लखनऊ: जन्माष्टमी के दिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत कई जिलों में अचानक ही स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं की बत्ती गुल हो गई थी, जिससे पावर कारपोरेशन में हड़कंप मच गया था. बेहाल हुई बिजली आपूर्ति को दुरुस्त करने में अधिकारियों को दो से तीन दिन तक लग गए थे. ऐसे में इस स्मार्ट मीटर पर तमाम सवाल खड़े हो गए थे. इसके बाद प्रदेश में नए स्मार्ट मीटर लगाने पर रोक लगा दी गई थी. इतना ही नहीं आनन-फानन में एक जांच समिति गठित की गई थी, जिसे 24 घंटे में अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन अभी तक स्मार्ट मीटर की जांच रिपोर्ट नहीं आ पाई है. जबकि एक माह से ज्यादा समय बीत चुका है.
अब स्मार्ट मीटर वाली एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड कंपनी को भुगतान दिए जाने की तैयारी हो रही है. जिस पर आपत्ति दर्ज कराई गई. इसके बाद प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने सख्त आदेश दिए हैं कि किसी भी कीमत पर जब तक जांच रिपोर्ट न आ जाए तब तक ईईएसएल समेत किसी भी कंपनी को भुगतान न किया जाए. पावर कारपोरेशन इन कंपनियों का तत्काल भुगतान रोक दे.
प्रदेश भर में पावर कारपोरेशन ने इसलिए स्मार्ट मीटर लगाने का फैसला लिया, जिससे बिजली चोरी रोकी जा सके. स्मार्ट मीटर में ऐसी डिवाइस लगी होती है, लेकिन हाल ही के दिनों में कुछ ऐसे मामले आए हैं. जिनमें स्मार्ट मीटर से बिजली चोरी पकड़ी गई. इसके बाद इस स्मार्ट मीटर की गुणवत्ता के साथ ही कंपनी पर भी सवाल खड़े हो गए. डिस्कामों में स्मार्ट मीटर में बिजली चोरी का खुलासा हुआ, लेकिन स्मार्ट मीटर सर्वर को पता ही नहीं चला कि मीटर बाईपास कर उपभोक्ता चोरी कर रहे हैं.
सवाल खड़ा हुआ कि फिर किस बात के लिए यह स्मार्ट मीटर है. ये डिब्बा स्मार्ट है या तकनीकी भी स्मार्ट है? स्मार्ट मीटर से गुल हुई बत्ती की जांच रिपोर्ट न आने के बावजूद पेमेंट की शिकायत लेकर विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री श्रीकांत शर्मा से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने जांच रिपोर्ट आए बिना पेमेन्ट न करने की मांग की. इसके अलावा उच्च तकनीकी के स्मार्ट मीटर लगाए जाने के सवाल पर कहा कि पहले से ही प्रदेश में लगे 12 लाख पुरानी तकनीकी के मीटरों का क्या होगा जो उपभोक्ता के घर पर लगे हैं.
उपभोक्ता के परिसर पर वहीं उच्च तकनीकी के स्मार्ट मीटर लगवाए जाएं जो स्वत: सभी तकनीकी में दक्ष हो. उन्होंने मंत्री को बताया कि वर्तमान में एक मीटर पर लगभग 102 रुपये ओपेक्स मोडल पर हर महीने ईईएसएल को देना है. जिस स्मार्ट मीटर पर हर माह करोड़ों रुपये खर्च हो रहा है. उसका यह हाल है इस पर गम्भीरता से विचार हो. ऊर्जामंत्री श्रीकान्त शर्मा ने प्रबंध निदेशक पावर कार्पोरेशन को निर्देश दिया कि जब तक जांच रिपोर्ट न आ जाए, मामले का पूरा खुलासा न हो जाए ईईएसएल सहित किसी भी कंपनी को कोई पेमेंट न किया जाए.
बता दें कि पावर कॉरपोरेशन के निर्देश पर मध्यांचल विद्युत वितरण निगम की तरफ से ईईएसएल को बिना जांच रिपोर्ट आए लगभग सात करोड़ का भुगतान किए जाने की तैयारी थी, लेकिन उपभोक्ता परिषद के दखल के बाद ऊर्जा मंत्री ने रोक लगा दी.