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प्रदेश में निवेश बढ़ने से 3 लाख करोड़ का होगा फायदा- सिद्धार्थनाथ सिंह

उत्तर प्रदेश में निर्यात को बढ़ाने के लिए निर्यात एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने पीडब्ल्यूसी के साथ चर्चा की. ये चर्चा वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से हुई. इस दौरान मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा प्रत्येक जिले को निर्यात हब के रूप में विकसित करना है.

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Published : Sep 26, 2020, 12:53 PM IST

मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह
मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के निर्यात को बढ़ाने के लिए वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से निर्यात एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने पीडब्ल्यूसी के साथ चर्चा की. खादी भवन में कार्ययोजना के प्रस्तुतीकरण के दौरान उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण चीन से हटने वाली कंपनियों के प्रदेश में निवेश करने से काफी फायदा होगा. इससे अगामी तीन वर्षों में प्रदेश का निर्यात 1.20 लाख करोड़ से बढ़ाकर तीन लाख करोड़ रुपये का होगा.

प्रत्येक जिले को निर्यात हब के रूप में करना है विकसित
यूपी के खादी, ग्रामोद्योग, सूक्ष्म, लघु एवं उद्यम, निर्यात और निवेश प्रोत्साहन मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण विश्व व्यापार में चीन के खिलाफ नाराजगी का फायदा प्रदेश को मिले. इसके लिए चीन से बाहर जाने जाने वाली कंपनियों को प्रदेश में स्थापित करने के लिए निवेश एवं निर्यात प्रोत्साहन नीति को इसके अनुकूल बनाया जाए.

उन्होंने कहा कि मांग के अनुरूप उत्पादन बढ़ाकर विश्व व्यापार में आगामी 3 वर्षों में प्रदेश का निर्यात 1.20 लाख करोड़ से बढ़ाकर 3 लाख करोड़ रुपये तक किया जाएगा. सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा प्रत्येक जिले को निर्यात हब के रूप में विकसित करना है. इस परिप्रेक्ष्य में वाराणसी, मुरादाबाद, आगरा, फिरोजाबाद, गोरखपुर और अलीगढ़ में निर्यात विकास केंद्र (ईडीसी) स्थापित किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि एक जनपद एक उत्पाद को प्रोत्साहित करने के लिए कार्ययोजना बनाई जाएगी.

विदेशों में माल आपूर्ति के लिए बढ़ेगा हवाई यातायात
यूपी की उत्पादन लागत को कम रखने के लिए आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात जैसे राज्यों के उत्पादन की प्रति यूनिट कीमत का अध्ययन किया जाएगा. सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश लैंडलाॅक प्रदेश होने से यहां बंदरगाह नहीं है. हालांकि विदेशों में माल की आपूर्ति के लिए हवाई यातायात को बढ़ाया जाएगा. इसके लिए जेवर, वाराणसी, लखनऊ एवं कुशीनगर एयरपोर्ट को माल ढुलाई के लिए विकसित करना है. सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि वैश्विक व्यापार की मांग के अनुसार ही प्रदेश में वस्तुओं के उत्पादन को प्राथमिकता दी जाएगी.

तीन लाख करोड़ तक बढ़ाया जा सकता है निर्यात
अपर मुख्य सचिव (सूक्ष्म एवं लघु एवं मध्यम उद्यम) डॉ. नवनीत सहगल ने कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस तथा आत्मनिर्भर भारत के तहत प्रदेश में निर्यात एवं निवेश को बढ़ाने के लिए नीति को समयानुकूल बनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश के उद्योग को इलेक्ट्रानिक हब के साथ अन्य उत्पादों के हब के रूप में जल्द ही विकसित किया जाएगा. विदेशों में ज्यादा मांग वाले प्रदेश के 12 उत्पादों के उत्पादन में ज्यादा ध्यान केंद्रित किया जाएगा. जिसमें इलेक्ट्रानिक मशीनरी, खनिज उत्पाद, व्हीकल पार्ट, फार्मा, प्लास्टिक उत्पाद, मोती, बहुमूल्य पत्थर, मेडिकल उत्पाद, लोहा-स्टील के उत्पाद, मशीनरी आदि हैं.

