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KGMU शिक्षक भर्ती घोटाले में होगी जांच, इस कमेटी का हुआ गठन

यूपी की राजधानी लखनऊ में स्थित केजीएमयू में शिक्षक भर्ती (Teacher recruitment scam in KGMU) मामले ने जोर पकड़ लिया है. अब संस्थान प्रशासन ने 6 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. प्रतिकुलपति की अध्यक्षता में इसकी जांच शुरू की गई है.

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Published : Aug 9, 2021, 7:17 PM IST

लखनऊ: केजीएमयू (KGMU) शिक्षक भर्ती घोटाला (TEACHER RECRUITMENT SCAM IN KGMU) मामले ने तूल पकड़ लिया है. आरोप है कि यहां नियमों को ताक पर रखकर बेटों-चहेतों को नौकरी बांटी गई. ऐसे में मेधावियों को दरकिनार कर किए गए खेल को ईटीवी भारत से सबसे पहले उठाया. मार्च में सिलसिलेवार गड़बड़ी उजागर की. ऐसे में राजभवन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं. राजभवन की सख्ती देख अब संस्थान प्रशासन ने 6 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. प्रतिकुलपति की अध्यक्षता में जांच शुरू हो गई है.


केजीएमयू (KGMU) के करीब 43 विभागों में लगभग 230 पदों पर शिक्षक भर्ती चली. साल के शुरुआत में महीनों मेडिकल संकाय में शिक्षक भर्ती के साक्षात्कार हुए, मगर जैसे ही मेडिकल संकाय में इंटरव्यू के लिफाफे खुले. शिक्षकों की नियुक्तियों पर सवाल उठने लगे. नव नियुक्त शिक्षिकों के नाम सार्वजनिक होते ही भर्ती विवादों के घेरे में आ गई. सबसे बड़ा धांधली का आरोप प्लास्टिक सर्जरी विभाग में शिक्षक भर्ती में लगा. इसमें सरकारी कॉलेज से सुपर स्पेशयलिटी डिग्री हासिल करने वाले मेधावियों को दरकिनार कर दिया गया. वहीं नेपाल से प्राइवेट डिग्री लेकर आए केजीएमयू के एक बड़े अफसर के बेटे को शिक्षक पद पर नियुक्त कर दिया गया है. ऐसे ही रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग में शिक्षक भर्ती में एक वरिष्ठ शिक्षक के चहेते को नौकरी देने के आरोप हैं. इसमें दूसरे विभाग का अनुभव लगाने वाले अभ्यर्थी को स्क्रीनिंग कमेटी ने साक्षात्कार के लिए वैध कर दिया. अभ्यर्थी का इंटरव्यू भी हुआ, वहीं प्रस्तावित कार्य परिषद में नियुक्ति पर मुहर लगाकर तैनाती भी दे दी गई. विशेषज्ञों का कहना है कि दूसरे विभाग का अनुभव प्रमाण पत्र लगाना नियम विपरीत है. यह मान्य नहीं किया जा सकता है. वहीं राजभवन ने प्लास्टिक सर्जरी विभाग में नेपाल पास अफसर के बेटे को भर्ती करने के मामले पर जांच के आदेश दिए दिए थे. ऐसे में छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया.

कुलसचिव आशुतोष कुमार द्विवेदी ने जांच के लिए कमेटी गठित की है. इसमें प्रति कुलपति डॉ. विनीत शर्मा, सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अरुण चतुर्वेदी, न्यूरो सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. बीके ओक्षा, फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. अनूप कुमार वर्मा, मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र आतम व फैकल्टी इंचार्ज डॉ. मनीष वाजपेई शामिल हैं.

मेरठ के सर्वेन्द्र चौहान ने एक मार्च को मुख्यमंत्री व राज्यपाल से शिकायत की थी. आठ मार्च को अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा ने केजीएमयू के रजिस्ट्रार से मामले पर रिपोर्ट तलब की. सर्वेन्द्र के मुताबिक प्लास्टिक सर्जरी विभाग में दो असिस्टेंट प्रोफेसर (अन रिजर्व) भर्ती के लिए विज्ञापन निकला. इसमें छह अभ्यर्थी ने आवदेन किए. सरकारी कॉलेज से एमसीएच पास आउट व नौकरी करने वाले अभ्यर्थियों को दरकिनार कर दिया गया. वहीं नेपाल से एमबीबीएस व केरल के प्राइवेट कॉलेज से डीएनबी कोर्स करने वाले केजीएमयू के एक बड़े अधिकारी के बेटे का शिक्षक पद पर चयन कर लिया गया है. ऐसे ही रेस्परेटरी मेडिसिन समेत कई विभागों में गलत अनुभव प्रमाण पत्र के जरिए चहेतों को नौकरी देने का षडयंत्र किया गया.

