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ड्रग माफिया पर रोक लगाने वाली एजेंसी ANTF में संसाधनों का टोटा, पुलिस-STF ने की बड़ी कार्रवाई - एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन

यूपी में नशे के सौदागरों पर लगाम लगाने के लिए 23 अगस्त 2022 को एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन (Agency Anti Narcotics Task Force) किया गया था. सूत्रों का कहना है कि ANTF के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, वहीं बीते चार माह में पुलिस व एसटीएफ ने बड़ी कार्रवाई की है.

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Published : Dec 30, 2022, 4:20 PM IST

जानकारी देते संवाददाता गगनदीप मिश्र

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में नशे के सौदागरों पर लगाम लगाने व युवाओं को नशे से बचाने के लिए बनाए गई डेडिकेटेड एजेंसी एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (Agency Anti Narcotics Task Force) 4 महीनों में महज 3 करोड़ 30 लाख के ड्रग्स ही बरामद कर सकी है, जबकि इस एजेंसी के लिए अधिकारियों की एक लंबी फौज तैनात की गई है, वहीं सर्विलांस सेल को अत्याधुनिक उपकरणों से लैस करने का भी दावा किया गया है. बावजूद इसके अब तक कोई प्रभावी कार्रवाई होती नहीं दिख रही है. सूत्रों के मुताबिक, तमाम दावों के बाद भी एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स जरूरी संसाधनों के लिए शासन का मुंह देख रही है. पांच ऑपरेशन यूनिटों और तीन थानों के लिए अभी जहां पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, वहीं तीन अन्य ऑपरेशनल यूनिटें भी प्रस्तावित हैं.

एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन (Agency Anti Narcotics Task Force) 23 अगस्त 2022 को किया गया था. इसका हेड ऑफिस डीजीपी मुख्यालय सिग्नेचर बिल्डिंग के टॉवर एक के थर्ड फ्लोर में बनाया गया है. इस फोर्स को लीड करने के लिए 2006 बैच के आईपीएस अब्दुल हमीद को डीआइजी एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स बनाया गया था. महज कुछ दिनों के बाद एक एडिशनल एसपी व 6 डिप्टी एसपी की भी तैनाती कर दी गयी थी, जिसमें दो को मुख्यालय व 4 को जिलों में तैनाती दी गयी थी. शासन की ओर से दावा किया गया था कि यह फोर्स यूपी से नशे के धंधे को जड़ से उखाड़ फेकेगा. डार्क वेब के जरिए हो रहे ड्रग्स व्यापार के नेक्सस को खत्म करने के साथ ही पड़ोसी देशों से होने वाली मादक पदार्थों की तस्करी में भी लगाम टास्क फोर्स लगाएगी. हाल ये है कि जहां एक तरफ कानून व्यवस्था के साथ अपराध रोकने वाली पुलिस और एसटीएफ ड्रग पैडलर की गिरफ्तारी के साथ ही भारी मात्रा में ड्रग्स पकड़ रही है तो एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स बीते 4 महीनों में सिर्फ खानापूर्ति ही कर सकी है.



आंकड़ों में नजर डालें तो 23 अगस्त 2022 को गठन होने से 22 दिसम्बर तक एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने महज 6 कार्रवाई की है, जिसमें 3 करोड़ 30 लाख का अवैध मादक पदार्थ बरामद किया गया. इसमें स्मैक 2.185 किग्रा, अफीम 3.9 किग्रा, चरस 2.7 किग्रा, गांजा 20 किग्रा शामिल है, यही नहीं 4 महीनों में हुई इस कार्रवाई में सिर्फ 10 ड्रग्स पैडलर गिरफ्तार किए गए हैं, जबकि यूपी एसटीएफ, जो पहले से ही आयुष दाखिल स्कैम, विनय पाठक समेत दर्जनों घोटालों की जांच करने के साथ-साथ दरोगा भर्ती व अन्य परीक्षाओं में नकल माफिया पर लगाम लगा रही है, उसने बीते एक साल में लगभग सौ करोड़ के अवैध मादक पदार्थों की रिकवरी की है, इसमें 233 गिरफ्तारियां भी हुई हैं. इसमें 19,124 किलो गांजा, 216 किलो चरस, 970 किलो डोडा, 66 किलो अफीम, 706 किलो स्मैक, 4 किलो हीरोइन, 0.86 किलो मॉर्फीन जिसकी कुल कीमत 98.04 करोड़ है, यानीकि हर माह लगभग 8 करोड़ के मादक पदार्थों को एसटीएफ ने बरामद किया है. यही नहीं लखनऊ पुलिस भी बीते एक साल में अवैध मादक पदार्थों की बिक्री व तस्करी करने वाले 421 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है.


एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (Agency Anti Narcotics Task Force) मुख्यालय में अभी एसपी पद पर कोई नियुक्ति नहीं की गई है, अभी सिर्फ दो अपर पुलिस अधीक्षक ही तैनात हैं. इसके अलावा 6 डिप्टी एसपी तैनात किए गए हैं, जिनमें से पांच अलग-अलग ऑपरेशन यूनिटों की कमान संभाल रहे हैं. ये यूनिटें लखनऊ, मेरठ, आगरा, गोरखपुर व वाराणसी में मौजूद हैं. आने वाले समय में कानपुर, प्रयागराज व बरेली में ऑपरेशन यूनिट प्रस्तावित है. शासन के निर्देश पर मेरठ, वाराणसी व गोरखपुर में थाने खोले गए हैं. यूनिटों की तरह ही थानों में भी अभी पर्याप्त संसाधन नहीं हैं. मानक के अनुसार, जनशक्ति के साथ ही वाहन समेत अन्य जरूरी उपकरणों की कमी है. विभागीय अधिकारी के मुताबिक, एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स को यूपी एसटीएफ जैसे मजबूत संसाधन व अत्याधुनिक उपकरणों की जरूरत है. इन सभी की कमी होगी तो सरकार की मंशा के अनरूप हम ड्रग्स के कारोबार में रोक नहीं लगा सकेंगे.


एएनटीएफ के गठन का क्या है उद्देश्य

- एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) का मुख्य दायित्व मादक पदार्थों के प्रवर्तन के आधार पर प्रभावी अंकुश लगाना

- मादक पदार्थों की मांग को कम करने के लिए संबंंधिक एजेंसियों से समन्वय स्थापित करना

- मादक पदार्थों के सेवन को रोकने के लिए जन जागरूकता अभियान क्रियान्वित करना.

- अन्य राज्यों से समन्वय स्थापित करना

- राज्य में हो रही वैध अफीम खेती से सम्बन्धित प्रक्रियाओं पर नजर रखना

- Information Technology का दुरूपयोग रोकने के लिए Dark Web, Social Media, Cripto Currency आदि के माध्यम से नारकोटिक्स का अवैध व्यापार करने वालों के विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही कराना

- मादक पदार्थों की तस्करी में लिप्त सूचीबद्ध गैंगों के विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही करना


क्या कहते हैं ANTF डीआईजी : डीआईजी अब्दुल हमीद कहते हैं कि टास्क फोर्स को पूरी तरह क्रियाशील कर दिया गया है. अधिकारियों व कर्मचारियों की नियुक्ति एवं संबद्धता की प्रक्रिया चल रही है. साथ ही विभिन्न विभागों से समन्वय स्थापित कर आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. टास्क फोर्स की दक्षता बढ़ाने के लिए विभिन्न एजेंसियों के अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षण भी कराया जा रहा है. अब्दुल हमीद का दावा है कि जल्द ही मजबूती से टास्क फोर्स काम करना शुरू करेगी. जिस उद्देश्य के साथ सरकार ने एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन किया है उसको पूरा किया जाएगा.

यह भी पढ़ें : मकान बनाने के नाम पर हड़प लिए 18 लाख रुपये, रियल एस्टेट कंपनी के निदेशक सहित दो पर एफआईआर

जानकारी देते संवाददाता गगनदीप मिश्र

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में नशे के सौदागरों पर लगाम लगाने व युवाओं को नशे से बचाने के लिए बनाए गई डेडिकेटेड एजेंसी एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (Agency Anti Narcotics Task Force) 4 महीनों में महज 3 करोड़ 30 लाख के ड्रग्स ही बरामद कर सकी है, जबकि इस एजेंसी के लिए अधिकारियों की एक लंबी फौज तैनात की गई है, वहीं सर्विलांस सेल को अत्याधुनिक उपकरणों से लैस करने का भी दावा किया गया है. बावजूद इसके अब तक कोई प्रभावी कार्रवाई होती नहीं दिख रही है. सूत्रों के मुताबिक, तमाम दावों के बाद भी एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स जरूरी संसाधनों के लिए शासन का मुंह देख रही है. पांच ऑपरेशन यूनिटों और तीन थानों के लिए अभी जहां पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, वहीं तीन अन्य ऑपरेशनल यूनिटें भी प्रस्तावित हैं.

एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन (Agency Anti Narcotics Task Force) 23 अगस्त 2022 को किया गया था. इसका हेड ऑफिस डीजीपी मुख्यालय सिग्नेचर बिल्डिंग के टॉवर एक के थर्ड फ्लोर में बनाया गया है. इस फोर्स को लीड करने के लिए 2006 बैच के आईपीएस अब्दुल हमीद को डीआइजी एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स बनाया गया था. महज कुछ दिनों के बाद एक एडिशनल एसपी व 6 डिप्टी एसपी की भी तैनाती कर दी गयी थी, जिसमें दो को मुख्यालय व 4 को जिलों में तैनाती दी गयी थी. शासन की ओर से दावा किया गया था कि यह फोर्स यूपी से नशे के धंधे को जड़ से उखाड़ फेकेगा. डार्क वेब के जरिए हो रहे ड्रग्स व्यापार के नेक्सस को खत्म करने के साथ ही पड़ोसी देशों से होने वाली मादक पदार्थों की तस्करी में भी लगाम टास्क फोर्स लगाएगी. हाल ये है कि जहां एक तरफ कानून व्यवस्था के साथ अपराध रोकने वाली पुलिस और एसटीएफ ड्रग पैडलर की गिरफ्तारी के साथ ही भारी मात्रा में ड्रग्स पकड़ रही है तो एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स बीते 4 महीनों में सिर्फ खानापूर्ति ही कर सकी है.



