लखनऊ: वायरल वीडियो में अवैध धर्मांतरण के लिए उकसा व प्रेरित करने को लेकर सामने आए कानपुर के IAS इफ्तिखारुद्दीन के मामले में यूपी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. मंगलवार को यूपी सरकार ने पूरे मामले की जांच एसआईटी से कराने का फैसला किया है. जांच का जिम्मा डीजी सीबीसीआईडी जीएल मीना और एडीजी जोन कानपुर भानु भास्कर को सौंपा गया है. एसआईटी पूरे मामले की रिपोर्ट सात दिन में शासन को सौंपेगी.
बता दें कि, उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के चेयरमैन व सीनियर आईएएस अधिकारी मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन के धर्मांतरण के लिए प्रेरित करने को लेकर कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. कानपुर स्थित उनके सरकारी आवास पर उनकी मौजूदगी में धर्म परिवर्तन को लेकर तकरीरें की गईं. वायरल वीडियो में धर्मगुरु दावा करता नजर आ रहा है कि "पिछले दिनों पंजाब में एक शख्स ने इस्लाम धर्म कबूल किया. मैंने उनसे कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि बहन की मौत के कारण इस्लाम कबूल किया है." धर्मगुरु ने कहा, "उस शख्स ने कहा कि बहन को मरने पर जब जलाया गया तो उसका कपड़ा जल गया और वह निर्वस्त्र हो गई. वहां मौजूद सभी लोग देख रहे थे तो मुझे बहुत शर्म आई. फिर मेरे दिल में आया कि ये लोग आज मेरी बहन को देख रहे हैं तो कल मेरी बेटी को भी देखेंगे. इसलिए मैंने इस्लाम कबूल कर लिया क्योंकि इससे अच्छा कोई धर्म नहीं है."
हालांकि ETV भारत इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता हैं. पुलिस भी वीडियों की सच्चाई सामने लाने के लिए जांच में जुट गई हैं. धर्मांतरण को लेकर वायरल वीडियो पर कानून मंत्री बृजेश पाठक ने कहा कि वीडियो की जांच कराई जा रही है. अगर दोषी पाए जाते हैं तो कार्रवाई की जाएगी. वहीं मुस्लिम वक्ता जब आईएएस के सरकारी आवास में कट्टरता का पाठ पढ़ा रहा था, तब आईएएस इफ्तिखारुद्दीन जमीन पर बैठे थे.
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वहीं, सीनियर आईएएस मो. इफ्तिखारुद्दीन के वायरल वीडियो मामले में कानपुर के पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने एडीसीपी (ईस्ट) सोमेंद्र मीणा को वायरल वीडियो की जांच करने के निर्देश दिए हैं, जबकि, इसी के थोड़ी देर बाद प्रमुख सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने वायरल वीडियो की जांच और आईएसएस इफ्तिखारुद्दीन की भूमिका की जांच के लिए एसआईटी (SIT) जांच के आदेश दिए हैं. SIT 7 दिन के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट सौंपेगी.
वहीं रिटायर्ड आईपीएस बृजलाल ने ट्वीट कर कहा है, "सरकारी सेवक का धर्म केवल संविधान होता है. ये सर्विस कांडक्ट रुल के ख़िलाफ़ है. बाबा साहब ने हमें जो संविधान दिया है उसकी मूल भावना को भी आहत करने वाला है. ऐसे लोकसेवक़ों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए."