पंप की जगह स्थापित किए जाएंगे।

उपभोक्ताओं को वाट्सएप से मिल रहीं बिजली से जुड़ी सुविधाएं : उत्तर प्रदेश पाॅवर कारपोरेशन (यूपीपीसीएल) बिजली उपभोक्ताओं को वाट्सएप मैसेज के माध्यम से विद्युत बिल और समस्याओं के समाधान की सुविधा पहुंचा रहा है. इस समय प्रदेश में लगभग 3 करोड़ 30 लाख विद्युत उपभोक्ता है. जिसमें 33 लाख उपभोक्ताओं ने मैसेज प्राप्ति की सुविधा का लाभ लेने की सहमति दी है. यूपीपीसीएल के अध्यक्ष एम. देवराज ने सभी उपभोक्ताओं तक इस सुविधा का लाभ पहुंचाने के लिए एक अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं. शक्ति भवन में आयोजित बैठक में उन्होंने प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं से अपील भी की है कि पाॅवर काॅरपोरेशन की तरफ से दी जा रही इस सुविधा का लाभ उठाकर विद्युत बिल और अन्य समस्याओं का ऑनलाइन निराकरण कराएं. उन्होंने बताया कि प्रदेश के लगभग 33 लाख उपभोक्ता इस सुविधा का लाभ ले रहे हैं. इसके लिए उपभोक्ताओं को अपनी सहमति देनी पड़ती है.

यह भी पढ़ें : Sonu Nigam in Gorakhpur Mahotsav 2023: सोनू निगम के गीतों पर झूमे लोग

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के किसानों को सौर ऊर्जा से जोड़ने के लिए उत्तर प्रदेश पाॅवर कॉरपोरेशन (यूपीपीसीएल) ने कुसुम योजना के माध्यम से छह जिलों में निजी विकासकर्ताओं (किसानों) के साथ सात मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन की परियोजनाओं पर पाॅवर परचेज एग्रीमेंट किया है. इसके तहत किसान अपनी बंजर जमीन पर सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्र की स्थापना करेंगे. जिसमें विभिन्न बैंक उनकी मदद करेंगे. सरकार भी इसमें सब्सिडी प्रदान करेगी. इस सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्र के माध्यम से पैदा होने वाली बिजली को किसान सरकार या निजी बिजली कंपनियों को बेचकर अपनी आमदनी बढ़ा सकेंगे. योजना के तहत बिजनौर, हाथरस, महोबा, जालौन, देवरिया व लखनऊ में सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्र की स्थापना की जाएगी.

उपभोक्ताओं को वाट्सएप से सुविधाएं
उपभोक्ताओं को वाट्सएप से सुविधाएं

0.5 से दो मेगावाट तक के होंगे केंद्र : उत्तर प्रदेश पाॅवर काॅरपोरेशन के अध्यक्ष एम. देवराज ने बताया कि बिजनौर के विलासपुर में 1.5 मेगावाट, हाथरस के मौहारी में आधा मेगावाट, महोबा के देवगांव में एक मेगावाट, जालौन के खुक्सिस में एक मेगावाट, देवरिया के बरियारपुर में एक मेगावाट और लखनऊ के परसेनी में दो मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन केंद्र स्थापित किए जाएंगे. उल्लेखनीय है कि इस योजना से किसानों को दो तरह के लाभ मिलेंगे. पहले पुराने डीजल सिंचाई पंप की जगह वो सोलर पैनल से चलने वाले सिंचाई पंपों का प्रयोग कर पाएंगे. दूसरा उन्हें खेत में लगे सोलर प्लांट से उत्पन्न बिजली को बिजली कंपनियों को बेच कर एक्स्ट्रा आय के तौर पर सालाना 80 हजार रुपए तक कमा सकते हैं. सरकार इस योजना के तहत किसानों को सब्सिडी के तौर पर सोलर पंप की कुल लागत का 90 प्रतिशत रकम देती है.

किसानों को होगी प्रतिमाह कमाई : इस योजना के अंतर्गत किसान अपनी बंजर जमीनों पर सोलर पैनल लगाकर सौर ऊर्जा से बिजली बना सकते हैं और इसे विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी बिजली कंपनियों को बेचकर प्रतिमाह पैसा कमा सकते हैं. कुसुम योजना के अंतर्गत एक मेगावाट का सोलर प्लांट लगाने के लिए पांच एकड़ जमीन की आवश्यकता होती है. यानी एक एकड़ जमीन 0.2 मेगा वाट बिजली उत्पन्न करती है. इस योजना के माध्यम से किसान अपने क्षेत्र की बिजली से जुड़ी समस्याओं को भी खत्म कर सकते हैं. इस योजना के अंतर्गत दिए जाने वाले पंप बिजली और डीजल से चलने वाले कृषि पंप की जगह स्थापित किए जाएंगे।

उपभोक्ताओं को वाट्सएप से मिल रहीं बिजली से जुड़ी सुविधाएं : उत्तर प्रदेश पाॅवर कारपोरेशन (यूपीपीसीएल) बिजली उपभोक्ताओं को वाट्सएप मैसेज के माध्यम से विद्युत बिल और समस्याओं के समाधान की सुविधा पहुंचा रहा है. इस समय प्रदेश में लगभग 3 करोड़ 30 लाख विद्युत उपभोक्ता है. जिसमें 33 लाख उपभोक्ताओं ने मैसेज प्राप्ति की सुविधा का लाभ लेने की सहमति दी है. यूपीपीसीएल के अध्यक्ष एम. देवराज ने सभी उपभोक्ताओं तक इस सुविधा का लाभ पहुंचाने के लिए एक अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं. शक्ति भवन में आयोजित बैठक में उन्होंने प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं से अपील भी की है कि पाॅवर काॅरपोरेशन की तरफ से दी जा रही इस सुविधा का लाभ उठाकर विद्युत बिल और अन्य समस्याओं का ऑनलाइन निराकरण कराएं. उन्होंने बताया कि प्रदेश के लगभग 33 लाख उपभोक्ता इस सुविधा का लाभ ले रहे हैं. इसके लिए उपभोक्ताओं को अपनी सहमति देनी पड़ती है.

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