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लखनऊ: केजीएमयू में सफल हुआ छठा लीवर ट्रांसप्लांट

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Published : Sep 9, 2019, 1:08 PM IST

राजधानी के केजीएमयू अस्पताल के खाते में एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गयी है. केजीएमयू के डॉक्टरों को छठा सफल ट्रांसप्लांट करने में 11 घंटे लगे. सुबह सात बजे शुरू हुआ ऑपरेशन देर शाम तक चला. डॉक्टरों के मुताबिक, दोनों की स्थिति स्थिर है.

केजीएमयू अस्पताल

लखनऊ : केजीएमयू में शनिवार को छठा लिवर ट्रांसप्लांट हुआ. केजीएमयू में डॉक्टरों की टीम ने लिवर ट्रांसप्लांट करने में सफलता प्राप्त की है. इंदिरा नगर निवासी मनोज द्विवेदी (42) को लिवर सिरोसिस था. वहीं पति की जिंदगी बचाने के लिए पत्नी सरोज आगे आईं. इसके बाद रविवार को ट्रांसप्लांट प्रक्रिया पूरी की गई. डॉ. अभिजीत चंद्रा के मुताबिक मरीज और डोनर की हालत में सुधार है.

केजीएमयू में सफल हुआ छठा लीवर ट्रांसप्लांट.

मरीज को 9 साल से थी दिक्कत -

मनोज को नौ साल से लिवर की दिक्कत थी. 2010 में नॉन एलकोहॉलिक फैटीलिवर डायगनॉस हुआ था. 2015 में डॉक्टरों ने लिवर सिरोसिस बताया. केजीएमयू में ट्रांसप्लांट शुरू होने के बाद जुलाई में यहां आए और कई टेस्ट करवाए. ट्रांसप्लांट के लिए उनकी पत्नी का लिवर सबसे उपयुक्त पाया गया. बुधवार को ट्रांसप्लांट के लिए एडमिट करवाया गया और रविवार को सुबह ट्रांसप्लांट हुआ.

इसे भी पढ़ें - रेजिडेंट डॉक्टरों की भर्ती को लेकर राज्यपाल ने मांगी रिपोर्ट, केजीएमयू में मचा हड़कंप

इससे पहले भी केजीएमयू के पांच सफल लिवर ट्रांसप्लांट -

केजीएमयू में पहला लिवर ट्रांसप्लांट 14 मार्च को रायबरेली निवासी अमरेंद्र बहादुर सिंह, दूसरा 9 मई को सरोजनीनगर निवासी नवीन बाजपेई (45), तीसरा 14 जून को मड़ियांव निवासी विजय कुमार सोनी, चौथा 26 जून को मेरठ निवासी एक व्यवसायी और पांचवां 19 अगस्त को सुबोध सिंह का हुआ था. यह छठा लिवर ट्रांसप्लांट था. केजीएमयू के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है.

लिवर ट्रांसप्लांट के बाद 72 घंटे मरीज और डोनर दोनों के लिए बहुत ही अहम है. मरीज का आब्जर्वेशन चल रहा है.

- डॉ. सुधीर सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू

लखनऊ : केजीएमयू में शनिवार को छठा लिवर ट्रांसप्लांट हुआ. केजीएमयू में डॉक्टरों की टीम ने लिवर ट्रांसप्लांट करने में सफलता प्राप्त की है. इंदिरा नगर निवासी मनोज द्विवेदी (42) को लिवर सिरोसिस था. वहीं पति की जिंदगी बचाने के लिए पत्नी सरोज आगे आईं. इसके बाद रविवार को ट्रांसप्लांट प्रक्रिया पूरी की गई. डॉ. अभिजीत चंद्रा के मुताबिक मरीज और डोनर की हालत में सुधार है.

केजीएमयू में सफल हुआ छठा लीवर ट्रांसप्लांट.

मरीज को 9 साल से थी दिक्कत -

मनोज को नौ साल से लिवर की दिक्कत थी. 2010 में नॉन एलकोहॉलिक फैटीलिवर डायगनॉस हुआ था. 2015 में डॉक्टरों ने लिवर सिरोसिस बताया. केजीएमयू में ट्रांसप्लांट शुरू होने के बाद जुलाई में यहां आए और कई टेस्ट करवाए. ट्रांसप्लांट के लिए उनकी पत्नी का लिवर सबसे उपयुक्त पाया गया. बुधवार को ट्रांसप्लांट के लिए एडमिट करवाया गया और रविवार को सुबह ट्रांसप्लांट हुआ.

