लखनऊ: उत्तर प्रदेश की तमाम ग्राम पंचायतों में पिछले दिनों कोरोना वायरस से बचाव को लेकर खरीदे गए मेडिकल उपकरण जिनमें पल्स ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर सहित अन्य जांच उपकरण शामिल थे. आरोप है कि इनकी खरीद में अधिकारियों ने जमकर धांधली की. शासनादेश को दरकिनार करते हुए अफसरों ने मनमाने दामों पर खरीदारी की और भ्रष्टाचार किया. इसका खुलासा अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार की अध्यक्षता में गठित एसआईटी की जांच रिपोर्ट में हुआ है. रेणुका कुमार ने अपनी जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप कर कार्रवाई की सिफारिश की है. एसआईटी की जांच टीम को प्रदेश के 28 जिलों में इन मेडिकल उपकरणों की खरीद में की गई धांधली मिली है.
शासन को भेजी गई जांच रिपोर्ट में एसआईटी ने कहा है कि मेडिकल उपकरणों की खरीद के लिए शासन या विभाग के स्तर पर न तो कोई संस्था तय की गई और न ही क्रय की प्रक्रिया का निर्धारण किया गया. कई जगह से ऐसे बिल बाउचर मिले हैं, जिन पर जीएसटी नंबर ही नहीं है. एसआईटी की अध्यक्ष मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार ने अपनी जांच रिपोर्ट में अधिकारियों की जिम्मेदारी पर कार्रवाई की सिफारिश की है. अब माना जा रहा है कि एसआईटी की रिपोर्ट के बाद कई डीपीआरओ, पंचायत सचिव और प्रधानों पर कार्रवाई हो सकती है.
जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि जो किट 2000 रुपए के आसपास थी, उसे 11000 रुपए तक में अफसरों ने मनमानी करके खरीदा है. एसआईटी टीम को सोनभद्र, मिर्जापुर, मैनपुरी, फर्रुखाबाद, सुलतानपुर, झांसी, कौशांबी, चित्रकूट और गाजीपुर समेत 28 जिलों में गड़बड़ी मिली है. उदाहरण के लिए मेडिकल इक्विपमेंट्स अलग-अलग पंचायतों में 2500 रुपए से लेकर 11000 रुपए तक में खरीदी गई है. तमाम जगहों पर यह 6000 रुपए के बीच खरीदी गई है, जबकि औसत कीमत 2000 रुपए आंकी गई है. एसआईटी जांच रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि अधिकारियों, ग्राम प्रधानों और अन्य संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत से खरीद में जमकर धांधली की गई है.
बताया जाता है कि खरीदने वाली संस्थाओं से बिना किसी मानक के इनकी खरीद हुई और जिन संस्थाओं या फर्म से खरीदारी की गई, उनके जीएसटी नंबर तक की जानकारी बिल वाउचर में नहीं थी, जो अपने आप में काफी चौंकाने वाली बात है. उल्लेखनीय है कि पिछले महीने कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर मेडिकल उपकरणों की खरीद में धांधली का आरोप लगाते हुए बीजेपी के विधायकों के साथ-साथ विपक्ष ने भी इस पर जमकर सरकार पर हमला बोला था. इसके बाद सरकार ने सुलतानपुर, गाजीपुर के जिला पंचायत राज अधिकारी को निलंबित भी किया था और इसकी पूरी जांच एसआईटी से कराने का फैसला लिया था, जिसके बाद अब जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है. अब माना जा रहा है कि आगे की कार्रवाई मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद की जाएगी.