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5 साल से फाइल में कैद 500 बेड वाले अस्पताल का प्रस्ताव,सपा सरकार में हुआ था शिलान्यास - उत्तर प्रदेश की ताजा खबर

समाजवादी पार्टी की सरकार में लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के तहत 500 बेड वाले नए अस्पताल को खोलने का प्रस्ताव पास किया गया, ज़मीन का अधिग्रहण भी हो गया लेकिन सरकार बदलते ही प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया. इस अस्पताल के न बनने के पीछे राजनीति है वजह या कुछ और, आइए जानते हैं.

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लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान
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Published : Apr 13, 2022, 1:01 PM IST

Updated : Apr 13, 2022, 1:11 PM IST

लखनऊ: लोहिया संस्थान के तहत प्रस्तावित 500 बेड का अस्पताल अफसरों की फाइलों में कैद है.लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान सपा सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल था ऐसे में जनरल हॉस्पिटल के बाद सुपर स्पेशयलिटी इंस्टीट्यूट खोला गया. वहीं शहीद पथ स्थित 20 एकड़ जमीन तलाश कर मेडिकल कॉलेज को हरी झंडी दी गई. इसके लिए वर्ष 2016 में न्यू कैम्पस में 500 बेड के अस्पताल को बनाने की अनुमति दी गई, जिसका शिलान्यास भी किया गया. वहीं सरकार बदलते ही मामला ठंडे बस्ते में चला गया. ऐसे में 200 एमबीबीएस सीटों के लिहाज से अभी तक बेडों का बंदोबस्त नहीं हो सका. साथ ही मरीजों को भी इलाज के लिए न्यू कैंपस भटकना पड़ रहा है.

15 मंजिला भवन पर हेलीपैड की थी व्यवस्था

यह अस्पताल आधुनिक तरीके से बनाया जाना था. इसका डीपीआर तैयार हो गया था. 15 मंजिला भवन में सबसे ऊपर हेलीपैड प्रस्तावित है. इससे एयर एंबुलेंस सुविधा शुरू करने में मदद मिलती, मरीजों को दूसरे हायर सेंटर रेफर करने में आसानी होती, दिल्ली आदि शहरों में गंभीर मरीज को रेफर करने के लिए सड़क को ग्रीन कॉरिडोर में तब्दील करने की जरूरत नहीं पड़ती, अधिकारियों के मुताबिक, इस अस्पताल के निर्माण पर करीब 600 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान था.

यह भी पढ़ें: कानपुर: कूड़ा फेंकने को लेकर दो परिवार में हुई पत्थरबाजी और आगजनी

मुख्य कैम्पस में हॉस्पिटल भवन निर्माण पर रोक

न्यू कैम्पस में अस्पताल निर्माण का बजट न मिलने पर संस्थान प्रशासन ने मुख्य कैंपस में ही 500 बेड का अस्पताल बनाने का फैसला किया. गत वर्ष संस्थान के निदेशक ने शासन को प्रस्ताव भेजा. यह अस्पताल संस्थान परिसर स्थित पार्क में बनना था, जिसे लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए ) ने निरीक्षण के वक्त निरस्त कर दिया. उन्होंने प्रस्तावित जमीन में 500 बेड का अस्पताल बनाने को उपयुक्त नहीं पाया. ऐसे में हॉस्पिटल सेवा विस्तार का पूरा मामला फंसा है. जानकारी के अनुसार, न्यू कैम्पस में 500 बेड के अस्पताल निर्माण के लिए दोबारा प्रस्ताव भेजा जाएगा. कारण, मुख्य कैंपस में प्रस्तावित अस्पताल की भूमि को एलडीए ने खारिज कर दिया है. ऐसे में अब पुराने प्रोजेक्ट को पूरा करना ही एक विकल्प बचा है.

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लखनऊ: लोहिया संस्थान के तहत प्रस्तावित 500 बेड का अस्पताल अफसरों की फाइलों में कैद है.लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान सपा सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल था ऐसे में जनरल हॉस्पिटल के बाद सुपर स्पेशयलिटी इंस्टीट्यूट खोला गया. वहीं शहीद पथ स्थित 20 एकड़ जमीन तलाश कर मेडिकल कॉलेज को हरी झंडी दी गई. इसके लिए वर्ष 2016 में न्यू कैम्पस में 500 बेड के अस्पताल को बनाने की अनुमति दी गई, जिसका शिलान्यास भी किया गया. वहीं सरकार बदलते ही मामला ठंडे बस्ते में चला गया. ऐसे में 200 एमबीबीएस सीटों के लिहाज से अभी तक बेडों का बंदोबस्त नहीं हो सका. साथ ही मरीजों को भी इलाज के लिए न्यू कैंपस भटकना पड़ रहा है.

15 मंजिला भवन पर हेलीपैड की थी व्यवस्था

यह अस्पताल आधुनिक तरीके से बनाया जाना था. इसका डीपीआर तैयार हो गया था. 15 मंजिला भवन में सबसे ऊपर हेलीपैड प्रस्तावित है. इससे एयर एंबुलेंस सुविधा शुरू करने में मदद मिलती, मरीजों को दूसरे हायर सेंटर रेफर करने में आसानी होती, दिल्ली आदि शहरों में गंभीर मरीज को रेफर करने के लिए सड़क को ग्रीन कॉरिडोर में तब्दील करने की जरूरत नहीं पड़ती, अधिकारियों के मुताबिक, इस अस्पताल के निर्माण पर करीब 600 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान था.

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मुख्य कैम्पस में हॉस्पिटल भवन निर्माण पर रोक

न्यू कैम्पस में अस्पताल निर्माण का बजट न मिलने पर संस्थान प्रशासन ने मुख्य कैंपस में ही 500 बेड का अस्पताल बनाने का फैसला किया. गत वर्ष संस्थान के निदेशक ने शासन को प्रस्ताव भेजा. यह अस्पताल संस्थान परिसर स्थित पार्क में बनना था, जिसे लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए ) ने निरीक्षण के वक्त निरस्त कर दिया. उन्होंने प्रस्तावित जमीन में 500 बेड का अस्पताल बनाने को उपयुक्त नहीं पाया. ऐसे में हॉस्पिटल सेवा विस्तार का पूरा मामला फंसा है. जानकारी के अनुसार, न्यू कैम्पस में 500 बेड के अस्पताल निर्माण के लिए दोबारा प्रस्ताव भेजा जाएगा. कारण, मुख्य कैंपस में प्रस्तावित अस्पताल की भूमि को एलडीए ने खारिज कर दिया है. ऐसे में अब पुराने प्रोजेक्ट को पूरा करना ही एक विकल्प बचा है.

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Last Updated : Apr 13, 2022, 1:11 PM IST
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