लखनऊ : सब्जियों के दाम (prices of vegetables in mandi) स्थिर न रहकर उनके दामों में (ups and downs in vegetable prices) लगतार उतार चढ़ाव आ रहा है. दामों के बढ़ने और घटने की मुख्य वजह हरी सब्जियों (green vegetables) की स्थानीय बाड़ियों से आवक होने से दामों पर फर्क पड़ रहा है. सब्जियों की स्थानीय बाड़ियों से आवक बढ़ती है तो दाम घट जाते हैं और जब आवक कम हो जाती है तो दाम बढ़ने लगते हैं. बात करें अगर तरोई भिंडी की तो बीते दिसम्बर में महंगे दामों में बिकने के बाद दामों में थोड़ी राहत मिली. उसके बाद फिर से दाम बढ़ गए हैं. अभी पिछले हफ्ते 30 रु में तरोई और भिंडी बिक रही थी, लेकिन अचानक फिर से दाम बढ़ गए. दोनों सब्जियों की स्थानीय आवक कम हुई तो दाम बढ़ गए.
बात करें लौकी गोभी, टमाटर, हरी मटर इन सभी के दाम कुछ दिन पहले बढ़े हुए थे. जैसे ही इनकी स्थानीय बाड़ियों से आवक हुई. इनके (prices of green vegetables) दामों में कमी आ गई. इसका पहला बड़ा कारण डीजल के दामों में इजाफे के कारण देखने को मिल रहा है. डीजल के दाम बढ़ने से ट्रांसपोर्ट का खर्चा बढ़ जाता है और बाहर से आने वाली सब्जियों के दाम (prices of vegetables in mandi) बढ़ जाते हैं और इन दिनों सब्जियों के दाम बढ़ने का कारण हैं. इसके साथ ही बारिश भी एक कारण है. जिसके कारण सब्जियों के दाम बढ़ गए हैं. बारिश के कारण सब्जियों को नुकसान पहुंचा था. जिसके चलते भी दामों में इजाफा हुआ है.
शुक्रवार (6 दिसम्बर) को नया आलू 25 रुपये किलो, प्याज 30 रुपये किलो, टमाटर 25 रुपये किलो, आलू 15 रुपये किलो, नीबू 30 रुपये किलो, तरोई 50 रुपये किलो, लहसुन 40 रुपये किलो, करेला 50 रुपये किलो, परवल 50 रुपये किलो, मटर 15 रुपये किलो, सेम 60 रुपये किलो, शिमला मिर्च 20 रुपये किलो, कद्दू 10 रुपये किलो, लौकी 15 रुपये किलो, पालक 40 रुपये किलो, भिंडी 60 रुपये किलो, मिर्च 50 रुपये किलो, गोभी 10 रुपये पर पीस, गाजर 10 रुपये किलो बिका.
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