उरई से विधायक गौरी शंकर वर्मा पांच अप्रैल को राज्यपाल व मुख्यमंत्री से भर्ती में गड़बड़ी की शिकायत की. 25 जून को कुलाधिपति के अपर मुख्य सचिव ने शिकायत का संज्ञान लिया. चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र भेजा. इसमें प्रकरण का परीक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही विधि अनुसार आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया है.

विधायक ने भर्ती पर कई सवाल उठाए. उन्होंने पत्र में लिखा कि प्लास्टिक सर्जरी में एमसीएच कोर्स की पढ़ाई होती है. ऐसे में डीएनबी कोर्स करने वाले को सहायक आचार्य पद पर नियुक्त दी गई. आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों ने सरकार द्वारा आयोजित एमबीबीएस-एमएस व एमसीएच प्रवेश परीक्षा में राष्ट्रीय स्तर की मेरिट हासिल कर सरकारी कॉलेज से पढ़ाई की, मगर उनका चयन नहीं हुआ. वहीं नेपाल के प्राइवेट कॉलेज से एमबीबीएस व केरल के प्राइवेट कॉलेज से डीएनबी कोर्स करने वाले का चयन हो गया.

ईटीवी भारत की टीम ने यह उठाये सवाल थे
प्लास्टिक सर्जरी में एमसीएच कोर्स की पढ़ाई होती है. ऐसे में डीएनबी कोर्स करने वाला शिक्षक छात्रों को सुपर स्पेशयलिटी एमसीएच कोर्स कैसे पढ़ाएगा. आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों ने सरकार द्वारा आयोजित एमबीबीएस-एमएस व एमसीएच प्रवेश परीक्षा में नेशनल लेवल मेरिट हासिल कर सरकारी कॉलेज से पढ़ाई की, मगर उनका चयन नहीं हुआ.


वहीं नेपाल के प्राइवेट कॉलेज से एमबीबीएस व डायरेक्ट केरल के प्राइवेट कॉलेज से 6 साल का डीएनबी कोर्स करने वाले अफसर के बेटे का चयन हो गया. खास बात यह भी है कि चयन से बाहर किया गया एक अभ्यर्थी एम्सऋषिकेश में शिक्षक पद पर है, उसे भी नेपाली डिग्री वाले अफसर के बेटे के आगे नकार दिया गया. यही नहीं केजीएमयू से पास आउट, वहीं से सीनियर रेजीडेंट करने वाले भी अभ्यर्थी को नकार दिया गया. ऐसे में हताश मेधावी भी अब मामले की जांच की मांग कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें-इन अस्पतालों में कराने जा रहे हों इलाज तो RTPCR रिपोर्ट होनी चाहिए निगेटिव

लखनऊ: केजीएमयू (KGMU) शिक्षक भर्ती घोटाला (TEACHER RECRUITMENT SCAM IN KGMU) मामले ने तूल पकड़ लिया है. आरोप है कि यहां नियमों को ताक पर रखकर बेटों-चहेतों को नौकरी बांटी गई. ऐसे में मेधावियों को दरकिनार कर किए गए खेल को ईटीवी भारत से सबसे पहले उठाया. मार्च में सिलसिलेवार गड़बड़ी उजागर की. ऐसे में राजभवन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं. राजभवन की सख्ती देख अब संस्थान प्रशासन ने 6 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. प्रतिकुलपति की अध्यक्षता में जांच शुरू हो गई है.


केजीएमयू (KGMU) के करीब 43 विभागों में लगभग 230 पदों पर शिक्षक भर्ती चली. साल के शुरुआत में महीनों मेडिकल संकाय में शिक्षक भर्ती के साक्षात्कार हुए, मगर जैसे ही मेडिकल संकाय में इंटरव्यू के लिफाफे खुले. शिक्षकों की नियुक्तियों पर सवाल उठने लगे. नव नियुक्त शिक्षिकों के नाम सार्वजनिक होते ही भर्ती विवादों के घेरे में आ गई. सबसे बड़ा धांधली का आरोप प्लास्टिक सर्जरी विभाग में शिक्षक भर्ती में लगा. इसमें सरकारी कॉलेज से सुपर स्पेशयलिटी डिग्री हासिल करने वाले मेधावियों को दरकिनार कर दिया गया. वहीं नेपाल से प्राइवेट डिग्री लेकर आए केजीएमयू के एक बड़े अफसर के बेटे को शिक्षक पद पर नियुक्त कर दिया गया है. ऐसे ही रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग में शिक्षक भर्ती में एक वरिष्ठ शिक्षक के चहेते को नौकरी देने के आरोप हैं. इसमें दूसरे विभाग का अनुभव लगाने वाले अभ्यर्थी को स्क्रीनिंग कमेटी ने साक्षात्कार के लिए वैध कर दिया. अभ्यर्थी का इंटरव्यू भी हुआ, वहीं प्रस्तावित कार्य परिषद में नियुक्ति पर मुहर लगाकर तैनाती भी दे दी गई. विशेषज्ञों का कहना है कि दूसरे विभाग का अनुभव प्रमाण पत्र लगाना नियम विपरीत है. यह मान्य नहीं किया जा सकता है. वहीं राजभवन ने प्लास्टिक सर्जरी विभाग में नेपाल पास अफसर के बेटे को भर्ती करने के मामले पर जांच के आदेश दिए दिए थे. ऐसे में छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया.

