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दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में खुला स्मार्ट प्रीपेड मीटर का क्लस्टर, उपभोक्ता परिषद ने सवाल खड़े किए

दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम (Dakshinanchal Vidyut Vitran Nigam) में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के दो कलस्टर में से एक कलस्टर का टेंडर खुला तो उसको लेकर बवाल शुरू हो गया. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इसे लेकर सवाल उठाए हैं.

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दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम Smart Prepaid Meter Cluster Dakshinanchal Vidyut Vitran Nigam उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद
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Published : May 19, 2023, 8:14 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 4जी स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर एक नया बखेड़ा खड़ा हो गया है. दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम (Dakshinanchal Vidyut Vitran Nigam) में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के दो कलस्टर (Smart Prepaid Meter Cluster) में से एक कलस्टर का टेंडर खुला, तो उसमें न्यूनतम निविदा दाता जीएमआर स्मार्ट इलेक्ट्रिसिटी डिसटीब्यूशन प्राइवेट लिमिटेड की दरें ऐस्टीमेटेड कॉस्ट से 25 से 29 प्रतिशत अधिक खुलीं. यह वही कंपनी है जब दक्षिणांचल में एक क्लस्टर में टेंडर निकाला गया था उस समय इनकी दर लगभग 67 प्रतिशत अधिक आई थी.

अब एक दिन पहले खुले टेंडर में न्यूनतम निविदा दाता मैसर्स जीएमआर की 24 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर सिंगल फेज की कुल दरें 7556 रुपए प्रति मीटर आईं. यानी अभी एक महीना पहले अवार्ड किए गए टेंडर से लगभग रुपया 859 प्रति मीटर कम. यह वही स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर है, जहां पहले सिंगल फेस स्मार्ट प्रीपेड मीटर की दरें 9000 से 10000 रुपये के बीच आई थीं.

इसे लेकर उपभोक्ता परिषद लगातार विरोध कर रहा था और क्लस्टर को छोटा करने की मांग कर रहा था. आखिरकार क्लस्टर छोटा होते ही दरें कम आने लगीं. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के इस पहले क्लस्टर के कुल स्टीमेट कास्ट स्मार्ट प्रीपेड सहित पूरी परियोजना की लगभग 1972 करोड़ थी.

उसमें न्यूनतम निविदादाता जीएमआर स्मार्ट इलेक्ट्रिसिटी डिसटब्यूशन लिमिटेड कि दर 2,476 करोड़ यानी कि ऐस्टीमेटेड कॉस्ट से लगभग 25 प्रतिशत अधिक आई. जो यह साबित करता है कि अगर पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में उच्च दर वाले टेंडर को निरस्त कर दिया गया होता और सभी टेंडर एक साथ निकाले जाते तो भारत सरकार की तरफ से ऐस्टीमेटेड कॉस्ट जो 6000 रुपए प्रति मीटर है उसके आसपास ही दरें आतीं.

इस पहले क्लस्टर में जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर की सिंगल फेज 24 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कुल कॉस्ट रुपया 1445 करोड़ थी और न्यूनतम निविदा दाता जीएमआर इलेक्ट्रिसिटी डिसटीब्यूशन लिमिटेड की दर रुपया 1,821 करोड़ यानी एक मीटर की दर रुपया 7556 निकली. पिछले दिनों पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में इंटेली स्मार्ट को लगभग 58 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर के लिए जो रुपया 8,415 प्रति मीटर दिया गया है उसके हिसाब से लगभग प्रति मीटर 859 और कुल लगभग 500 करोड़ का नुकसान हुआ जो अपने आप में बहुत ही गंभीर मामला है.

उन्होंने कहा कि अब देखना है कि पावर कारपोरेशन इंटेली स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर को कैंसिल करता है या फिर उसकी दरों को और कम कराता है. फिलहाल अभी मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में केवल एक पार्टी के आने की वजह से टेंडर को आगे बढाया गया है और वहीं दूसरी ओर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में जीएमआर जीनस व अडाणी का पार्ट वन खुला है और रेट का पार्ट खुलना बाकी है.

