लखनऊ: परिवहन विभाग ने 28 मार्च से सभी आरटीओ कार्यालय में परमानेंट लाइसेंस प्रिंटिंग की व्यवस्था खत्म कर दी थी. इसके बाद अप्रैल माह से मुख्यालय पर ही सेंट्रलाइज्ड व्यवस्था शुरू की थी. बकायदा एक कंट्रोल सेंटर स्थापित कर यहीं से लाइसेंस प्रिंट का काम शुरू हुआ. शुरुआती दिनों में लाइसेंस प्रिंट होने में काफी दिक्कतें आईं. इससे सही समय पर आवेदकों के लाइसेंस घर नहीं पहुंचे. धीरे-धीरे यह व्यवस्था सुचारु होने के बजाय और भी कठिन होती गई.
आलम यह है कि 3 माह के अंदर ही कार्ड पर एड्रेस मिस प्रिंट होने से 6 हजार से ज्यादा लाइसेंस वापस मुख्यालय लौट आए. इस पर आवेदकों की शिकायत है कि उन्होंने एड्रेस बिल्कुल सही दिया था, लेकिन उनका लाइसेंस पिछले एक से डेढ़ महीने से पहुंच ही नहीं पाया है. ऐसे तमाम आवेदक हर रोज परिवहन विभाग के चक्कर काट रहे हैं. नाराज आवेदक अपर परिवहन आयुक्त से शिकायतें भी कर रहे हैं, लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं निकल पा रहा है.
- लाइसेंस सही समय पर न पहुंचने की शिकायतों से परेशान परिवहन विभाग के अधिकारी अब पॉलिसी में बदलाव करने की सोच रहे हैं.
- एक बार लाइसेंस का एड्रेस गलत हो जाने पर दोबारा सेंट्रलाइज्ड व्यवस्था के तहत आवेदक को पता चेंज कराने के लिए मुख्यालय ही आना पड़ेगा.
- लखनऊ से कोसों दूर जिलों से आवेदकों को गलती ठीक कराने के लिए मुख्यालय के चक्कर काट रहे.
- इसी को ध्यान में रखकर अब परिवहन विभाग पॉलिसी में लाइसेंस के एड्रेस चेंज को लेकर बदलाव कर सकता है.
- दागी अधिकारी सोच रहे हैं कि एड्रेस गलत होने पर आरटीओ कार्यालय में ही लाइसेंसिंग अथॉरिटी को यह अधिकार दे दिया जाए.
- इससे आरटीओ कार्यालय में एड्रेस चेंज हो सकेंगे और आवेदकों को राहत मिल सके.
ड्राइविंग लाइसेंस न पहुंचने की शिकायतें आ रही हैं लेकिन उसमें ज्यादातर गलती आवेदकों की ही निकल रही है. गलत पता होने के चलते ही लाइसेंस समय पर नहीं पहुंच पा रहे हैं. अब तक परिवहन विभाग मुख्यालय पर 6 हजार लाइसेंस डंप हो चुके हैं. पता गलत होने पर सुधार में हो रही समस्याओं के लिए पॉलिसी में बदलाव पर विचार हो रहा है.
-गंगाफल, अपर परिवहन आयुक्त