ETV Bharat / state

एक कक्षा में पढ़ रहे 100 से ज्यादा विद्यार्थी, अनुदानित इंटर काॅलेजों में शिक्षकों की कमी - 100 से ज्यादा विद्यार्थी

राजधानी में वर्तमान समय में 110 से अधिक सहायता प्राप्त विद्यालय संचालित हो रहे हैं. बीकेटी इंटर कॉलेज (Shortage of teachers in aided inter colleges) में चार हजार से अधिक छात्र पढ़ रहे हैं, उनको पढ़ाने के सिर्फ 55 शिक्षक, 64 पद खाली पड़े हैं.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 26, 2023, 5:52 PM IST

लखनऊ : राजधानी के अनुदानित इंटर काॅलेजों का कोई पुरसाहाल नहीं है. छात्र-शिक्षक अनुपात के बिगड़ने से यहां की पढ़ाई (Education Department) रामभरोसे चल रही है, जबकि शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए विद्यालयों के प्रधानाचार्य की तरफ से लगातार पत्राचार किया जा रहा है. इसके बावजूद शिक्षा विभाग आयोग से चयनित होकर आने वाले शिक्षकों की तैनाती करने का आश्वासन देकर मामला टाल रहा है. राजधानी में मौजूदा समय में 110 से अधिक सहायता प्राप्त विद्यालय संचालित हैं. इन विद्यालयों में ग्रामीण आंचल के विद्यालयों में छात्रों की संख्या काफी अधिक है, लेकिन वहां पढ़ाने के लिए शिक्षक कम हैं. यह हाल तो सिर्फ राजधानी के सहायता प्राप्त विद्यालयों का ही है. प्रदेश के बाकी जिलों में संचालित सहायता प्राप्त विद्यालयों में शिक्षकों के मौजूदा हालात की क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा स्वतः ही लगाया जा सकता है.

नुदानित इंटर काॅलेजों में शिक्षकों की कमी
नुदानित इंटर काॅलेजों में शिक्षकों की कमी

100 से अधिक छात्रों को एक कक्षा में पढ़ाना पड़ रहा : विद्यालयों में शिक्षकों की कमी का हाल यह है कि महात्मा गांधी इंटरमीडिएट कॉलेज मलिहाबाद के पूर्व प्रिंसिपल अमीर हसन जैदी का कहना है कि 'विद्यालय में वर्तमान में 8 शिक्षक हैं और स्टूडेंट्स की संख्या 1400 के पार है. एक कक्षा में सवा 200 से ज्यादा बच्चे बैठाकर पढ़ाना पड़ रहा है. नई जनशक्ति निर्धारण में यहां के पद घट गए. पहले यहां 23 शिक्षक थे. डीआईओएस ने 2016 में 16 शिक्षक पद भी किए थे, लेकिन अभी तक अनुमति नहीं मिली. कक्षा 11 और 12 को वित्तीय मान्यता मिल गई, लेकिन 1986 से शिक्षक नहीं दिए गए, जैसे तैसे काम चल रहा है. हाल ये है कि 3 तदर्थ शिक्षकों का विनियमितीकरण न होने से पिछले एक साल से वेतन तक नहीं मिला है.'


राजधानी में ऐसे कई एडेड विद्यालय हैं जहां छात्र संख्या एक हजार से पार है, लेकिन शिक्षकों की गिनी चुनी संख्या से काम चल रहा है. शिक्षकों ने बताया कि किसी भी विद्यालय में शिक्षक-छात्र अनुपात का पालन नहीं होता है. एक ही कमरे में सैकड़ों स्टूडेंट्स को बैठाकर व खड़ाकर पढ़ाना पड़ता है. शिक्षकों की मानें तो नई जनशक्ति निर्धारण में मानव संपदा पोर्टल पर उक्त समय छात्र संख्या देखते हुए पदों का निर्धारण कर दिया गया और सृजित पद खत्म कर दिए गए. इससे समस्या बढ़ी है.'


जिला विद्यालय निरीक्षक राकेश पांडेय का कहना है कि 'शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया जारी है, जहां शिक्षक कम हैं वहां जल्द ही आयोग से शिक्षकों की कमी पूरी होगी. नियमित विद्यालयों का निरीक्षण करा रहे हैं, शिक्षकों को ट्रेनिंग दे रहे हैं. इससे एडेड स्कूल का आकर्षण बढ़ेगा.'

