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निकाय चुनाव में कूदे बसपा समेत कई छोटे दल, राजनीतिक विश्लेषकों की नजर में जीत के दावों में कितना दम - राजनीतिक विश्लेषक मनमोहन

उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में भाजपा, सपा, कांग्रेस, बसपा जैसी बड़ी पार्टियों के अलावा आरएलडी, आजाद समाज पार्टी, एआईएमआईएम, सुभासपा, निषाद पार्टी, अपना दल और वामपंथी दल भी मैदान में उतर गए हैं. आइए जानते हैं इनके दावों में कितना दम और असर होगा इस पर राजनीतिक विश्लेषकों की राय.

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Published : Dec 19, 2022, 6:07 PM IST

जानकारी देते राजनीतिक विश्लेषक मनमोहन.

लखनऊ : स्थानीय निकाय चुनाव इस बार लोकसभा चुनाव से पहले पार्टियों के लिटमस टेस्ट के रूप में हो रहे हैं. सभी पार्टियां जो स्थानीय निकाय चुनाव में हिस्सा लेंगी उन्हें जीत और हार के साथ अंदाजा लग जाएगा कि लोकसभा चुनाव में उनका प्रदर्शन कैसा रहने वाला है. फिलहाल पहली बार स्थानीय निकाय चुनाव में बहुजन समाज पार्टी भी ताल ठोक रही है. वर्तमान राजनीतिक स्थिति को देखते हुए इस बार के स्थानीय निकाय चुनाव में बसपा की स्थिति के बारे में राजनीतिक राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बसपा शायद ही इस चुनाव में कोई कमाल नहीं कर पाएगी. अन्य राजनीतिक दल भी पूरी ताकत से जुटे हुए हैं. हालांकि नतीजा क्या होगा यह तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे.

उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में भाजपा, सपा, कांग्रेस, बसपा जैसी बड़ी पार्टियों के अलावा आरएलडी, आजाद समाज पार्टी, एआईएमआईएम, सुभासपा, निषाद पार्टी, अपना दल और वामपंथी दल भी मैदान में उतर गए हैं. बहुजन समाज पार्टी की बात की जाए तो पहली बार स्थानीय निकाय चुनाव में भी बसपा सुप्रीमो मायावती ने हाथ आजमाने के लिए नेताओं और कार्यकर्ताओं को तैयार किया है. मायावती ने छोटी-छोटी कैडर मीटिंग के लिए पार्टी के नेताओं को अपने कैडर के बीच जाने की बात कही है. बसपा को मालूम है कि उत्तर प्रदेश में उसकी स्थिति वर्तमान में बिल्कुल भी सही नहीं है. कैडर पार्टी का साथ छोड़ चुका है. इसीलिए विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट जीतने में बहुजन समाज पार्टी कामयाब हुई है. ऐसे में अगर यही स्थिति रही तो स्थानीय निकाय चुनाव का नतीजा पार्टी के पक्ष में बिल्कुल आने वाला नहीं है. लिहाजा मायावती के सख्त निर्देश के बाद पार्टी के नेता और कार्यकर्ता मैदान में उतर गए हैं. हालांकि बसपा की वर्तमान स्थिति को देखते हुए बेहतर परिणाम की उम्मीद राजनीतिक विश्लेषकों को भी नहीं है.


गठबंधन में मजबूती से लड़ेंगे चुनाव : राष्ट्रीय लोकदल के प्रवक्ता सुरेंद्र नाथ त्रिवेदी (Rashtriya Lok Dal spokesperson Surendra Nath Trivedi) ने बताया कि हम शीर्ष नेतृत्व के आदेश का इंतजार कर रहे हैं. लखनऊ में अंकुर पटेल और आरिफ महमूद को पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया है. करीब दो दर्जन सीटों पर आवेदन भी आ गए हैं. समाजवादी पार्टी के साथ ही राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन में चुनाव लड़ेगा. जहां पर राष्ट्रीय लोक दल के प्रत्याशी की स्थिति मजबूत होगी वहां सपा से वह सीट मांगी जाएगी और जहां पर समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी मजबूत होगा राष्ट्रीय लोकदल सीट छोड़ेगा. हमें पूरी उम्मीद है तैयारी कर रहे हैं नतीजे हमारे पक्ष में आएंगे.