उन्होंने कहा कि वर्ष 2019-20 में प्रदेश के 1.20 लाख करोड़ रुपये के किए गए उत्पादों के निर्यात में 18 तरह की वस्तुओं की निर्यात में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी रही है. इसी प्रकार चीन के जिन उत्पादों की वैश्विक बाजार में 30 प्रतिशत भागेदारी के साथ मांग अधिक है. कोविड-19 महामारी के कारण उपजी परिस्थितियों का फायदा उठाकर निर्यात एवं निवेश को बढ़ाने के लिए इन उत्पादों का उत्पादन बढ़ाकर प्रदेश के निर्यात को तीन वर्षों में तीन लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के निर्यात को बढ़ाने के लिए वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से निर्यात एवं निवेश प्रोत्साहन मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने पीडब्ल्यूसी के साथ चर्चा की. खादी भवन में कार्ययोजना के प्रस्तुतीकरण के दौरान उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण चीन से हटने वाली कंपनियों के प्रदेश में निवेश करने से काफी फायदा होगा. इससे अगामी तीन वर्षों में प्रदेश का निर्यात 1.20 लाख करोड़ से बढ़ाकर तीन लाख करोड़ रुपये का होगा.

प्रत्येक जिले को निर्यात हब के रूप में करना है विकसित
यूपी के खादी, ग्रामोद्योग, सूक्ष्म, लघु एवं उद्यम, निर्यात और निवेश प्रोत्साहन मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण विश्व व्यापार में चीन के खिलाफ नाराजगी का फायदा प्रदेश को मिले. इसके लिए चीन से बाहर जाने जाने वाली कंपनियों को प्रदेश में स्थापित करने के लिए निवेश एवं निर्यात प्रोत्साहन नीति को इसके अनुकूल बनाया जाए.

उन्होंने कहा कि मांग के अनुरूप उत्पादन बढ़ाकर विश्व व्यापार में आगामी 3 वर्षों में प्रदेश का निर्यात 1.20 लाख करोड़ से बढ़ाकर 3 लाख करोड़ रुपये तक किया जाएगा. सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा प्रत्येक जिले को निर्यात हब के रूप में विकसित करना है. इस परिप्रेक्ष्य में वाराणसी, मुरादाबाद, आगरा, फिरोजाबाद, गोरखपुर और अलीगढ़ में निर्यात विकास केंद्र (ईडीसी) स्थापित किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि एक जनपद एक उत्पाद को प्रोत्साहित करने के लिए कार्ययोजना बनाई जाएगी.

विदेशों में माल आपूर्ति के लिए बढ़ेगा हवाई यातायात
यूपी की उत्पादन लागत को कम रखने के लिए आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात जैसे राज्यों के उत्पादन की प्रति यूनिट कीमत का अध्ययन किया जाएगा. सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश लैंडलाॅक प्रदेश होने से यहां बंदरगाह नहीं है. हालांकि विदेशों में माल की आपूर्ति के लिए हवाई यातायात को बढ़ाया जाएगा. इसके लिए जेवर, वाराणसी, लखनऊ एवं कुशीनगर एयरपोर्ट को माल ढुलाई के लिए विकसित करना है. सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि वैश्विक व्यापार की मांग के अनुसार ही प्रदेश में वस्तुओं के उत्पादन को प्राथमिकता दी जाएगी.

तीन लाख करोड़ तक बढ़ाया जा सकता है निर्यात
अपर मुख्य सचिव (सूक्ष्म एवं लघु एवं मध्यम उद्यम) डॉ. नवनीत सहगल ने कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस तथा आत्मनिर्भर भारत के तहत प्रदेश में निर्यात एवं निवेश को बढ़ाने के लिए नीति को समयानुकूल बनाया जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश के उद्योग को इलेक्ट्रानिक हब के साथ अन्य उत्पादों के हब के रूप में जल्द ही विकसित किया जाएगा. विदेशों में ज्यादा मांग वाले प्रदेश के 12 उत्पादों के उत्पादन में ज्यादा ध्यान केंद्रित किया जाएगा. जिसमें इलेक्ट्रानिक मशीनरी, खनिज उत्पाद, व्हीकल पार्ट, फार्मा, प्लास्टिक उत्पाद, मोती, बहुमूल्य पत्थर, मेडिकल उत्पाद, लोहा-स्टील के उत्पाद, मशीनरी आदि हैं.

उन्होंने कहा कि वर्ष 2019-20 में प्रदेश के 1.20 लाख करोड़ रुपये के किए गए उत्पादों के निर्यात में 18 तरह की वस्तुओं की निर्यात में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी रही है. इसी प्रकार चीन के जिन उत्पादों की वैश्विक बाजार में 30 प्रतिशत भागेदारी के साथ मांग अधिक है. कोविड-19 महामारी के कारण उपजी परिस्थितियों का फायदा उठाकर निर्यात एवं निवेश को बढ़ाने के लिए इन उत्पादों का उत्पादन बढ़ाकर प्रदेश के निर्यात को तीन वर्षों में तीन लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है.

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