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स्मारक पीएफ स्कैम: 10 करोड़ का हेर-फेर करने वाले बैंक मैनेजर को पुलिस दे रही है जीवनदान!

अंबेडकर पार्क स्मारक समिति के पीएफ के 10 करोड़ रुपये गबन के मामले में लखनऊ पुलिस ने 5 महीने की जांच के बाद 8 लोगों की गिरफ्तारी की है. हालांकि, पुलिस ने जिसे मुख्य साजिशकर्ता बताया था उसे बाद में छोड़ दिया. इस पर पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं.

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स्मारक पीएफ स्कैम
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Published : Mar 9, 2022, 9:46 AM IST

लखनऊ: अंबेडकर पार्क स्मारक समिति के पीएफ के 10 करोड़ रुपये गबन करने के मामले में लखनऊ पुलिस ने 5 महीने की जांच के बाद 8 लोगों की गिरफ्तारी की है. मामले में आरोपी कृष्ण मोहन श्रीवास्तव को नामजद किया गया है. हालांकि, लखनऊ विकास प्राधिकरण ने जिस बैंक मैनेजर नागेंद्र पाल को मुख्य साजिशकर्ता बताया था उसे पुलिस ने बाद में छोड़ दिया है. जिसके बाद से पुलिस के इस खुलासे पर सवाल उठने लगे हैं.


लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव पवन कुमार गंगवार ने बीते साल 16 सितंबर को बैंक ऑफ बड़ोदा प्रबंधक नागेंद्र पाल, कृष्ण मोहन श्रीवास्तव और उनके सहयोगियों के खिलाफ गोमतीनगर थाने में मुकदमा दर्ज करवाया था. एफआईआर में बताया गया है कि स्मारक समिति की ओर से बैंक ऑफ बड़ोदा की रोशनाबाद शाखा में 48 करोड़ की एफडी कराने के लिए 31 मार्च 2021 को रुपये स्थानांतरित किए गए थे. हालांकि, 28 मई 2021 तक केवल 37 करोड़ 99 लाख 99 हजार 981 रुपए की एफडी की गई. शेष 10 करोड़ 19 रुपये की बैंक ने कोई रसीद नहीं दी.

पड़ताल में बैंक प्रबंधक नागेंद्र पाल ने प्राधिकरण को बताया कि उन्होंने एलडीए के एक पत्र के आधार पर रकम कृष्ण मोहन श्रीवास्तव के बचत खाते में ट्रांसफर कर दी गयी है. एलडीए का आरोप था कि नियमानुसार यह रकम किसी व्यक्ति के खाते में नहीं जा सकती थी. यही नहीं बैंक प्रबंधक ने जिस पत्र के आधार पर कृष्ण मोहन श्रीवास्तव के नाम से समिति का खाता खोला था व उसके बचत खाते में पैसे ट्रांसफर किये थे उस पत्र में सभी हस्ताक्षर फर्जी थे.

एलडीए सचिव ने साफ तौर पर एफआईआर में बैंक मैनेजर नागेंद्र पाल पर आरोप लगाया था कि बैंक मैनजर की जानकारी में यह 10 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है. उसके बावजूद 5 महीने की जांच में गोमतीनगर पुलिस मैनेजर से सिर्फ पूछताछ तक सीमित रही है.


क्या कहते है बैंक अधिकारी
वरिष्ठ बैंक अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं कि ये सम्भव ही नहीं होता है कि बैंक मैनेजर की संलिप्तता के बगैर एक भी रुपया किसी के एकाउंट में ट्रांसफर हो जाये या फिर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्ति का नाम बदल दिया जाए. उनका कहना है कि कभी भी मैनेजर विभागीय पत्र को क्रॉस चेक किये बिना इतना बड़ा कदम नहीं उठाता है. अधिकारी का कहना है कि कि जब आम खाता धारक के हस्ताक्षर में एक मात्रा का भी फर्क होता है तो किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया जाता है. यहां तो 10 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए हैं. यह बैंक मैन्युअल व पुलिस दोनों की नजर में अपराध है.


जांच की जा रही है: इंस्पेक्टर गोमतीनगर
घोटाले को लेकर एलडीए द्वारा दर्ज करवाई गई एफआईआर में नागेंद्र पाल को मुख्य आरोपी बताया गया है. नागेंद्र पाल गिरफ्तारी न होने पर जब गोमतीनगर इंस्पेक्टर केशव कुमार तिवारी से ईटीवी भारत ने सवाल किया तो उनका कहना है कि अभी गहरी जांच की जा रही है. बैंक मैनेजर की गिरफ्तार नही हुई है. यदि दोषी पाए जाते हैं तो सूचित किया जाएगा.


