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लखनऊ: ड्राइविंग लाइसेंस की सेंट्रलाइज्ड व्यवस्था बनी परिवहन विभाग का सिरदर्द - six thousand license dump on transport

परिवहन विभाग ने ड्राइविंग लाइसेंस में हो रहे भ्रष्टाचार पर रोक लगाने की कवायद की. इसके लिए 28 मार्च को परमानेंट लाइसेंस प्रिंटिंग की व्यवस्था खत्म कर दी थी. इस नई व्यवस्था से विभागीय अधिकारियों की समस्याएं बढ़ गई हैं. इससे आवेदकों की मुसीबतों में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है.

ड्राइविंग लाइसेंस में हो रही गलती की जानकारी देते हुए विचार हो रहा है. अपर परिवहन आयुक्त गंगाफल
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Published : Jun 27, 2019, 6:28 PM IST

लखनऊ: परिवहन विभाग ने 28 मार्च से सभी आरटीओ कार्यालय में परमानेंट लाइसेंस प्रिंटिंग की व्यवस्था खत्म कर दी थी. इसके बाद अप्रैल माह से मुख्यालय पर ही सेंट्रलाइज्ड व्यवस्था शुरू की थी. बकायदा एक कंट्रोल सेंटर स्थापित कर यहीं से लाइसेंस प्रिंट का काम शुरू हुआ. शुरुआती दिनों में लाइसेंस प्रिंट होने में काफी दिक्कतें आईं. इससे सही समय पर आवेदकों के लाइसेंस घर नहीं पहुंचे. धीरे-धीरे यह व्यवस्था सुचारु होने के बजाय और भी कठिन होती गई.

परिवहन विभाग मुख्यालय में 6 हजार लाइसेंस हुए डंप

आलम यह है कि 3 माह के अंदर ही कार्ड पर एड्रेस मिस प्रिंट होने से 6 हजार से ज्यादा लाइसेंस वापस मुख्यालय लौट आए. इस पर आवेदकों की शिकायत है कि उन्होंने एड्रेस बिल्कुल सही दिया था, लेकिन उनका लाइसेंस पिछले एक से डेढ़ महीने से पहुंच ही नहीं पाया है. ऐसे तमाम आवेदक हर रोज परिवहन विभाग के चक्कर काट रहे हैं. नाराज आवेदक अपर परिवहन आयुक्त से शिकायतें भी कर रहे हैं, लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं निकल पा रहा है.

  • लाइसेंस सही समय पर न पहुंचने की शिकायतों से परेशान परिवहन विभाग के अधिकारी अब पॉलिसी में बदलाव करने की सोच रहे हैं.
  • एक बार लाइसेंस का एड्रेस गलत हो जाने पर दोबारा सेंट्रलाइज्ड व्यवस्था के तहत आवेदक को पता चेंज कराने के लिए मुख्यालय ही आना पड़ेगा.
  • लखनऊ से कोसों दूर जिलों से आवेदकों को गलती ठीक कराने के लिए मुख्यालय के चक्कर काट रहे.
  • इसी को ध्यान में रखकर अब परिवहन विभाग पॉलिसी में लाइसेंस के एड्रेस चेंज को लेकर बदलाव कर सकता है.
  • दागी अधिकारी सोच रहे हैं कि एड्रेस गलत होने पर आरटीओ कार्यालय में ही लाइसेंसिंग अथॉरिटी को यह अधिकार दे दिया जाए.
  • इससे आरटीओ कार्यालय में एड्रेस चेंज हो सकेंगे और आवेदकों को राहत मिल सके.

ड्राइविंग लाइसेंस न पहुंचने की शिकायतें आ रही हैं लेकिन उसमें ज्यादातर गलती आवेदकों की ही निकल रही है. गलत पता होने के चलते ही लाइसेंस समय पर नहीं पहुंच पा रहे हैं. अब तक परिवहन विभाग मुख्यालय पर 6 हजार लाइसेंस डंप हो चुके हैं. पता गलत होने पर सुधार में हो रही समस्याओं के लिए पॉलिसी में बदलाव पर विचार हो रहा है.
-गंगाफल, अपर परिवहन आयुक्त

