लखनऊ: कानपुर कांड को लेकर प्रदेश की योगी सरकार ने अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया है. रेड्डी की अध्यक्षता में गठित एसआईटी टीम अब इस पूरे प्रकरण की जांच करेगी. जांच टीम में भूसरेड्डी के अलावा अपर पुलिस महानिदेशक हरिराम शर्मा, पुलिस उपमहानिरीक्षक जे रविंद्र गौड़ को एसआईटी का सदस्य नामित किया गया है. वहीं एसआईटी 31 जुलाई 2020 तक अपनी जांच रिपोर्ट शासन को सौंपेगी.
सरकार ने एसआईटी को पूरे घटनाक्रम की पृष्ठभूमि में आए कारणों की जांच के निर्देश दिए हैं. अभियुक्त विकास दुबे के विरुद्ध जितने भी अभियोग हैं उन पर अब तक क्या प्रभावी कार्रवाई की गई है. अभियुक्त और उसके साथियों को सजा दिलाने के लिए की गई कार्रवाई क्या पर्याप्त थी. इतने विस्तृत आपराधिक इतिहास वाले अपराधी की जमानत निरस्तीकरण की दिशा में क्या कोई कार्रवाई की गई थी. अभियुक्त विकास दुबे के विरुद्ध कितनी जन शिकायतें आईं और उन पर थानाध्यक्ष चौबेपुर तथा जिले के अन्य अधिकारियों ने क्या जांच की है. अगर जांच की गई तो पाए गए तथ्यों के आधार पर क्या कार्रवाई की गई, इसकी विस्तृत जांच की जाएगी.
अभियुक्त विकास दुबे तथा उसके साथियों के विरुद्ध गैंगस्टर एक्ट, गुंडा एक्ट, एनएसए आदि अधिनियम के अंतर्गत क्या कार्रवाई की गई इस मामले की जांच की जाएगी. यदि कार्रवाई किए जाने में लापरवाही रही तो किस स्तर पर लापरवाही रही. जांच टीम को अभियुक्त एवं उसके साथियों के पिछले एक वर्ष के सीडीआर का परीक्षण करने को कहा गया है. उसके संपर्क में आए सभी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध संलिप्तता मिलने की दशा में उपयुक्त एवं कड़ी कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए गए हैं.
वहीं घटना के दिन अभियुक्तों के पास उपलब्ध हथियारों एवं उसके फायरपावर के विषय में सूचना संकलन में लापरवाही किस स्तर पर हुई. क्या थाने में इसकी समुचित जानकारी नहीं थी, इस तथ्य को भी जांच करना एवं यदि कोई दोषी हो तो उसे चिन्हित किया जाएगा, ताकि उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई हो सके.
जानकारी मिली है कि विकास दुबे एवं उसके साथियों के पास लाइसेंसी शस्त्र हैं. कमेटी को यह भी देखना होगा कि इतने अधिक अपराधों में संलिप्त रहने के बाद भी इनके हथियार का लाइसेंस किसके द्वारा एवं कैसे दिया गया. लगातार अपराध करने के बाद भी यह लाइसेंस और हथियार उसके पास कैसे बना रहा. अभियुक्त विकास दुबे एवं उसके साथियों के द्वारा अवैध रूप से अर्जित संपत्ति, व्यापार एवं आर्थिक गतिविधियों की भी जांच होगी. इसके संबंध में अनुसंधान करना तथा यह भी इंगित करना कि स्थानीय पुलिस ने इस मामले में किस प्रकार की ढिलाई और लापरवाही बरती है.
अभियुक्त एवं उसके साथियों के द्वारा क्या सरकारी तथा गैर सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा किया गया है. यदि किया गया है तो इसमें क्या अधिकारियों की भी भूमिका है और वह अधिकारी कौन-कौन हैं. उनका उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाए. अवैध कब्जा हटवाना जिन अधिकारियों की जिम्मेदारी थी यदि उनके द्वारा अवैध कब्जा नहीं हटाया गया तो उनका भी उत्तरदायित्व निर्धारित किया जाए. सुनिश्चित किया जाए कि इस प्रकार के अभियुक्तों और उनके साथियों के साथ पुलिसकर्मियों की संलिप्तता की गहन जांच हो. अभियुक्तों एवं उनके आर्थिक मददगारों की संपत्तियों और आय के स्रोतों की जांच प्रवर्तन निदेशालय तथा आयकर विभाग से कराने पर भी एसआईटी सिफारिश करेगी.