इसे भी पढ़ें - रेजिडेंट डॉक्टरों की भर्ती को लेकर राज्यपाल ने मांगी रिपोर्ट, केजीएमयू में मचा हड़कंप

इससे पहले भी केजीएमयू के पांच सफल लिवर ट्रांसप्लांट -

केजीएमयू में पहला लिवर ट्रांसप्लांट 14 मार्च को रायबरेली निवासी अमरेंद्र बहादुर सिंह, दूसरा 9 मई को सरोजनीनगर निवासी नवीन बाजपेई (45), तीसरा 14 जून को मड़ियांव निवासी विजय कुमार सोनी, चौथा 26 जून को मेरठ निवासी एक व्यवसायी और पांचवां 19 अगस्त को सुबोध सिंह का हुआ था. यह छठा लिवर ट्रांसप्लांट था. केजीएमयू के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है.

लिवर ट्रांसप्लांट के बाद 72 घंटे मरीज और डोनर दोनों के लिए बहुत ही अहम है. मरीज का आब्जर्वेशन चल रहा है.

- डॉ. सुधीर सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू

Intro:राजधानी लखनऊ के केजीएमयू अस्पताल कैसे में एक और बड़ी उपलब्धि खाते में जुड़ गयी है। सुबह 7:00 बजे से प्रत्यारोपण शुरू हुआ आये ऑपरेशन शाम 6:00 बजे खत्म हुआ और डॉक्टरों के मुताबिक मरीज की हालत स्थिर और अगले 72 घंटे मरीज के लिए अहम है।




Body:छठवीं बार लिवर ट्रांसप्लांट कर केजीएमयू के खाता में एक और उपलब्धि दर्ज हो गई है। 7:00 बजे से शुरू हुआ ऑपरेशन शाम 6:00 बजे खत्म हुआ। डॉक्टरों के मुताबिक मरीज की हालत स्थिर अभी मरीज बेहोश है और उसे आईसीयू में रखा गया है। वहीं लीवर देने वाली उसकी पत्नी होश में आ गयी है। डॉक्टरों की टीम बराबर दोनों पर नजर रखे हुए मरीज के लिए अगले72 घंटे सबसे अहम है।

केजीएमयू में महिला ने पति को लिवर देकर उसकी जान बचाई। केजीएमयू में डॉक्टरों की टीम ने छठा लिवर ट्रांसप्लांट करने में सफलता प्राप्त की है। डॉक्टरों की निगरानी में दोनों का मरीज के लिए अगले 48 घंटे तक रहेंगे। केजीएमयू की टीम ने रायबरेली रोड निवासी मनोज त्रिवेदी 42 वर्षीय का लिवर ट्रांसप्लांट किया है। उनकी पत्नी सरोज ने मनोज को लीवर डोनेट किया। परिजनों ने बताया कि मनोज को 9 साल से लिवर की समस्या रही है। डॉक्टरों की जांच में उनका नॉन एल्कोहलिक फैटी लीवर निकला था। 5 साल तक उन्होंने इलाज कराया।उनको वर्ष 2015 में लिवर ट्रांसप्लांट के लिए बताया गया था।दिल्ली में भी उन्होंने दिखाया पर दूरी की वजह से परिवार ने वहां पर इलाज कराना उचित नहीं समझा। उसके बाद जुलाई में केजीएमयू में में परिजनों ने संपर्क किया।जहां पर गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ अभिजीत चंद्रा ने जांच के बाद प्रत्यारोपण ही विकल्प बताया। परिवार की रजामंदी के बाद पत्नी का लीवर प्रत्यारोपण के लिए उपयुक्त पाए जाने पर सर्जरी के तैयारी शुरू की गई। डॉक्टर चंद्रा के मुताबिक मरीज को 10 दिन पहले भर्ती किया गया। 5 दिन उसे विशेष प्रोटोकॉल में रखा गया। मरीज की मेडिकल हिस्ट्री बनाई गई और प्रत्यारोपण शुरू कर दिया गया। हालांकि अब लिवर ट्रांसप्लांट की पूरी प्रक्रिया सफल हो चुकी है। इसके बाद अब लिवर देने वाली पत्नी सरोज को होश भी आ गया है। तो वही मनोज व सरोज दोनों के लिए अगले 72 घंटे डॉक्टरों ने अहम बताएं हैं। इस पर हम से जानकारी साझा करी केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ सुधीर सिंह ने


बाइट- डॉ सुधीर सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू




Conclusion:एन्ड
शुभम पाण्डेय
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