लखनऊः उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में कोविड-19 के बीच किसानों ने खाद और बीज की व्यवस्था कर सरसों की फसल का अच्छा उत्पादन किया है. दिसंबर से लेकर जनवरी महीने के बीच सरसों के फूल खेतों में आ गये हैं. जिसको लेकर किसानों को विशेष ध्यान रखना होगा. क्योंकि इस फसल में आरा मक्खी का प्रकोप अधिक रहता है, जिसको लेकर किसानों को विशेष प्रबंधन करना होगा. जिससे फसल का अच्छा उत्पादन हो सके.
![किसानों को कीट से रहना होगा सतर्क](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-lko-lucknowcultivation-02-10079_07012021122825_0701f_00892_1075.jpg)
सरसों की फसल का अच्छा उत्पादन
खेतों में सरसों की फसल की बुवाई के बाद सरसों के पौधे में फूल लगते ही किसानों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है. इसके देखरेख को लेकर किसान ज्यादा परेशान रहते हैं. क्योंकि इस दौरान आरा मक्खी सरसों के फूल परा हावी हो जाती है, जिससे किसानों का ज्यादा नुकसान होने की संभावना रहती है. आरा मक्खी सरसों के फूल के अलावा मूली, गाजर, गोभी और फूल गोभी के ऊपर अधिक आक्रमण करती है. ज्यादातर देखने को मिलता है कि तैयार हुए फसलों को नुकसान नहीं पहुंचाती, सिर्फ इसका कैटरपिलर जिसको लारा कहते हैं, वही बड़े चाव से सरसों की पत्तियों को खाकर नुकसान करता है. वही किसान इस कीट को समय से पहचान कर अगर प्रबंधन करे, तो फसल को बचाया जा सकता है.
कीट विज्ञान विभाग के सहायक आचार्य डॉक्टर सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि दिसंबर महीने के पहले सप्ताह से जनवरी के दूसरे सप्ताह तक इस कीट का अधिक प्रकोप रहता है. समय रहते हुए कीट को पहचान लेने के बाद अगर कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव किया जाए, तो फसल को बचाया जा सकता है. प्रमुख रूप से मिथाइल पैराथियान 1.5 एम एल कीटनाशक को 1 लीटर पानी में घोलकर शाम को खेतों में छिड़काव किया जाये, तो खेत में लगे कीटनाशक खत्म हो जाते हैं. वहीं एक सरसों के पेड़ पर दो कैटरपिलर दिखने लगे, तो उसी समय प्रबंधन के लिए क्यूनालपास 25 फीसदी ईसी की 1.5 एम एल मात्रा को 1 लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करना लाभदायक होता है. जिससे 3 से 4 दिन में सभी लारवा मर जाते हैं.