लखनऊ: परिवहन विभाग ने 28 मार्च से सभी आरटीओ कार्यालय में परमानेंट लाइसेंस प्रिंटिंग की व्यवस्था खत्म कर दी थी. इसके बाद अप्रैल माह से मुख्यालय पर ही सेंट्रलाइज्ड व्यवस्था शुरू की थी. बकायदा एक कंट्रोल सेंटर स्थापित कर यहीं से लाइसेंस प्रिंट का काम शुरू हुआ. शुरुआती दिनों में लाइसेंस प्रिंट होने में काफी दिक्कतें आईं. इससे सही समय पर आवेदकों के लाइसेंस घर नहीं पहुंचे. धीरे-धीरे यह व्यवस्था सुचारु होने के बजाय और भी कठिन होती गई.

परिवहन विभाग मुख्यालय में 6 हजार लाइसेंस हुए डंप

आलम यह है कि 3 माह के अंदर ही कार्ड पर एड्रेस मिस प्रिंट होने से 6 हजार से ज्यादा लाइसेंस वापस मुख्यालय लौट आए. इस पर आवेदकों की शिकायत है कि उन्होंने एड्रेस बिल्कुल सही दिया था, लेकिन उनका लाइसेंस पिछले एक से डेढ़ महीने से पहुंच ही नहीं पाया है. ऐसे तमाम आवेदक हर रोज परिवहन विभाग के चक्कर काट रहे हैं. नाराज आवेदक अपर परिवहन आयुक्त से शिकायतें भी कर रहे हैं, लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं निकल पा रहा है.

  • लाइसेंस सही समय पर न पहुंचने की शिकायतों से परेशान परिवहन विभाग के अधिकारी अब पॉलिसी में बदलाव करने की सोच रहे हैं.
  • एक बार लाइसेंस का एड्रेस गलत हो जाने पर दोबारा सेंट्रलाइज्ड व्यवस्था के तहत आवेदक को पता चेंज कराने के लिए मुख्यालय ही आना पड़ेगा.
  • लखनऊ से कोसों दूर जिलों से आवेदकों को गलती ठीक कराने के लिए मुख्यालय के चक्कर काट रहे.
  • इसी को ध्यान में रखकर अब परिवहन विभाग पॉलिसी में लाइसेंस के एड्रेस चेंज को लेकर बदलाव कर सकता है.
  • दागी अधिकारी सोच रहे हैं कि एड्रेस गलत होने पर आरटीओ कार्यालय में ही लाइसेंसिंग अथॉरिटी को यह अधिकार दे दिया जाए.
  • इससे आरटीओ कार्यालय में एड्रेस चेंज हो सकेंगे और आवेदकों को राहत मिल सके.

ड्राइविंग लाइसेंस न पहुंचने की शिकायतें आ रही हैं लेकिन उसमें ज्यादातर गलती आवेदकों की ही निकल रही है. गलत पता होने के चलते ही लाइसेंस समय पर नहीं पहुंच पा रहे हैं. अब तक परिवहन विभाग मुख्यालय पर 6 हजार लाइसेंस डंप हो चुके हैं. पता गलत होने पर सुधार में हो रही समस्याओं के लिए पॉलिसी में बदलाव पर विचार हो रहा है.
-गंगाफल, अपर परिवहन आयुक्त

Intro:ड्राइविंग लाइसेंस की सेंट्रलाइज्ड व्यवस्था बनी परिवहन विभाग का सिरदर्द, तीन माह में 6000 लाइसेंस वापस लौटे