ये भी पढ़ें- दो IAS समेत पांच अधिकारियों के खिलाफ लोकायुक्त जांच शुरू

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 4जी स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर एक नया बखेड़ा खड़ा हो गया है. दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम (Dakshinanchal Vidyut Vitran Nigam) में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के दो कलस्टर (Smart Prepaid Meter Cluster) में से एक कलस्टर का टेंडर खुला, तो उसमें न्यूनतम निविदा दाता जीएमआर स्मार्ट इलेक्ट्रिसिटी डिसटीब्यूशन प्राइवेट लिमिटेड की दरें ऐस्टीमेटेड कॉस्ट से 25 से 29 प्रतिशत अधिक खुलीं. यह वही कंपनी है जब दक्षिणांचल में एक क्लस्टर में टेंडर निकाला गया था उस समय इनकी दर लगभग 67 प्रतिशत अधिक आई थी.

अब एक दिन पहले खुले टेंडर में न्यूनतम निविदा दाता मैसर्स जीएमआर की 24 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर सिंगल फेज की कुल दरें 7556 रुपए प्रति मीटर आईं. यानी अभी एक महीना पहले अवार्ड किए गए टेंडर से लगभग रुपया 859 प्रति मीटर कम. यह वही स्मार्ट प्रीपेड मीटर का टेंडर है, जहां पहले सिंगल फेस स्मार्ट प्रीपेड मीटर की दरें 9000 से 10000 रुपये के बीच आई थीं.

इसे लेकर उपभोक्ता परिषद लगातार विरोध कर रहा था और क्लस्टर को छोटा करने की मांग कर रहा था. आखिरकार क्लस्टर छोटा होते ही दरें कम आने लगीं. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में स्मार्ट प्रीपेड मीटर के इस पहले क्लस्टर के कुल स्टीमेट कास्ट स्मार्ट प्रीपेड सहित पूरी परियोजना की लगभग 1972 करोड़ थी.

उसमें न्यूनतम निविदादाता जीएमआर स्मार्ट इलेक्ट्रिसिटी डिसटब्यूशन लिमिटेड कि दर 2,476 करोड़ यानी कि ऐस्टीमेटेड कॉस्ट से लगभग 25 प्रतिशत अधिक आई. जो यह साबित करता है कि अगर पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में उच्च दर वाले टेंडर को निरस्त कर दिया गया होता और सभी टेंडर एक साथ निकाले जाते तो भारत सरकार की तरफ से ऐस्टीमेटेड कॉस्ट जो 6000 रुपए प्रति मीटर है उसके आसपास ही दरें आतीं.

इस पहले क्लस्टर में जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर की सिंगल फेज 24 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कुल कॉस्ट रुपया 1445 करोड़ थी और न्यूनतम निविदा दाता जीएमआर इलेक्ट्रिसिटी डिसटीब्यूशन लिमिटेड की दर रुपया 1,821 करोड़ यानी एक मीटर की दर रुपया 7556 निकली. पिछले दिनों पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम में इंटेली स्मार्ट को लगभग 58 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर के लिए जो रुपया 8,415 प्रति मीटर दिया गया है उसके हिसाब से लगभग प्रति मीटर 859 और कुल लगभग 500 करोड़ का नुकसान हुआ जो अपने आप में बहुत ही गंभीर मामला है.

उन्होंने कहा कि अब देखना है कि पावर कारपोरेशन इंटेली स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर को कैंसिल करता है या फिर उसकी दरों को और कम कराता है. फिलहाल अभी मध्यांचल विद्युत वितरण निगम में केवल एक पार्टी के आने की वजह से टेंडर को आगे बढाया गया है और वहीं दूसरी ओर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में जीएमआर जीनस व अडाणी का पार्ट वन खुला है और रेट का पार्ट खुलना बाकी है.

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