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लखनऊ: रोडवेज के दो एआरएम सहित छह कर्मचारी सस्पेंड - परिवहन निगम

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक डॉ. राजशेखर एक्शन के मूड में हैं. वे लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ अफसरों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं.

uttar pradesh state road transport corporation
उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन.
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Published : Jul 29, 2020, 1:11 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक डॉ. राजशेखर एक्शन में हैं. लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ अफसरों और कर्मचारियों पर कार्रवाई कर रहे हैं. अब उन्होंने भ्रष्टाचार में लिप्त रोडवेज के दो अधिकारियों सहित छह कर्मचारियों पर निलंबन की कार्रवाई की है. इसमें दो एआरएम के साथ ही एक यातायात अधीक्षक और तीन सहायक यातायात निरीक्षक शामिल हैं. दोनों सहायक क्षेत्रीय प्रबंधकों को मुख्यालय से अटैच कर दिया गया है.

प्रबंध निदेशक डॉ. राजशेखर ने बताया कि एटा-फर्रुखाबाद मार्ग पर भ्रष्टाचार की गोपनीय सूचना दी गई थी. इसी की जांच के लिए मुख्यालय प्रवर्तन दल के यातायात अधीक्षक हरदोई क्षेत्र को इसकी जांच के लिए लगाया गया. उन्होंने एटा-फर्रुखाबाद मार्ग पर औचक निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने यूपी 81 एएफ 1887 बस की चेकिंग की. बस को हजियापुर में सुबह 10 बजे चेक किया गया. बस में कुल 68 यात्री सवार थे, जिनमें 52 बिना टिकट पाए गए. बस ड्राइवर लायक सिंह चला रहे थे, जबकि कंडक्टर राहुल कुमार थे.

परिवहन निगम के एमडी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को अपनाते हुए तत्काल प्रभाव से एटा क्षेत्र के एआरएम मदन लाल सहायक और फर्रुखाबाद क्षेत्र के एआरएम अंकुर विकास को निलंबित कर मुख्यालय से सम्बद्ध कर दिया. इसी प्रकार मार्ग पर शिथिलता बरतने एवं प्रवर्तन में लापरवाही के लिए उपाधिकारियों को निलंबित किए जाने के निर्देश एमडी ने जारी कर दिए. इनमें यातायात अधीक्षक इटावा क्षेत्र अजय कुमार पाण्डेय, सहायक यातायात निरीक्षक फर्रुखाबाद सूरत सहाय, सहायक यातायात निरीक्षक सम्बद्ध एटा डिपो वेदराम और सहायक यातायात निरीक्षक संजय कुमार शामिल हैं. इसके साथ ही बस ड्राइवर लायक सिंह और कंडक्टर राहुल कुमार की सेवाएं तत्काल प्रभाव से खत्म कर दी गईं. एमडी ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए क्षेत्रीय प्रबंधक, इटावा को दोषियों के खिलाफ सम्बंधित थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं.

एमडी ने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया है कि प्रवर्तन कार्यों में किसी प्रकार की शिथिलता बर्दाश्त नहीं होगी. भविष्य में भी बिना टिकट यात्रा के मामले सामने आने पर दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कठोर एक्शन लिया जाएगा. परिवहन निगम को हुई आर्थिक हानि की वसूली भी दोषियों से ही की जाएगी.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक डॉ. राजशेखर एक्शन में हैं. लगातार भ्रष्टाचार के खिलाफ अफसरों और कर्मचारियों पर कार्रवाई कर रहे हैं. अब उन्होंने भ्रष्टाचार में लिप्त रोडवेज के दो अधिकारियों सहित छह कर्मचारियों पर निलंबन की कार्रवाई की है. इसमें दो एआरएम के साथ ही एक यातायात अधीक्षक और तीन सहायक यातायात निरीक्षक शामिल हैं. दोनों सहायक क्षेत्रीय प्रबंधकों को मुख्यालय से अटैच कर दिया गया है.

प्रबंध निदेशक डॉ. राजशेखर ने बताया कि एटा-फर्रुखाबाद मार्ग पर भ्रष्टाचार की गोपनीय सूचना दी गई थी. इसी की जांच के लिए मुख्यालय प्रवर्तन दल के यातायात अधीक्षक हरदोई क्षेत्र को इसकी जांच के लिए लगाया गया. उन्होंने एटा-फर्रुखाबाद मार्ग पर औचक निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने यूपी 81 एएफ 1887 बस की चेकिंग की. बस को हजियापुर में सुबह 10 बजे चेक किया गया. बस में कुल 68 यात्री सवार थे, जिनमें 52 बिना टिकट पाए गए. बस ड्राइवर लायक सिंह चला रहे थे, जबकि कंडक्टर राहुल कुमार थे.

परिवहन निगम के एमडी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति को अपनाते हुए तत्काल प्रभाव से एटा क्षेत्र के एआरएम मदन लाल सहायक और फर्रुखाबाद क्षेत्र के एआरएम अंकुर विकास को निलंबित कर मुख्यालय से सम्बद्ध कर दिया. इसी प्रकार मार्ग पर शिथिलता बरतने एवं प्रवर्तन में लापरवाही के लिए उपाधिकारियों को निलंबित किए जाने के निर्देश एमडी ने जारी कर दिए. इनमें यातायात अधीक्षक इटावा क्षेत्र अजय कुमार पाण्डेय, सहायक यातायात निरीक्षक फर्रुखाबाद सूरत सहाय, सहायक यातायात निरीक्षक सम्बद्ध एटा डिपो वेदराम और सहायक यातायात निरीक्षक संजय कुमार शामिल हैं. इसके साथ ही बस ड्राइवर लायक सिंह और कंडक्टर राहुल कुमार की सेवाएं तत्काल प्रभाव से खत्म कर दी गईं. एमडी ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए क्षेत्रीय प्रबंधक, इटावा को दोषियों के खिलाफ सम्बंधित थाने में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं.

एमडी ने सभी अधिकारियों को निर्देशित किया है कि प्रवर्तन कार्यों में किसी प्रकार की शिथिलता बर्दाश्त नहीं होगी. भविष्य में भी बिना टिकट यात्रा के मामले सामने आने पर दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कठोर एक्शन लिया जाएगा. परिवहन निगम को हुई आर्थिक हानि की वसूली भी दोषियों से ही की जाएगी.

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