सभी सीटों पर अकेले ठोकेंगे ताल : चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व वाली आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) 2022 के विधानसभा चुनाव के जरिए राजनीति की मुख्यधारा में पदार्पण किया था. अब निकाय चुनाव पर नजर है. पार्टी के प्रवक्ता सौरभ किशोर का कहना है कि हम सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेंगे. टिकट में बहुजन वैचारिकी के युवाओं को तरजीह दी जाएगी. लखनऊ के सभी वार्डों में हमने बूथ स्तर पर दो पदाधिकारी तैयार किए हैं. पदाधिकारियों की सहमति के बाद जल्द टिकट का एलान किया जाएगा. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रवक्ता अरुण राजभर का कहना है कि सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारेंगे. मेयर की सीट पर भी दावेदारी ठोंकेंगे. दो हजार नए सदस्य बनाने वाले कार्यकर्ता और पदाधिकारी को टिकट में प्राथमिकता दी जाएगी. उम्मीदवार के चयन के दौरान पार्टी के लिए पिछले चुनावों में क्या भूमिका निभाई थी, इस पर भी अमल किया जाएगा.

स्वच्छ छवि वालों को एमआईएमआईएम देगी मौका : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) लखनऊ में होने वाले निकाय चुनाव में सभी वॉर्डों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी. एक दर्जन से ज्यादा प्रत्याशी के नाम तय भी कर लिए गए हैं. महानगर अध्यक्ष अजीजुर्रहमान खालिद का कहना है कि टिकटों के लिए प्रत्याशियों का साक्षात्कार जारी है. टिकट जाति या धर्म के आधार पर नहीं दिया जाएगा. प्रत्याशियों का चयन उनकी जनता के बीच स्वच्छ छवि के आधार पर किया जाएगा. अपना दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेश पटेल का कहना है कि हमारा एनडीए के साथ गठबंधन है. गठबंधन में ही चुनाव लड़ेंगे. जहां जितनी सीट मिलेगी, उस आधार पर हमारी तैयारी है. निषाद पार्टी के नेता राजीव का कहना है कि गठबंधन के आधार पर फैसला लिया जाएगा. अपनी आबादी के अनुरूप टिकट का वितरण करेंगे.

नहीं होगी कोई दावेदारी : सीपीआईएम की जिला मंत्री मधु गर्ग (Madhu Garg, District Minister of CPIM) का कहना है कि स्थानीय निकाय चुनाव धनबल से लड़ा जाता है. हमारे पास इतना पैसा नहीं है. हम आम आदमी की लड़ाई लड़ने में आगे हैं, लेकिन चुनाव में पैसा खर्च करने में पीछे. हमारे प्रत्याशी अमीर वर्ग से नहीं होते हैं. लखनऊ में छितवापुर और इस्माइलगंज में पिछली बार हमारे प्रत्याशी उतरते थे. छोटे अंतर से वे चुनाव हार गए. इस्माइलगंज से पीयूष मिश्रा दावेदारी करते थे, लेकिन इस बार वो निर्दलीय उतरेंगे. इस बार हमारी किसी सीट पर कोई दावेदारी ही नहीं होगी.

इस बार करेंगे बेहतर प्रदर्शन : आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता वैभव महेश्वरी (Aam Aadmi Party Chief Spokesperson Vaibhav Maheshwari) का कहना है कि इस बार पिछली बार की तुलना में पार्टी काफी ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करेगी. पिछली बार भी हमारे प्रतायशियों ने विरोधी दलों के उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर दी थी. कई जगह तो हमारे पार्षद जीतने में भी सफल हुए. इस बार ज्यादा गंभीरता से चुनाव लड़ेंगे. दिल्ली के एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बहुमत हासिल किया है इस बार उत्तर प्रदेश भी खाली नहीं रहेगा.


राजनीतिक विश्लेषक मनमोहन (political analyst manmohan) का कहना है कि हर राजनीतिक दल का चुनाव लड़ना एक मकसद होता है. वह इसलिए होता है कि राजनीति में चुनाव आयोग के जो नियम और मानक हैं उसको पूरा करते रहना, क्योंकि प्रत्याशी लड़ेंगे तो वोट आएगा तो उससे पार्टी का आधार तय होता है कि इस पार्टी का जनता में जनाधार है. उसके हिसाब से उसकी क्षेत्रीय दल या राष्ट्रीय दल की मान्यता तय होती है. जहां तक स्थानीय निकाय चुनाव में उतरने का सवाल है तो बहुजन समाज पार्टी बहुत शिद्दत के साथ उतना मजबूती से कभी भी नहीं लड़ी है. कुछ स्थानों पर मेयर का चुनाव लड़ाती रही है जहां उसके आधार वोट हैं. जो दलित वोट उनका आधार माना जाता है. कुछ जगह पर पार्षद के चुनाव लड़ाए हैं. इस बार वे मैदान में ज्यादा जोर देकर उतर रही हैं. हो सकता है कहीं सफलता मिल जाए वैसे मुझे नहीं लगता कि बहुजन समाज पार्टी अपना स्थानीय निकाय में ऐसा कोई वर्चस्व खड़ा कर पाएगी जो सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी को चुनौती दे सके.