कुलसचिव आशुतोष कुमार द्विवेदी ने जांच के लिए कमेटी गठित की है. इसमें प्रति कुलपति डॉ. विनीत शर्मा, सर्जिकल आंकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अरुण चतुर्वेदी, न्यूरो सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. बीके ओक्षा, फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. अनूप कुमार वर्मा, मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र आतम व फैकल्टी इंचार्ज डॉ. मनीष वाजपेई शामिल हैं.

मेरठ के सर्वेन्द्र चौहान ने एक मार्च को मुख्यमंत्री व राज्यपाल से शिकायत की थी. आठ मार्च को अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा ने केजीएमयू के रजिस्ट्रार से मामले पर रिपोर्ट तलब की. सर्वेन्द्र के मुताबिक प्लास्टिक सर्जरी विभाग में दो असिस्टेंट प्रोफेसर (अन रिजर्व) भर्ती के लिए विज्ञापन निकला. इसमें छह अभ्यर्थी ने आवदेन किए. सरकारी कॉलेज से एमसीएच पास आउट व नौकरी करने वाले अभ्यर्थियों को दरकिनार कर दिया गया. वहीं नेपाल से एमबीबीएस व केरल के प्राइवेट कॉलेज से डीएनबी कोर्स करने वाले केजीएमयू के एक बड़े अधिकारी के बेटे का शिक्षक पद पर चयन कर लिया गया है. ऐसे ही रेस्परेटरी मेडिसिन समेत कई विभागों में गलत अनुभव प्रमाण पत्र के जरिए चहेतों को नौकरी देने का षडयंत्र किया गया.

उरई से विधायक गौरी शंकर वर्मा पांच अप्रैल को राज्यपाल व मुख्यमंत्री से भर्ती में गड़बड़ी की शिकायत की. 25 जून को कुलाधिपति के अपर मुख्य सचिव ने शिकायत का संज्ञान लिया. चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र भेजा. इसमें प्रकरण का परीक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही विधि अनुसार आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया है.

विधायक ने भर्ती पर कई सवाल उठाए. उन्होंने पत्र में लिखा कि प्लास्टिक सर्जरी में एमसीएच कोर्स की पढ़ाई होती है. ऐसे में डीएनबी कोर्स करने वाले को सहायक आचार्य पद पर नियुक्त दी गई. आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों ने सरकार द्वारा आयोजित एमबीबीएस-एमएस व एमसीएच प्रवेश परीक्षा में राष्ट्रीय स्तर की मेरिट हासिल कर सरकारी कॉलेज से पढ़ाई की, मगर उनका चयन नहीं हुआ. वहीं नेपाल के प्राइवेट कॉलेज से एमबीबीएस व केरल के प्राइवेट कॉलेज से डीएनबी कोर्स करने वाले का चयन हो गया.

ईटीवी भारत की टीम ने यह उठाये सवाल थे
प्लास्टिक सर्जरी में एमसीएच कोर्स की पढ़ाई होती है. ऐसे में डीएनबी कोर्स करने वाला शिक्षक छात्रों को सुपर स्पेशयलिटी एमसीएच कोर्स कैसे पढ़ाएगा. आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों ने सरकार द्वारा आयोजित एमबीबीएस-एमएस व एमसीएच प्रवेश परीक्षा में नेशनल लेवल मेरिट हासिल कर सरकारी कॉलेज से पढ़ाई की, मगर उनका चयन नहीं हुआ.


वहीं नेपाल के प्राइवेट कॉलेज से एमबीबीएस व डायरेक्ट केरल के प्राइवेट कॉलेज से 6 साल का डीएनबी कोर्स करने वाले अफसर के बेटे का चयन हो गया. खास बात यह भी है कि चयन से बाहर किया गया एक अभ्यर्थी एम्सऋषिकेश में शिक्षक पद पर है, उसे भी नेपाली डिग्री वाले अफसर के बेटे के आगे नकार दिया गया. यही नहीं केजीएमयू से पास आउट, वहीं से सीनियर रेजीडेंट करने वाले भी अभ्यर्थी को नकार दिया गया. ऐसे में हताश मेधावी भी अब मामले की जांच की मांग कर रहे हैं.

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