क्या है मामला
पुलिस के मुताबिक स्मारक समिति के लेखाधिकारी संजय सिंह ने एलडीए के बिचौलिए शैलेंद्र को बताया था कि कर्मचारियों की रकम को बैंक में निवेश करना है. इस पर शैलेंद्र ने अपने साथी संदीप पी, मुकेश पाण्डेय उर्फ रविकांत को इस बारे में बताया. फिर संदीप पी अपने साथी मुकेश और दीपक यादवा के साथ बैंक ऑफ बड़ौदा रोशनाबाद शाखा के प्रबंधक नागेंद्र पाल से मुलाकात करने गए थे. संदीप पी ने दीपक यादवा, शैलेंद्र सिंह, संजय सिंह, मुकेश पाण्डेय, आकाश कार्तिकेय, कृष्णमोहन श्रीवास्तव उर्फ निक्कू श्रीवास्तव के साथ साजिश रचकर स्मारक समिति का 48 करोड़ बैंक ऑफ बड़ौदा में बचत खाता खोलकर जमा करा दिया. यहां खाता खोलने में फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल किया गया. इस खाते का संचालन करने का अधिकार कृष्ण मोहन श्रीवास्तव के नाम से तैयार हुआ और इसमें भी फर्जी दस्तावेज लगाए गए.

यह भी पढ़ें- अखिलेश यादव का आरोप, प्रमुख सचिव जिलाधिकारियों को फोन कर मतगणना में धांधली करने का बना रहे दबाव



बताया जाता है कि इसके बाद बैंक मैनेजर से कहकर स्मारक समिति के करोड़ों रुपये आरटीजीएस के जरिये पे-राइट सर्विसेज प्रा. लि. कंपनी के खाते में जमा किए गए. फिर एक-एक दिन के अंतर पर दो-दो करोड़ रुपये भेजकर एफडी बनवाई जाती रही. इन एफडी के बांड बैंक मैनेजर से संदीप पी, शैलेंद्र लेकर संजय सिंह को देते थे. इस तरह से 38 करोड़ की 19 एफडी संजय सिंह ने सह अभियुक्तों को दी. फिर स्मारक समिति के करीब 10 करोड़ रुपये पे-राइट सर्विसेज प्रा. लि. कंपनी के खाते में ही रोक लिया गया. इसके बाद कंपनी के डायरेक्टर सतीश पाण्डेय, मंगलेश सिंह ने संदीप पी के जरिये पैसा निवेश कराकर हड़प लिया था.वहीं, गोमतीनगर इंस्पेक्टर के मुताबिक, स्मारक समिति के लेखाधिकारी गोमतीनगर, संजय सिंह, संदीप पुथनमाडम, दीपक यादवा, शैलेंद्र सिंह उर्फ शैलू, रविकांत पाण्डेय उर्फ मुकेश, आकाश कार्तिकेय व कृष्ण मोहन श्रीवास्तव को सोमवार को गिरफ्तार किया गया है जबकि अन्यों की तलाश जारी है.


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लखनऊ: अंबेडकर पार्क स्मारक समिति के पीएफ के 10 करोड़ रुपये गबन करने के मामले में लखनऊ पुलिस ने 5 महीने की जांच के बाद 8 लोगों की गिरफ्तारी की है. मामले में आरोपी कृष्ण मोहन श्रीवास्तव को नामजद किया गया है. हालांकि, लखनऊ विकास प्राधिकरण ने जिस बैंक मैनेजर नागेंद्र पाल को मुख्य साजिशकर्ता बताया था उसे पुलिस ने बाद में छोड़ दिया है. जिसके बाद से पुलिस के इस खुलासे पर सवाल उठने लगे हैं.


लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव पवन कुमार गंगवार ने बीते साल 16 सितंबर को बैंक ऑफ बड़ोदा प्रबंधक नागेंद्र पाल, कृष्ण मोहन श्रीवास्तव और उनके सहयोगियों के खिलाफ गोमतीनगर थाने में मुकदमा दर्ज करवाया था. एफआईआर में बताया गया है कि स्मारक समिति की ओर से बैंक ऑफ बड़ोदा की रोशनाबाद शाखा में 48 करोड़ की एफडी कराने के लिए 31 मार्च 2021 को रुपये स्थानांतरित किए गए थे. हालांकि, 28 मई 2021 तक केवल 37 करोड़ 99 लाख 99 हजार 981 रुपए की एफडी की गई. शेष 10 करोड़ 19 रुपये की बैंक ने कोई रसीद नहीं दी.

पड़ताल में बैंक प्रबंधक नागेंद्र पाल ने प्राधिकरण को बताया कि उन्होंने एलडीए के एक पत्र के आधार पर रकम कृष्ण मोहन श्रीवास्तव के बचत खाते में ट्रांसफर कर दी गयी है. एलडीए का आरोप था कि नियमानुसार यह रकम किसी व्यक्ति के खाते में नहीं जा सकती थी. यही नहीं बैंक प्रबंधक ने जिस पत्र के आधार पर कृष्ण मोहन श्रीवास्तव के नाम से समिति का खाता खोला था व उसके बचत खाते में पैसे ट्रांसफर किये थे उस पत्र में सभी हस्ताक्षर फर्जी थे.