यह भी पढ़ें : पंजाब पुलिस को चकमा देकर दिल्ली के बजाए लखनऊ एयरपोर्ट पहुंचा हत्यारोपी, पुलिस ने किया गिरफ्तार

जानकारी देते राजनीतिक विश्लेषक मनमोहन.

लखनऊ : स्थानीय निकाय चुनाव इस बार लोकसभा चुनाव से पहले पार्टियों के लिटमस टेस्ट के रूप में हो रहे हैं. सभी पार्टियां जो स्थानीय निकाय चुनाव में हिस्सा लेंगी उन्हें जीत और हार के साथ अंदाजा लग जाएगा कि लोकसभा चुनाव में उनका प्रदर्शन कैसा रहने वाला है. फिलहाल पहली बार स्थानीय निकाय चुनाव में बहुजन समाज पार्टी भी ताल ठोक रही है. वर्तमान राजनीतिक स्थिति को देखते हुए इस बार के स्थानीय निकाय चुनाव में बसपा की स्थिति के बारे में राजनीतिक राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बसपा शायद ही इस चुनाव में कोई कमाल नहीं कर पाएगी. अन्य राजनीतिक दल भी पूरी ताकत से जुटे हुए हैं. हालांकि नतीजा क्या होगा यह तो चुनाव परिणाम ही बताएंगे.

उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में भाजपा, सपा, कांग्रेस, बसपा जैसी बड़ी पार्टियों के अलावा आरएलडी, आजाद समाज पार्टी, एआईएमआईएम, सुभासपा, निषाद पार्टी, अपना दल और वामपंथी दल भी मैदान में उतर गए हैं. बहुजन समाज पार्टी की बात की जाए तो पहली बार स्थानीय निकाय चुनाव में भी बसपा सुप्रीमो मायावती ने हाथ आजमाने के लिए नेताओं और कार्यकर्ताओं को तैयार किया है. मायावती ने छोटी-छोटी कैडर मीटिंग के लिए पार्टी के नेताओं को अपने कैडर के बीच जाने की बात कही है. बसपा को मालूम है कि उत्तर प्रदेश में उसकी स्थिति वर्तमान में बिल्कुल भी सही नहीं है. कैडर पार्टी का साथ छोड़ चुका है. इसीलिए विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट जीतने में बहुजन समाज पार्टी कामयाब हुई है. ऐसे में अगर यही स्थिति रही तो स्थानीय निकाय चुनाव का नतीजा पार्टी के पक्ष में बिल्कुल आने वाला नहीं है. लिहाजा मायावती के सख्त निर्देश के बाद पार्टी के नेता और कार्यकर्ता मैदान में उतर गए हैं. हालांकि बसपा की वर्तमान स्थिति को देखते हुए बेहतर परिणाम की उम्मीद राजनीतिक विश्लेषकों को भी नहीं है.


गठबंधन में मजबूती से लड़ेंगे चुनाव : राष्ट्रीय लोकदल के प्रवक्ता सुरेंद्र नाथ त्रिवेदी (Rashtriya Lok Dal spokesperson Surendra Nath Trivedi) ने बताया कि हम शीर्ष नेतृत्व के आदेश का इंतजार कर रहे हैं. लखनऊ में अंकुर पटेल और आरिफ महमूद को पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया है. करीब दो दर्जन सीटों पर आवेदन भी आ गए हैं. समाजवादी पार्टी के साथ ही राष्ट्रीय लोक दल गठबंधन में चुनाव लड़ेगा. जहां पर राष्ट्रीय लोक दल के प्रत्याशी की स्थिति मजबूत होगी वहां सपा से वह सीट मांगी जाएगी और जहां पर समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी मजबूत होगा राष्ट्रीय लोकदल सीट छोड़ेगा. हमें पूरी उम्मीद है तैयारी कर रहे हैं नतीजे हमारे पक्ष में आएंगे.

सभी सीटों पर अकेले ठोकेंगे ताल : चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व वाली आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) 2022 के विधानसभा चुनाव के जरिए राजनीति की मुख्यधारा में पदार्पण किया था. अब निकाय चुनाव पर नजर है. पार्टी के प्रवक्ता सौरभ किशोर का कहना है कि हम सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेंगे. टिकट में बहुजन वैचारिकी के युवाओं को तरजीह दी जाएगी. लखनऊ के सभी वार्डों में हमने बूथ स्तर पर दो पदाधिकारी तैयार किए हैं. पदाधिकारियों की सहमति के बाद जल्द टिकट का एलान किया जाएगा. सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रवक्ता अरुण राजभर का कहना है कि सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारेंगे. मेयर की सीट पर भी दावेदारी ठोंकेंगे. दो हजार नए सदस्य बनाने वाले कार्यकर्ता और पदाधिकारी को टिकट में प्राथमिकता दी जाएगी. उम्मीदवार के चयन के दौरान पार्टी के लिए पिछले चुनावों में क्या भूमिका निभाई थी, इस पर भी अमल किया जाएगा.