यह भी पढ़ें : Watch Video: चंदौली में प्राथमिक स्कूल में लगी आग, छत फाड़कर निकलीं लपटें

यह भी पढ़ें : Religious Activity in School : लखनऊ के प्राथमिक विद्यालय में बच्चों ने पढ़ी नमाज, प्रधानाध्यापिका पर गिरी निलंबन की गाज

लखनऊ : राजधानी के अनुदानित इंटर काॅलेजों का कोई पुरसाहाल नहीं है. छात्र-शिक्षक अनुपात के बिगड़ने से यहां की पढ़ाई (Education Department) रामभरोसे चल रही है, जबकि शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए विद्यालयों के प्रधानाचार्य की तरफ से लगातार पत्राचार किया जा रहा है. इसके बावजूद शिक्षा विभाग आयोग से चयनित होकर आने वाले शिक्षकों की तैनाती करने का आश्वासन देकर मामला टाल रहा है. राजधानी में मौजूदा समय में 110 से अधिक सहायता प्राप्त विद्यालय संचालित हैं. इन विद्यालयों में ग्रामीण आंचल के विद्यालयों में छात्रों की संख्या काफी अधिक है, लेकिन वहां पढ़ाने के लिए शिक्षक कम हैं. यह हाल तो सिर्फ राजधानी के सहायता प्राप्त विद्यालयों का ही है. प्रदेश के बाकी जिलों में संचालित सहायता प्राप्त विद्यालयों में शिक्षकों के मौजूदा हालात की क्या स्थिति होगी, इसका अंदाजा स्वतः ही लगाया जा सकता है.

नुदानित इंटर काॅलेजों में शिक्षकों की कमी
नुदानित इंटर काॅलेजों में शिक्षकों की कमी

100 से अधिक छात्रों को एक कक्षा में पढ़ाना पड़ रहा : विद्यालयों में शिक्षकों की कमी का हाल यह है कि महात्मा गांधी इंटरमीडिएट कॉलेज मलिहाबाद के पूर्व प्रिंसिपल अमीर हसन जैदी का कहना है कि 'विद्यालय में वर्तमान में 8 शिक्षक हैं और स्टूडेंट्स की संख्या 1400 के पार है. एक कक्षा में सवा 200 से ज्यादा बच्चे बैठाकर पढ़ाना पड़ रहा है. नई जनशक्ति निर्धारण में यहां के पद घट गए. पहले यहां 23 शिक्षक थे. डीआईओएस ने 2016 में 16 शिक्षक पद भी किए थे, लेकिन अभी तक अनुमति नहीं मिली. कक्षा 11 और 12 को वित्तीय मान्यता मिल गई, लेकिन 1986 से शिक्षक नहीं दिए गए, जैसे तैसे काम चल रहा है. हाल ये है कि 3 तदर्थ शिक्षकों का विनियमितीकरण न होने से पिछले एक साल से वेतन तक नहीं मिला है.'


राजधानी में ऐसे कई एडेड विद्यालय हैं जहां छात्र संख्या एक हजार से पार है, लेकिन शिक्षकों की गिनी चुनी संख्या से काम चल रहा है. शिक्षकों ने बताया कि किसी भी विद्यालय में शिक्षक-छात्र अनुपात का पालन नहीं होता है. एक ही कमरे में सैकड़ों स्टूडेंट्स को बैठाकर व खड़ाकर पढ़ाना पड़ता है. शिक्षकों की मानें तो नई जनशक्ति निर्धारण में मानव संपदा पोर्टल पर उक्त समय छात्र संख्या देखते हुए पदों का निर्धारण कर दिया गया और सृजित पद खत्म कर दिए गए. इससे समस्या बढ़ी है.'


जिला विद्यालय निरीक्षक राकेश पांडेय का कहना है कि 'शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया जारी है, जहां शिक्षक कम हैं वहां जल्द ही आयोग से शिक्षकों की कमी पूरी होगी. नियमित विद्यालयों का निरीक्षण करा रहे हैं, शिक्षकों को ट्रेनिंग दे रहे हैं. इससे एडेड स्कूल का आकर्षण बढ़ेगा.'

यह भी पढ़ें : Watch Video: चंदौली में प्राथमिक स्कूल में लगी आग, छत फाड़कर निकलीं लपटें

यह भी पढ़ें : Religious Activity in School : लखनऊ के प्राथमिक विद्यालय में बच्चों ने पढ़ी नमाज, प्रधानाध्यापिका पर गिरी निलंबन की गाज

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.