एलडीए सचिव ने साफ तौर पर एफआईआर में बैंक मैनेजर नागेंद्र पाल पर आरोप लगाया था कि बैंक मैनजर की जानकारी में यह 10 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है. उसके बावजूद 5 महीने की जांच में गोमतीनगर पुलिस मैनेजर से सिर्फ पूछताछ तक सीमित रही है.


क्या कहते है बैंक अधिकारी
वरिष्ठ बैंक अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते हैं कि ये सम्भव ही नहीं होता है कि बैंक मैनेजर की संलिप्तता के बगैर एक भी रुपया किसी के एकाउंट में ट्रांसफर हो जाये या फिर हस्ताक्षर करने वाले व्यक्ति का नाम बदल दिया जाए. उनका कहना है कि कभी भी मैनेजर विभागीय पत्र को क्रॉस चेक किये बिना इतना बड़ा कदम नहीं उठाता है. अधिकारी का कहना है कि कि जब आम खाता धारक के हस्ताक्षर में एक मात्रा का भी फर्क होता है तो किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया जाता है. यहां तो 10 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए हैं. यह बैंक मैन्युअल व पुलिस दोनों की नजर में अपराध है.


जांच की जा रही है: इंस्पेक्टर गोमतीनगर
घोटाले को लेकर एलडीए द्वारा दर्ज करवाई गई एफआईआर में नागेंद्र पाल को मुख्य आरोपी बताया गया है. नागेंद्र पाल गिरफ्तारी न होने पर जब गोमतीनगर इंस्पेक्टर केशव कुमार तिवारी से ईटीवी भारत ने सवाल किया तो उनका कहना है कि अभी गहरी जांच की जा रही है. बैंक मैनेजर की गिरफ्तार नही हुई है. यदि दोषी पाए जाते हैं तो सूचित किया जाएगा.


क्या है मामला
पुलिस के मुताबिक स्मारक समिति के लेखाधिकारी संजय सिंह ने एलडीए के बिचौलिए शैलेंद्र को बताया था कि कर्मचारियों की रकम को बैंक में निवेश करना है. इस पर शैलेंद्र ने अपने साथी संदीप पी, मुकेश पाण्डेय उर्फ रविकांत को इस बारे में बताया. फिर संदीप पी अपने साथी मुकेश और दीपक यादवा के साथ बैंक ऑफ बड़ौदा रोशनाबाद शाखा के प्रबंधक नागेंद्र पाल से मुलाकात करने गए थे. संदीप पी ने दीपक यादवा, शैलेंद्र सिंह, संजय सिंह, मुकेश पाण्डेय, आकाश कार्तिकेय, कृष्णमोहन श्रीवास्तव उर्फ निक्कू श्रीवास्तव के साथ साजिश रचकर स्मारक समिति का 48 करोड़ बैंक ऑफ बड़ौदा में बचत खाता खोलकर जमा करा दिया. यहां खाता खोलने में फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल किया गया. इस खाते का संचालन करने का अधिकार कृष्ण मोहन श्रीवास्तव के नाम से तैयार हुआ और इसमें भी फर्जी दस्तावेज लगाए गए.

यह भी पढ़ें- अखिलेश यादव का आरोप, प्रमुख सचिव जिलाधिकारियों को फोन कर मतगणना में धांधली करने का बना रहे दबाव



बताया जाता है कि इसके बाद बैंक मैनेजर से कहकर स्मारक समिति के करोड़ों रुपये आरटीजीएस के जरिये पे-राइट सर्विसेज प्रा. लि. कंपनी के खाते में जमा किए गए. फिर एक-एक दिन के अंतर पर दो-दो करोड़ रुपये भेजकर एफडी बनवाई जाती रही. इन एफडी के बांड बैंक मैनेजर से संदीप पी, शैलेंद्र लेकर संजय सिंह को देते थे. इस तरह से 38 करोड़ की 19 एफडी संजय सिंह ने सह अभियुक्तों को दी. फिर स्मारक समिति के करीब 10 करोड़ रुपये पे-राइट सर्विसेज प्रा. लि. कंपनी के खाते में ही रोक लिया गया. इसके बाद कंपनी के डायरेक्टर सतीश पाण्डेय, मंगलेश सिंह ने संदीप पी के जरिये पैसा निवेश कराकर हड़प लिया था.वहीं, गोमतीनगर इंस्पेक्टर के मुताबिक, स्मारक समिति के लेखाधिकारी गोमतीनगर, संजय सिंह, संदीप पुथनमाडम, दीपक यादवा, शैलेंद्र सिंह उर्फ शैलू, रविकांत पाण्डेय उर्फ मुकेश, आकाश कार्तिकेय व कृष्ण मोहन श्रीवास्तव को सोमवार को गिरफ्तार किया गया है जबकि अन्यों की तलाश जारी है.


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