स्वच्छ छवि वालों को एमआईएमआईएम देगी मौका : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) लखनऊ में होने वाले निकाय चुनाव में सभी वॉर्डों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी. एक दर्जन से ज्यादा प्रत्याशी के नाम तय भी कर लिए गए हैं. महानगर अध्यक्ष अजीजुर्रहमान खालिद का कहना है कि टिकटों के लिए प्रत्याशियों का साक्षात्कार जारी है. टिकट जाति या धर्म के आधार पर नहीं दिया जाएगा. प्रत्याशियों का चयन उनकी जनता के बीच स्वच्छ छवि के आधार पर किया जाएगा. अपना दल के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेश पटेल का कहना है कि हमारा एनडीए के साथ गठबंधन है. गठबंधन में ही चुनाव लड़ेंगे. जहां जितनी सीट मिलेगी, उस आधार पर हमारी तैयारी है. निषाद पार्टी के नेता राजीव का कहना है कि गठबंधन के आधार पर फैसला लिया जाएगा. अपनी आबादी के अनुरूप टिकट का वितरण करेंगे.

नहीं होगी कोई दावेदारी : सीपीआईएम की जिला मंत्री मधु गर्ग (Madhu Garg, District Minister of CPIM) का कहना है कि स्थानीय निकाय चुनाव धनबल से लड़ा जाता है. हमारे पास इतना पैसा नहीं है. हम आम आदमी की लड़ाई लड़ने में आगे हैं, लेकिन चुनाव में पैसा खर्च करने में पीछे. हमारे प्रत्याशी अमीर वर्ग से नहीं होते हैं. लखनऊ में छितवापुर और इस्माइलगंज में पिछली बार हमारे प्रत्याशी उतरते थे. छोटे अंतर से वे चुनाव हार गए. इस्माइलगंज से पीयूष मिश्रा दावेदारी करते थे, लेकिन इस बार वो निर्दलीय उतरेंगे. इस बार हमारी किसी सीट पर कोई दावेदारी ही नहीं होगी.

इस बार करेंगे बेहतर प्रदर्शन : आम आदमी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता वैभव महेश्वरी (Aam Aadmi Party Chief Spokesperson Vaibhav Maheshwari) का कहना है कि इस बार पिछली बार की तुलना में पार्टी काफी ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करेगी. पिछली बार भी हमारे प्रतायशियों ने विरोधी दलों के उम्मीदवारों को कड़ी टक्कर दी थी. कई जगह तो हमारे पार्षद जीतने में भी सफल हुए. इस बार ज्यादा गंभीरता से चुनाव लड़ेंगे. दिल्ली के एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी ने बहुमत हासिल किया है इस बार उत्तर प्रदेश भी खाली नहीं रहेगा.


राजनीतिक विश्लेषक मनमोहन (political analyst manmohan) का कहना है कि हर राजनीतिक दल का चुनाव लड़ना एक मकसद होता है. वह इसलिए होता है कि राजनीति में चुनाव आयोग के जो नियम और मानक हैं उसको पूरा करते रहना, क्योंकि प्रत्याशी लड़ेंगे तो वोट आएगा तो उससे पार्टी का आधार तय होता है कि इस पार्टी का जनता में जनाधार है. उसके हिसाब से उसकी क्षेत्रीय दल या राष्ट्रीय दल की मान्यता तय होती है. जहां तक स्थानीय निकाय चुनाव में उतरने का सवाल है तो बहुजन समाज पार्टी बहुत शिद्दत के साथ उतना मजबूती से कभी भी नहीं लड़ी है. कुछ स्थानों पर मेयर का चुनाव लड़ाती रही है जहां उसके आधार वोट हैं. जो दलित वोट उनका आधार माना जाता है. कुछ जगह पर पार्षद के चुनाव लड़ाए हैं. इस बार वे मैदान में ज्यादा जोर देकर उतर रही हैं. हो सकता है कहीं सफलता मिल जाए वैसे मुझे नहीं लगता कि बहुजन समाज पार्टी अपना स्थानीय निकाय में ऐसा कोई वर्चस्व खड़ा कर पाएगी जो सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी को चुनौती दे सके.

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