चंडीगढ़: पंजाब विधानसभा ने आज सर्वसम्मति ने एक प्रस्ताव पारित कर अकाल तख्त और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) से कहा कि अमृतसर में स्वर्ण मंदिर के गर्भगृह में महिलाओं को भी शबद कीर्तन की इजाजत दी जाए.
इस बारे में एक प्रस्ताव राज्य सरकार के मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा द्वारा लाया गया, जिन्होंने कहा कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव ने जीवन भर जाति और लिंग आधारित भेदभाव के खिलाफ संघर्ष किया और महिलाओं के खिलाफ इन भेदभाव का भी अंत होना चाहिए.
उन्होंने अकाली नेता के इस दावे को भी खारिज किया कि सिख 'रहत मर्यादा' (आचार संहिता) के अनुसार सिख महिला को दरबार साहिब में कीर्तन करने की इजाजत नहीं है. उन्होंने कहा कि अकाली नेता जागीर कौर ने भी महिलाओं को पवित्र दरबार साहिब में कीर्तन सेवा करने की इजाजत देने की इ्च्छा जताई है. बाजवा ने कहा, 'सिख इतिहास में महिलाओं के प्रति किसी भेदभाव का कोई उल्लेख नहीं है. फिलहाल स्वर्ण मंदिर में सिर्फ पुरुष ही कीर्तन कर सकते हैं.'
बाजवा को टोकते हुए अकाली विधायक परमिंदर सिंह ढींडसा ने कहा कि इस प्रस्ताव के माध्यम से यह जताने की कोशिश की जा रही है कि अकाल तख्त या एसजीपीसी महिलाओं को स्वर्ण मंदिर में शबद गायन से जानबूझकर मना कर रहा है. उन्होंने आगे कहा कि वह बाजवा की भावनाओं से सहमत हैं, लेकिन अकाल तख्त पहले ही इस मुद्दे से वाकिफ है.