आंकड़ों में नजर डालें तो 23 अगस्त 2022 को गठन होने से 22 दिसम्बर तक एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने महज 6 कार्रवाई की है, जिसमें 3 करोड़ 30 लाख का अवैध मादक पदार्थ बरामद किया गया. इसमें स्मैक 2.185 किग्रा, अफीम 3.9 किग्रा, चरस 2.7 किग्रा, गांजा 20 किग्रा शामिल है, यही नहीं 4 महीनों में हुई इस कार्रवाई में सिर्फ 10 ड्रग्स पैडलर गिरफ्तार किए गए हैं, जबकि यूपी एसटीएफ, जो पहले से ही आयुष दाखिल स्कैम, विनय पाठक समेत दर्जनों घोटालों की जांच करने के साथ-साथ दरोगा भर्ती व अन्य परीक्षाओं में नकल माफिया पर लगाम लगा रही है, उसने बीते एक साल में लगभग सौ करोड़ के अवैध मादक पदार्थों की रिकवरी की है, इसमें 233 गिरफ्तारियां भी हुई हैं. इसमें 19,124 किलो गांजा, 216 किलो चरस, 970 किलो डोडा, 66 किलो अफीम, 706 किलो स्मैक, 4 किलो हीरोइन, 0.86 किलो मॉर्फीन जिसकी कुल कीमत 98.04 करोड़ है, यानीकि हर माह लगभग 8 करोड़ के मादक पदार्थों को एसटीएफ ने बरामद किया है. यही नहीं लखनऊ पुलिस भी बीते एक साल में अवैध मादक पदार्थों की बिक्री व तस्करी करने वाले 421 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है.


एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (Agency Anti Narcotics Task Force) मुख्यालय में अभी एसपी पद पर कोई नियुक्ति नहीं की गई है, अभी सिर्फ दो अपर पुलिस अधीक्षक ही तैनात हैं. इसके अलावा 6 डिप्टी एसपी तैनात किए गए हैं, जिनमें से पांच अलग-अलग ऑपरेशन यूनिटों की कमान संभाल रहे हैं. ये यूनिटें लखनऊ, मेरठ, आगरा, गोरखपुर व वाराणसी में मौजूद हैं. आने वाले समय में कानपुर, प्रयागराज व बरेली में ऑपरेशन यूनिट प्रस्तावित है. शासन के निर्देश पर मेरठ, वाराणसी व गोरखपुर में थाने खोले गए हैं. यूनिटों की तरह ही थानों में भी अभी पर्याप्त संसाधन नहीं हैं. मानक के अनुसार, जनशक्ति के साथ ही वाहन समेत अन्य जरूरी उपकरणों की कमी है. विभागीय अधिकारी के मुताबिक, एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स को यूपी एसटीएफ जैसे मजबूत संसाधन व अत्याधुनिक उपकरणों की जरूरत है. इन सभी की कमी होगी तो सरकार की मंशा के अनरूप हम ड्रग्स के कारोबार में रोक नहीं लगा सकेंगे.


एएनटीएफ के गठन का क्या है उद्देश्य

- एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (ANTF) का मुख्य दायित्व मादक पदार्थों के प्रवर्तन के आधार पर प्रभावी अंकुश लगाना

- मादक पदार्थों की मांग को कम करने के लिए संबंंधिक एजेंसियों से समन्वय स्थापित करना

- मादक पदार्थों के सेवन को रोकने के लिए जन जागरूकता अभियान क्रियान्वित करना.

- अन्य राज्यों से समन्वय स्थापित करना

- राज्य में हो रही वैध अफीम खेती से सम्बन्धित प्रक्रियाओं पर नजर रखना

- Information Technology का दुरूपयोग रोकने के लिए Dark Web, Social Media, Cripto Currency आदि के माध्यम से नारकोटिक्स का अवैध व्यापार करने वालों के विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही कराना

- मादक पदार्थों की तस्करी में लिप्त सूचीबद्ध गैंगों के विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही करना


क्या कहते हैं ANTF डीआईजी : डीआईजी अब्दुल हमीद कहते हैं कि टास्क फोर्स को पूरी तरह क्रियाशील कर दिया गया है. अधिकारियों व कर्मचारियों की नियुक्ति एवं संबद्धता की प्रक्रिया चल रही है. साथ ही विभिन्न विभागों से समन्वय स्थापित कर आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं. टास्क फोर्स की दक्षता बढ़ाने के लिए विभिन्न एजेंसियों के अधिकारियों द्वारा प्रशिक्षण भी कराया जा रहा है. अब्दुल हमीद का दावा है कि जल्द ही मजबूती से टास्क फोर्स काम करना शुरू करेगी. जिस उद्देश्य के साथ सरकार ने एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स का गठन किया है उसको पूरा किया जाएगा.

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