लखनऊ। परिवहन विभाग की ड्राइविंग लाइसेंस की सेंट्रलाइज्ड व्यवस्था विभाग के साथ ही आवेदकों के लिए भी सिरदर्द बन गई है। विभाग ने यह सोचकर आरटीओ कार्यालयों से लाइसेंस प्रिंटिंग की व्यवस्था खत्म की थी जिससे भ्रष्टाचार पर रोक लग सके, लेकिन विभाग का यह दांव विभाग पर ही उल्टा पड़ता हुआ नजर आ रहा है। परिवहन विभाग ने एक निजी कंपनी को लाइसेंस की प्रिंटिंग का ठेका दिया और परिवहन आयुक्त मुख्यालय पर सेंट्रलाइज्ड व्यवस्था लागू की। अप्रैल माह से प्रदेश भर के सभी आरटीओ कार्यालयों के लाइसेंस यहीं से प्रिंट होते हैं। इस नई व्यवस्था से जहां विभागीय अधिकारियों की समस्याएं बढ़ गई हैं वहीं आवेदकों की भी मुसीबतों में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है। प्रदेशभर से हर रोज ही आवेदक लाइसेंस न पहुंचने की शिकायत लेकर मुख्यालय पहुंच रहे हैं, वहीं पिछले 3 माह में प्रदेश के अलग-अलग जिलों से 6000 से ज्यादा ड्राइविंग लाइसेंस वापस मुख्यालय पर लौट चुके हैं। किसी का पता गलत था तो कोई स्मार्ट कार्ड ही मिस प्रिंट हो गया था बड़ी संख्या में पता गलत होने से मुख्यालय पर वापस लौटे ड्राइविंग लाइसेंस को लेकर अब परिवहन विभाग के अधिकारी चिंतित हैं और पॉलिसी में बदलाव करने की सोच रहे हैं।


Body:परिवहन विभाग ने 28 मार्च से सभी आरटीओ कार्यालय में परमानेंट लाइसेंस प्रिंटिंग की व्यवस्था खत्म कर दी थी और अप्रैल माह से मुख्यालय पर ही सेंट्रलाइज्ड व्यवस्था शुरू की थी। यहां पर बाकायदा एक कंट्रोल सेंटर स्थापित किया गया और यहीं से लाइसेंस प्रिंट का काम शुरू हुआ। शुरुआती दिनों में लाइसेंस प्रिंट होने में काफी दिक्कतें आई और सही समय पर आवेदकों के लाइसेंस घर नहीं पहुंचे। धीरे-धीरे यह व्यवस्था सुचारु होने के बजाय और भी कठिन होती गई। आलम यह है कि 3 माह के अंदर ही कार्ड पर एड्रेस मिस प्रिंट होने से 6000 से ज्यादा लाइसेंस वापस मुख्यालय लौट आए हैं, वहीं तमाम आवेदकों की शिकायत है कि उन्होंने एड्रेस बिल्कुल सही दिया था लेकिन उनका लाइसेंस पिछले एक से डेढ़ महीने से पहुंच ही नहीं पाया है। ऐसे तमाम आवेदक हर रोज परिवहन विभाग के चक्कर काट रहे हैं। नाराज आवेदक अपर परिवहन आयुक्त से शिकायतें भी कर रहे हैं, झगड़े की नौबत आ रही है, लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं निकल पा रहा है।

बाइट: गंगाफल, अपर परिवहन आयुक्त, परिवहन विभाग

ड्राइविंग लाइसेंस न पहुंचने की शिकायतें आ रही हैं लेकिन उसमें ज्यादातर गलती आवेदकों की ही निकल रही है। गलत पता होने के चलते ही लाइसेंस समय पर नहीं पहुंच पा रहे हैं। अब तक परिवहन विभाग मुख्यालय पर 6000 लाइसेंस डंप हो चुके हैं। पता गलत होने पर सुधार में हो रही समस्याओं के लिए पॉलिसी में बदलाव पर विचार हो रहा है।


Conclusion:लाइसेंस सही समय पर न पहुंचने की शिकायतों से परेशान परिवहन विभाग के अधिकारी अब पॉलिसी में बदलाव करने की सोच रहे हैं। दरअसल, एक बार लाइसेंस का एड्रेस गलत हो जाने पर दोबारा सेंट्रलाइज्ड व्यवस्था के तहत आवेदक को पता चेंज करने कराने के लिए मुख्यालय ही आना पड़ेगा। ऐसे में लखनऊ से कोसों दूर जिलों से आवेदकों को अपनी या फिर विभाग की गलती के लिए पैसे खर्च कर मुख्यालय के चक्कर काटने को मजबूर होना पड़ रहा है। इसी को ध्यान में रखकर अब परिवहन विभाग पालिसी में लाइसेंस के एड्रेस चेंज को लेकर बदलाव कर सकता है। दागी अधिकारी सोच रहे हैं कि एड्रेस गलत होने पर आरटीओ कार्यालय में ही लाइसेंसिंग अथारिटी को यह अधिकार दे दिया जाए कि आरटीओ कार्यालय में एड्रेस चेंज हो सके जिससे कम से कम आवेदकों को राहत मिल सके।
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